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चीन ने नेपाल में वन बेल्ट वन रोड परियोजना को जल्दी कर रहा है
चीन ने नेपाल में वन बेल्ट वन रोड परियोजना को जल्दी कर रहा है
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नेपाल की नई सरकार ने कहा कि वह दोनों भारत और चीन के साथ "संतुलित" संबंध बनाए रखना चाहती है, क्योंकि वे नेपाल के सबसे बड़े पड़ोसी और आर्थिक साझेदार हैं।
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चीन ने नेपाल से आर्थिक और व्यापार के संबंधों को ऐसी कई पहलों की मदद से गहरा करने की इच्छा की घोषणा की, जिन में से 2023 की शुरुआत में यारी-पुरांग सीमा को व्यापार के लिए खोलने की पहल है।2023 की शुरुआत में यारी-पुरांग सीमा को व्यापार के लिए खोलने की घोषणा चीन-नेपाल संबंधों में हाल के सुधारों के बाद की गई। उन सुधारों में माल भेजने के लिए रसुवागढ़ी-केरुंग सीमा मार्ग को फिर से खोलना और चीन-नेपाल क्रॉस-बॉर्डर रेलवे यानी "स्काई रोड" का व्यवहार्यता का अध्ययन और सर्वेक्षण करने के लिए चीनी विशेषज्ञों का आगमन शामिल हैं।ये घटनाएं उस रेलवे के निर्माण के लिए महत्वपूर्ण कदम हैं। उम्मीद है कि वे दोनों देशों के आर्थिक और व्यापारिक संबंधों को और मजबूत करेगा। उस परियोजना को बीअरआई के लिए महत्वपूर्ण कहकर चीनी दूतावास ने कहा कि भूमि-बंद देश से भूमि-जुड़े देश में बदलने का नेपाल का सपना पूरा होनेवाला है।यारी-पुरंग छह ऐसी सीमाओं में से है जिनको 2019 में नेपाल के साथ भूमि मार्गों के माध्यम से द्विपक्षीय व्यापार करने के लिए आधिकारिक तौर पर घोषित किया गया था। उन में कोडारी-न्यालम, रसुवा-केरुंग, ओलाङचुङगोला-रिवु, किमाथंका-रिवु और नेचुंग-लिज़ी शामिल हैं। इन सुधारों से पहले नेपाल के पास केवल भारत से होकर अन्य देशों के साथ व्यापार करने का मौका था।चीनी राजनयिक ने कहा कि काठमांडू में सिविल सर्विसेज़ अस्पताल अनेवाले भविष्य में तैयार किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि चीनी-नेपाली बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) की मदद से नेपाली लोगों को लाभ पहुंचाया गया है।चीन ने व्यापार को आसान करने के लिए सब छह व्यापारिक स्थानों पर सूखे बंदरगाहों का निर्माण करने का वादा भी किया। एक ऐसा बंदरगाह बनाया गया है और अब लार्चा में नेपाली अधिकारियों के नियंत्रण में है। नेपाल-तिब्बत सीमा क्षेत्र में सिमिकोट-हिलसा, जोमसोम-कोरला और खंडबाड़ी-किमंथंका से होकर क्रॉस-बॉर्डर सड़कों को विकसित करने पर भी काम किया जा रहा है।दोनों देशों ने सीमा सहयोग का विस्तार करने के अपने प्रयासों के आधार पर सियाफ्रुबेसी-रसुवागढ़ी सड़क पर भी काम शुरू किया। पुष्प कमल दहल यानी प्रचंड की नेपाल की नई साम्यवादी सरकार ने दावा किया कि वह दोनों भारत और चीन के साथ "संतुलित" संबंध बनाए रखना चाहती है, क्योंकि ये देश नेपाल के सबसे बड़े पड़ोसी और आर्थिक साझेदार हैं।सरकार को उम्मीद है कि यह स्थिति नेपाल के लिए फायदेमंद होगी क्योंकि यह उसको किसी देश पर निर्भर किए बिना दोनों देशों द्वारा पेश किए गए आर्थिक अवसरों का लाभ उठाने देती है।
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वन बेल्ट वन रोड, नेपाल में चीन के दूतावास के प्रभारी वांग शिन, चीन-नेपाल क्रॉस-बॉर्डर रेलवे, बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव, बीआरआई, नेपाल-तिब्बत सीमा क्षेत्र, पुष्प कमल दहल, प्रचंड
