पीटर नवारो ने कहा, "भारतीय इस बारे में बहुत अहंकारी हो रहे हैं। वे कहते हैं, "अरे, हमारे यहां ज़्यादा टैरिफ़ नहीं हैं। अरे, ये हमारी संप्रभुता है। हम जिससे चाहें तेल खरीद सकते हैं।" भारत, तुम दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र हो ठीक है? तो फिर लोकतंत्र की तरह पेश आओ। लोकतंत्रों के साथ खड़े हो जाओ। अभी, तुम सत्तावादियों के साथ गठबंधन कर रहे हो... ये तुम्हारे दोस्त नहीं हैं। और रूस।"
उन्होंने कहा, "यूक्रेन और यूरोप के पास आकर कहते हैं, "हमें और पैसा दो।" तो भारत जो कर रहा है, उसकी वजह से अमेरिका में हर किसी को नुकसान है। उपभोक्ता, व्यवसाय, कर्मचारी हारते हैं क्योंकि भारत के ऊँचे टैरिफ़ से हमें नौकरियां, कारखाने, आमदनी और ज्यादा मजदूरी का नुकसान होता है। और फिर करदाताओं का नुकसान होता है, क्योंकि हमें मोदी के युद्ध का खर्च उठाना है। शांति का रास्ता, कम से कम आंशिक रूप से नई दिल्ली से होकर जाता है।"