https://hindi.sputniknews.in/20250830/know-the-impact-of-equipping-the-indian-navys-fleet-with-brahmos-missiles-on-its-firepower-9680615.html
जानें भारतीय नौसेना द्वारा बेड़े को ब्रह्मोस मिसाइलों से लैस करने से मारक क्षमता पर प्रभाव
जानें भारतीय नौसेना द्वारा बेड़े को ब्रह्मोस मिसाइलों से लैस करने से मारक क्षमता पर प्रभाव
Sputnik भारत
भारतीय नौसेना वर्तमान में लगभग 135 युद्धपोतों का संचालन करती है तथा 2035 तक उसके बेड़े में कम से कम 175 युद्धपोत शामिल करने की योजना है।
2025-08-30T16:16+0530
2025-08-30T16:16+0530
2025-08-30T16:16+0530
sputnik मान्यता
भारत
भारत सरकार
भारतीय नौसेना
ब्रह्मोस
मिसाइल विध्वंसक
बैलिस्टिक मिसाइल
बैलिस्टिक मिसाइल प्रणाली
वायुसेना
भारतीय वायुसेना
https://cdn1.img.sputniknews.in/img/07e7/0b/16/5530177_16:0:1404:781_1920x0_80_0_0_a115d725d713443c6d815219d4190f4a.png
भारतीय नौसेना ने अपने समूचे नौसैनिक बेड़े को बहुप्रशंसित ब्रह्मोस मिसाइलों से सुसज्जित करने के लिए 2030 तक का लक्ष्य रखा है। इसे हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में एक बड़ा परिवर्तनकारी कदम विशेष रूप से इस वर्ष के प्रारंभ में पाकिस्तान के विरुद्ध ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत-रूस के शानदार प्रयास की सफलता के बाद माना जा रहा हैरूसी मूल के Su-30MKI से दागे गए ब्रह्मोस ने पाकिस्तान पर कहर बरपाया, जिससे उनके सैन्य ठिकानों को भारी नुकसान पहुंचा, जिसमें उनके रनवे, रडार साइट और विमान हैंगर आदि का विनाश भी शामिल है।इस सप्ताह की शुरुआत में दो बिल्कुल नए स्टील्थ फ्रिगेट, आईएनएस उदयगिरि और आईएनएस हिमगिरि, भारतीय नौसेना में शामिल किए गए। ये दोनों पोत ब्रह्मोस मिसाइलों से लैस हैं।आईएनएस उदयगिरि और आईएनएस हिमगिरि के शामिल होने के साथ ही भारतीय नौसेना में ब्रह्मोस एंटी-शिप मिसाइल ले जाने वाले स्टील्थ फ्रिगेट की संख्या बढ़कर 14 हो गई है।ब्रह्मोस मिसाइलों से लैस स्टील्थ फ्रिगेट के अलावा, नौसेना 13 विध्वंसक जहाजों का भी संचालन करती है जो दुनिया के सबसे तेज सुपरसोनिक हथियार से लैस हैं।इसके अलावा, भारतीय नौसेना के नए विध्वंसक पोतों में 16 ब्रह्मोस लांचर हैं, जबकि पिछले पोतों में केवल आठ लांचर थे।यदि विध्वंसक और फ्रिगेट को मिला दिया जाए तो भारतीय नौसेना 2030 तक समुद्र से एक बार में 300 ब्रह्मोस मिसाइलें दागने में सक्षम हो जाएगी।भारतीय नौसेना के सेवानिवृत्त कमोडोर और वर्तमान में थिंक टैंक चेन्नई सेंटर फॉर चाइना स्टडीज (C3S) के प्रमुख शेषाद्रि वासन ने Sputnik India को बताया कि अब मानक ऑपरेशन सिंदूर बन गया है, जिसमें भारतीय वायु सेना (IAF) द्वारा ब्रह्मोस का बड़े पैमाने पर उपयोग किया गया, जबकि एक लड़ाकू जेट कितना ले जा सकता है, इसकी एक निश्चित सीमा होती है। लेकिन युद्धपोत पर ऐसी कोई सीमा नहीं है।इसके अलावा, यह भी नहीं भूलना चाहिए कि ब्रह्मोस में जमीन पर स्थित लक्ष्यों को भेदने की क्षमता है। इसलिए, पनडुब्बियों सहित वायु सेना और नौसेना द्वारा समन्वित हमले से भारत, शत्रु के संपूर्ण रक्षा पारिस्थितिकी तंत्र को संतृप्त करने में सफल होगा। इसके अलावा, इस तरह की स्ट्राइक क्षमता भारत को इच्छानुसार लक्ष्यों को भेदने में सक्षम बनाएगी, सैन्य विशेषज्ञ ने बताया।संक्षेप में, उन्होंने कहा कि भारतीय नौसेना के सम्पूर्ण बेड़े को ब्रह्मोस मिसाइलों से सुसज्जित करना, इस प्रकार के जहाजों के लिए तैयार की जा रही पोत-रोधी और भूमि-रोधी क्षमता के संदर्भ में एक अभूतपूर्व मूल्य संवर्धन है।