वन बेल्ट वन रोड, नेपाल में चीन के दूतावास के प्रभारी वांग शिन, चीन-नेपाल क्रॉस-बॉर्डर रेलवे, बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव, बीआरआई, नेपाल-तिब्बत सीमा क्षेत्र, पुष्प कमल दहल, प्रचंड
चीन ने नेपाल में वन बेल्ट वन रोड परियोजना को जल्दी कर रहा है
नेपाल ने आधिकारिक तौर पर रविवार को चीन द्वारा वित्तपोषित पोखरा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे का उद्घाटन किया है। बीजिंग ने वन बेल्ट वन रोड की नेपाल में पहली परियोजना के रूप में उसका वर्णन किया।
चीन ने नेपाल से आर्थिक और व्यापार के संबंधों को ऐसी कई पहलों की मदद से गहरा करने की इच्छा की घोषणा की, जिन में से 2023 की शुरुआत में यारी-पुरांग सीमा को व्यापार के लिए खोलने की पहल है।
नेपाल में चीन के दूतावास के प्रभारी वांग शिन ने ज़ोर देकर कहा, "चीन में अधिक नेपाली उत्पादों का निर्यात किया जाएगा।"
2023 की शुरुआत में यारी-पुरांग सीमा को व्यापार के लिए खोलने की घोषणा चीन-नेपाल संबंधों में हाल के सुधारों के बाद की गई। उन सुधारों में माल भेजने के लिए रसुवागढ़ी-केरुंग सीमा मार्ग को फिर से खोलना और चीन-नेपाल क्रॉस-बॉर्डर रेलवे यानी "स्काई रोड" का व्यवहार्यता का अध्ययन और सर्वेक्षण करने के लिए चीनी विशेषज्ञों का आगमन शामिल हैं।
ये घटनाएं उस रेलवे के निर्माण के लिए महत्वपूर्ण कदम हैं। उम्मीद है कि वे दोनों देशों के आर्थिक और व्यापारिक संबंधों को और मजबूत करेगा।
उस परियोजना को बीअरआई के लिए महत्वपूर्ण कहकर चीनी दूतावास ने कहा कि भूमि-बंद देश से भूमि-जुड़े देश में बदलने का नेपाल का सपना पूरा होनेवाला है।
यारी-पुरंग छह ऐसी सीमाओं में से है जिनको 2019 में नेपाल के साथ भूमि मार्गों के माध्यम से द्विपक्षीय व्यापार करने के लिए आधिकारिक तौर पर घोषित किया गया था। उन में कोडारी-न्यालम, रसुवा-केरुंग, ओलाङचुङगोला-रिवु, किमाथंका-रिवु और नेचुंग-लिज़ी शामिल हैं।
इन सुधारों से पहले
नेपाल के पास केवल भारत से होकर अन्य देशों के साथ व्यापार करने का मौका था।
वांग ने जोर देकर कहा, "चीन हमेशा पड़ोसी की कूटनीति और बीआरआई के सहयोग के संदर्भ में नेपाल को प्राथमिकता देता रहा। वह नेपाल को राजनीतिक स्थिरता बनाए रखने और अर्थव्यवस्था और लोगों की आजीविका में सुधार करने में मदद करता है।"
चीनी राजनयिक ने कहा कि काठमांडू में सिविल सर्विसेज़ अस्पताल अनेवाले भविष्य में तैयार किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि चीनी-नेपाली बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) की मदद से नेपाली लोगों को लाभ पहुंचाया गया है।
चीन ने व्यापार को आसान करने के लिए सब छह व्यापारिक स्थानों पर सूखे बंदरगाहों का निर्माण करने का वादा भी किया। एक ऐसा बंदरगाह बनाया गया है और अब लार्चा में नेपाली अधिकारियों के नियंत्रण में है।
नेपाल-तिब्बत सीमा क्षेत्र में सिमिकोट-हिलसा, जोमसोम-कोरला और खंडबाड़ी-किमंथंका से होकर क्रॉस-बॉर्डर सड़कों को विकसित करने पर भी काम किया जा रहा है।
दोनों देशों ने सीमा सहयोग का विस्तार करने के अपने प्रयासों के आधार पर सियाफ्रुबेसी-रसुवागढ़ी सड़क पर भी काम शुरू किया।
पुष्प कमल दहल यानी प्रचंड की नेपाल की नई साम्यवादी सरकार ने दावा किया कि वह दोनों भारत और चीन के साथ "संतुलित" संबंध बनाए रखना चाहती है, क्योंकि ये देश नेपाल के सबसे बड़े
पड़ोसी और आर्थिक साझेदार हैं।
सरकार को उम्मीद है कि यह स्थिति नेपाल के लिए फायदेमंद होगी क्योंकि यह उसको किसी देश पर निर्भर किए बिना दोनों देशों द्वारा पेश किए गए आर्थिक अवसरों का लाभ उठाने देती है।