शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के तियानजिन सम्मेलन में PM मोदी, राष्ट्रपति पुतिन और राष्ट्रपति शी की तस्वीरों ने अमेरिकी कांग्रेस और सरकार में घबराहट पैदा की थी, जिससे वाशिंगटन की गहरी चिंता का पता चलता है।
अमेरिकी युद्ध विभाग की बुधवार को अपनी वेबसाइट पर छापी गई एक नई रिपोर्ट के मुताबिक "चीन LAC पर सुलझते विवाद का 'फायदा' उठाकर भारत-अमेरिका की बढ़ती नजदीकियों में दरार डालना चाहता है।"
'पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना से जुड़े सैन्य और सुरक्षा संबंधी घटनाक्रम' के शीर्षक वाली सालाना रिपोर्ट में दावा किया गया है कि नई दिल्ली शायद "चीन की कार्रवाइयों और उसके इरादों" को लेकर सतर्क बना हुआ है।
पेंटागन प्रकाशन में कहा गया है, "लगातार आपसी अविश्वास और दूसरी परेशान करने वाली बातें लगभग निश्चित रूप से आपसी रिश्तों को सीमित करती हैं।"
इसमें पिछले अक्टूबर में कज़ान में BRICS सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हुई अहम बैठक का भी ज़िक्र किया गया है। यह बैठक दोनों सरकारों द्वारा पूर्वी लद्दाख में चार साल से चल रहे सीमा गतिरोध को हल करने के लिए सैन्य वापसी समझौते की घोषणा के कुछ ही दिनों बाद हुई।
पेंटागन रिपोर्ट में कहा गया है, "शी-मोदी बैठक से दोनों देशों के बीच हर महीने होने वाली उच्च स्तरीय बैठक की शुरुआत हुई, जिसमें पार्टियों ने सीमा प्रबंधन और दोनों देशों के रिश्तों के लिए अगले कदमों पर चर्चा की, जिसमें दोनों देशों के बीच सीधी उड़ानें, वीजा की सुविधा, सूचना और पत्रकारों का आदान प्रदान शामिल है।"