https://hindi.sputniknews.in/20250828/know-how-russia-can-help-india-build-sudarshan-chakra-air-defence-shield-9673800.html
भारत
Sputnik भारत
feedback.hindi@sputniknews.com
+74956456601
MIA „Rossiya Segodnya“
2025
Sputnik भारत
feedback.hindi@sputniknews.com
+74956456601
MIA „Rossiya Segodnya“
खबरें
hi_IN
Sputnik भारत
feedback.hindi@sputniknews.com
+74956456601
MIA „Rossiya Segodnya“
https://cdn1.img.sputniknews.in/img/07e7/0b/16/5530177_189:0:1230:781_1920x0_80_0_0_13404372c97b72ee989f2c3aa6dce9fa.pngSputnik भारत
feedback.hindi@sputniknews.com
+74956456601
MIA „Rossiya Segodnya“
भारतीय नौसेना, ब्रह्मोस मिसाइलों से लैस, ब्रह्मोस मिसाइल की मारक क्षमता, ब्रह्मोस की क्षमता, भारतीय नौसेना के युद्धपोत, हिंद महासागर क्षेत्र (ior) में परिवर्तन, पाकिस्तान के विरुद्ध ऑपरेशन, भारत-रूस के की सफलता, आईएनएस उदयगिरि, आईएनएस हिमगिरि, दक्षिण एशियाई राष्ट्र की नौसेना, सुपरसोनिक हथियार, विध्वंसक जहाज, भारतीय नौसेना के नए विध्वंसक पोत, भारतीय नौसेना के बेड़े
भारतीय नौसेना, ब्रह्मोस मिसाइलों से लैस, ब्रह्मोस मिसाइल की मारक क्षमता, ब्रह्मोस की क्षमता, भारतीय नौसेना के युद्धपोत, हिंद महासागर क्षेत्र (ior) में परिवर्तन, पाकिस्तान के विरुद्ध ऑपरेशन, भारत-रूस के की सफलता, आईएनएस उदयगिरि, आईएनएस हिमगिरि, दक्षिण एशियाई राष्ट्र की नौसेना, सुपरसोनिक हथियार, विध्वंसक जहाज, भारतीय नौसेना के नए विध्वंसक पोत, भारतीय नौसेना के बेड़े
जानें भारतीय नौसेना द्वारा बेड़े को ब्रह्मोस मिसाइलों से लैस करने से मारक क्षमता पर प्रभाव
भारतीय नौसेना वर्तमान में लगभग 135 युद्धपोतों का संचालन करती है तथा 2035 तक उसके बेड़े में कम से कम 175 युद्धपोत शामिल करने की योजना है।
भारतीय नौसेना ने अपने समूचे नौसैनिक बेड़े को बहुप्रशंसित ब्रह्मोस मिसाइलों से सुसज्जित करने के लिए 2030 तक का लक्ष्य रखा है। इसे हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में एक बड़ा परिवर्तनकारी कदम विशेष रूप से इस वर्ष के प्रारंभ में पाकिस्तान के विरुद्ध ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत-रूस के शानदार प्रयास की सफलता के बाद माना जा रहा है
रूसी मूल के Su-30MKI से दागे गए ब्रह्मोस ने पाकिस्तान पर कहर बरपाया, जिससे उनके सैन्य ठिकानों को भारी नुकसान पहुंचा, जिसमें उनके रनवे, रडार साइट और विमान हैंगर आदि का विनाश भी शामिल है।
यह देखते हुए कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान की वायु
