यह रूस के यूनाइटेड शिपबिल्डिंग कॉरपोरेशन (USC) द्वारा भारत के लिए बनाया गया पांचवां युद्धपोत है।
USC के मुख्य कार्यकारी अधिकारी आंद्रेय पुचकोव ने कहा कि इस युद्धपोत को भारतीय नौसेना के प्रतिनिधिमंडल ने परखा है जिसमें खरा उतरकर इसने सिद्ध कर दिया है कि यह आधुनिक युद्ध की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार है।
इस श्रेणी का पहला युद्धपोत आईएनएस तुशील दिसंबर में भारतीय नौसेना में शामिल हुआ था और इस समय अरब सागर में तैनात है। भारतीय नौसेना ने अरब सागर और हिंद महासागर में अपनी तैनाती को मज़बूत किया है, ऐसे में INS तमाल के आने से नौसेना को नई ताक़त मिलेगी।
इसकी अधिकतम रफ्तार 30 नॉटिकल मील प्रति घंटे की है और इस रफ्तार से यह एक बार में 3000 किमी तक की दूरी तय कर सकता है। दुश्मन की सबमरीन से निपटने के लिए जहाज़ में एंटी सबमरीन रॉकेट और टॉरपीडो लगाए गए हैं। समुद्र की सतह पर नज़र रखने के लिए लगाए गए रडार और पानी के अंदर तलाश करने के लिए लगाए गए सोनार अत्याधुनिक हैं।
जहाज़ में लगा कॉम्बेट मैनेजमेंट सिस्टम हर हथियार को कम समय में और कारगर ढंग से इस्तेमाल करने में मदद करता है। इस युद्धपोत पर इलेक्ट्रॉनिक वारफ़ेयर में काम आने वाला KA-31 हेलीकॉप्टर तैनात किया जा सकता है।
भारत और रूस के बीच 2018 में तलवार क्लास के तीसरे बैच के चार युद्धपोतों के निर्माण का समझौता हुआ था। इनमें से दो का निर्माण रूस में और दो का भारत में गोवा शिपयार्ड लिमिटेड में होना है। भारत में तलवार क्लास के युद्धपोतों का भारतीय नौसेना में शामिल होना 2003 से शुरू हो गया था और इस श्रेणी के 7 जंगी जहाज़ तलवार, त्रिशूल, तबर, तेग, तरकश, त्रिकंड और तुशील इस समय भारतीय नौसेना में हैं।
तलवार क्लास के ये सभी युद्धपोत इस समय अरब सागर में तैनात हैं। इनमें से चार को लंबी दूरी तक मार करने वाली ब्रह्मोस मिसाइलों से लैस किया जा चुका है जबकि बाकी दो को जल्द ही ब्रह्मोस से लैस कर दिया जाएगा।