अनंत शस्त्र भारतीय सेना के आगे बढ़ते हुए आक्रामक वाहनों, टैंकों और बख्तरबंद वाहनों के अतिरिक्त युद्धक्षेत्र में तैनात तोपों को सुरक्षा प्रदान करेगा। यह नया एयर डिफेंस सिस्टम भारतीय सेना के पुराने OSA-AK, तुंगुश्का, शिल्का जैसे एयर डिफेंस सिस्टम का स्थान लेगा।
अभी भारतीय सेना अनंत शस्त्र की तीन रेजिमेंट बनाने की तैयारी में है। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित किए गए इस सिस्टम में भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और भारत डाइनामिक्स लिमिटेड ने भी सहयोग दिया है।
भारतीय सेना द्वारा विक्रेताओं से आमंत्रित किए गए प्रस्तावों (RFP) के अनुसार अनंत शस्त्र अत्यधिक गतिशील होगा ताकि यह युद्धक्षेत्र में आगे बढ़ते हुए टैंकों और दूसरे वाहनों के साथ चलते हुए उन्हें सुरक्षा दे सके।
यह 8 गुणा 8 पहियों पर पहाड़ी क्षेत्र, रेगिस्तान और ऊबड़-खाबड़ मैदानी क्षेत्रों में तेज़ी से चलने में सक्षम होगा। यह 30-40 किमी की दूरी और 6-8 किमी की ऊंचाई पर शत्रु के लड़ाकू जेट, हेलीकॉप्टर, ड्रोन, रॉकेट और मिसाइल को नष्ट कर सकेगा। इसमें चारों ओर देखने के लिए 360 डिग्री रडार, कमान और नियंत्रण सिस्टम और हर मौसम में लक्ष्य का पता लगाने की क्षमता होगी। यह इलेक्ट्रॉनिक जैमिंग और युद्ध के वातावरण में भी अच्छे से काम कर पाएगा।
भारतीय सेना इस एयर डिफेंस सिस्टम को परंपरागत आक्रमणों जैसे मिसाइल, रॉकेट, हेलीकॉप्टर के अतिरिक्त ड्रोन जैसे नए खतरों से पूरी तौर पर निबटने के लिए तैयार करेगी। इसे भारतीय सेना के नए एयर डिफेंस नेटवर्क आकाश तीर से जोड़ा जाएगा ताकि यह लगातार बदलते हुए युद्धक्षेत्र में भी सफलता से कार्रवाई कर सके।
मई में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए संघर्ष में भारत की एयर डिफेंस को कड़ी परीक्षा से गुज़रना पड़ा जिसमें वह सफल रहा। पाकिस्तान की ओर से ड्रोन, रॉकेट्स और मिसाइलों की एक के बाद एक बाढ़ को भारतीय सेना और वायुसेना के एयर डिफेंस ने नाकाम कर दिया।
इस संघर्ष में रूस से आयातित पिचोरा, एस-400 जैसे सिस्टम्स के साथ-साथ स्वदेशी आकाश मिसाइल सिस्टम ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अब भारत अपनी एयर डिफेंस को भविष्य के लिए तैयार कर रहा है।