रक्षा प्रणाली द्वारा ब्रह्मोस को रोका नहीं जा सका था, भारत की नौसेना की नौकाओं को इस प्रक्षेपास्त्र से सुसज्जित करने पर जोर और अधिक बढ़ गया है।
इस सप्ताह की शुरुआत में दो बिल्कुल नए स्टील्थ फ्रिगेट, आईएनएस उदयगिरि और आईएनएस हिमगिरि, भारतीय नौसेना में शामिल किए गए। ये दोनों पोत ब्रह्मोस मिसाइलों से लैस हैं।
आईएनएस उदयगिरि और आईएनएस हिमगिरि के शामिल होने के साथ ही भारतीय नौसेना में ब्रह्मोस एंटी-शिप मिसाइल ले जाने वाले स्टील्थ फ्रिगेट की संख्या बढ़कर 14 हो गई है।
वर्ष 2030 तक दक्षिण एशियाई राष्ट्र की नौसेना के पास 20 ऐसे फ्रिगेट होने की उम्मीद है, जो आठ वर्टिकल-लॉन्च ब्रह्मोस मिसाइलें ले जा सकेंगे।
ब्रह्मोस मिसाइलों से लैस स्टील्थ फ्रिगेट के अलावा, नौसेना 13 विध्वंसक जहाजों का भी संचालन करती है जो दुनिया के सबसे तेज सुपरसोनिक हथियार से लैस हैं।
इसके अलावा, भारतीय नौसेना के नए विध्वंसक पोतों में 16 ब्रह्मोस लांचर हैं, जबकि पिछले पोतों में केवल आठ लांचर थे।
यदि विध्वंसक और फ्रिगेट को मिला दिया जाए तो भारतीय नौसेना 2030 तक समुद्र से एक बार में 300 ब्रह्मोस मिसाइलें दागने में सक्षम हो जाएगी।
भारतीय नौसेना के सेवानिवृत्त कमोडोर और वर्तमान में थिंक टैंक चेन्नई सेंटर फॉर चाइना स्टडीज (C3S) के प्रमुख शेषाद्रि वासन ने Sputnik India को बताया कि अब मानक ऑपरेशन सिंदूर बन गया है, जिसमें भारतीय वायु सेना (IAF) द्वारा ब्रह्मोस का बड़े पैमाने पर उपयोग किया गया, जबकि एक लड़ाकू जेट कितना ले जा सकता है, इसकी एक निश्चित सीमा होती है। लेकिन युद्धपोत पर ऐसी कोई सीमा नहीं है।
उन्होंने कहा, "भारत के फ्रिगेट और
विध्वंसक पोतों को नई पीढ़ी के ब्रह्मोस से सुसज्जित किया जा सकता है, जिसकी मारक क्षमता 800-900 किलोमीटर मानी जाती है और यदि इस हथियार की मारक क्षमता इतनी है तो इससे भारतीय नौसेना को अरब सागर में कहीं भी इसे दागने और कुछ ही सेकंड में दुश्मन की सैन्य संपत्तियों को नष्ट करने की अभूतपूर्व सुविधा मिल जाएगी।"
इसके अलावा, यह भी नहीं भूलना चाहिए कि ब्रह्मोस में जमीन पर स्थित लक्ष्यों को भेदने की क्षमता है। इसलिए, पनडुब्बियों सहित वायु सेना और नौसेना द्वारा समन्वित हमले से भारत, शत्रु के संपूर्ण
रक्षा पारिस्थितिकी तंत्र को संतृप्त करने में सफल होगा। इसके अलावा, इस तरह की स्ट्राइक क्षमता भारत को इच्छानुसार लक्ष्यों को भेदने में सक्षम बनाएगी, सैन्य विशेषज्ञ ने बताया।
वासन ने जोर देकर कहा, "जैसा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान दुनिया ने देखा, ब्रह्मोस की सुपरसोनिक गति, एस पैंतरेबाज़ी और लचीले उड़ान पथ के कारण इसे रोकना लगभग असंभव है। इसलिए, इसकी सफलता दर बहुत अधिक होगी और रही भी है। ब्रह्मोस के मामले में संभाव्यता की चक्रीय त्रुटि (CEP), जैसा कि भारतीय वायुसेना द्वारा पाकिस्तानी सैन्य ढांचे पर किए गए हमलों के दौरान देखा गया था, लगभग एक मीटर है।"
संक्षेप में, उन्होंने कहा कि भारतीय नौसेना के सम्पूर्ण बेड़े को ब्रह्मोस मिसाइलों से सुसज्जित करना, इस प्रकार के जहाजों के लिए तैयार की जा रही पोत-रोधी और भूमि-रोधी क्षमता के संदर्भ में एक अभूतपूर्व मूल्य संवर्धन है।