https://hindi.sputniknews.in/20230113/isro-dvaariaa-prdaan-kii-gii-saitelaait-tsviirion-se-ptaa-chlaa-ki-puuriaa-joshiimth-duub-sktaa-hai-487637.html
ISRO द्वारा प्रदान की गई सैटेलाइट तस्वीरों से पता चला कि पूरा जोशीमठ डूब सकता है
ISRO द्वारा प्रदान की गई सैटेलाइट तस्वीरों से पता चला कि पूरा जोशीमठ डूब सकता है
Sputnik भारत
ISRO ने जोशीमठ की उपग्रह तस्वीरें जारी कीं और जमीन धंसने की प्रारंभिक रिपोर्ट से यह पता चला कि पूरा शहर डूब सकता है।
2023-01-13T12:17+0530
2023-01-13T12:17+0530
2023-01-13T12:17+0530
राजनीति
जोशीमठ
इसरो
प्राकृतिक विपदा
उत्तराखंड
हिमालय
भारत
https://cdn1.img.sputniknews.in/img/07e7/01/0d/487838_0:142:2728:1677_1920x0_80_0_0_f19cab4e593d9d8715675d58ac4e5891.jpg
शुक्रवार को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने जोशीमठ की उपग्रह तस्वीरें जारी कीं और जमीन धंसने की प्रारंभिक रिपोर्ट से यह पता चला कि पूरा शहर डूब सकता है। इस रिपोर्ट के अनुसार "अप्रैल से नवंबर 2022 तक 7 महीनों के लिए जोशीमठ शहर के भीतर 9 सेमी तक की धीमी गिरावट दर्ज की गई थी।"लंबी पैदल यात्रा और स्की गंतव्य के पर्यटन स्थल जोशीमठ-औली रोड के क्षेत्र को जो 2,180 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है धंसाव का केंद्र कहा गया है।उत्तराखंड सरकार वहां के रहनेवालों के घरों में दरारें आने और भूस्खलन शुरू होने पर ही शहर की कम से कम 10 प्रतिशत प्रभावित आबादी को तत्काल खाली करने लगी। गुरुवार को, सेना कमान ने जोशीमठ और आसपास के क्षेत्रों से सैन्य कर्मियों की "अस्थायी वापसी" शुरू की, क्योंकि सैन्य विभाग से संबंधित लगभग 30 इमारतों में भी दरारें आ गई थीं। भारत के पास इस क्षेत्र में 20,000 से अधिक सैनिक तैनात हैं क्योंकि यहां चीन के साथ सीमा पर भारतीय चौकी का एक महत्वपूर्ण केंद्र है।आपदा से निपटने के लिए आपदा नियंत्रण कक्ष स्थापित करके चिकित्सा उपचार सुविधाओं और हेलीकाप्टर सेवाओं प्रदान करने से सक्रिय निकासी और क्षतिपूर्ति करने तक पहाड़ी राज्य की सरकार सभी ज़रूरी कदम उठाती है।
https://hindi.sputniknews.in/20230112/uttaraakhand-ke-josheemath-ke-baad-ab-karnaprayaag-mein-bhee-daraaren-477775.html
उत्तराखंड
हिमालय
भारत
Sputnik भारत
feedback.hindi@sputniknews.com
+74956456601
MIA „Rossiya Segodnya“
2023
Sputnik भारत
feedback.hindi@sputniknews.com
+74956456601
MIA „Rossiya Segodnya“
खबरें
hi_IN
Sputnik भारत
feedback.hindi@sputniknews.com
+74956456601
MIA „Rossiya Segodnya“
https://cdn1.img.sputniknews.in/img/07e7/01/0d/487838_152:0:2577:1819_1920x0_80_0_0_5007fdaacb9f351b4f306e46c2a26375.jpgSputnik भारत
feedback.hindi@sputniknews.com
+74956456601
MIA „Rossiya Segodnya“
अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, जोशीमठ की उपग्रह तस्वीरें, जोशीमठ-औली रोड, घरों में दरारें आने और भूस्खलन, सैन्य कर्मियों की अस्थायी वापसी, स्की गंतव्य के पर्यटन स्थल, अवतलन का कारण, जलभृत, उत्तराखंड सरकार के कदम
अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, जोशीमठ की उपग्रह तस्वीरें, जोशीमठ-औली रोड, घरों में दरारें आने और भूस्खलन, सैन्य कर्मियों की अस्थायी वापसी, स्की गंतव्य के पर्यटन स्थल, अवतलन का कारण, जलभृत, उत्तराखंड सरकार के कदम
ISRO द्वारा प्रदान की गई सैटेलाइट तस्वीरों से पता चला कि पूरा जोशीमठ डूब सकता है
बद्रीनाथ जैसे कई हिमालयी पर्वतारोहण अभियानों, ट्रेकिंग ट्रेल्स और तीर्थस्थलों का प्रवेश द्वार होकर जोशीमठ, जो एक महत्वपूर्ण धार्मिक केंद्र के रूप में मना जाता है हाल ही में भूमि धंसने के कारण एक बड़ी चुनौती का सामना कर रहा है।
शुक्रवार को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने जोशीमठ की उपग्रह तस्वीरें जारी कीं और जमीन धंसने की प्रारंभिक रिपोर्ट से यह पता चला कि पूरा शहर डूब सकता है। इस रिपोर्ट के अनुसार "अप्रैल से नवंबर 2022 तक 7 महीनों के लिए जोशीमठ शहर के भीतर 9 सेमी तक की धीमी गिरावट दर्ज की गई थी।"
इसरो के मुताबिक पिछले साल के अंत में, 27 दिसंबर से 8 जनवरी तक - शहर 5.4 सेमी तक डूब गया जिसे अत्यन्त मजबूत गिरावट के रूप में समझा जाता है।
लंबी पैदल यात्रा और स्की गंतव्य के पर्यटन स्थल जोशीमठ-औली रोड के क्षेत्र को जो 2,180 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है धंसाव का केंद्र कहा गया है।
उत्तराखंड सरकार वहां के रहनेवालों के घरों में दरारें आने और भूस्खलन शुरू होने पर ही शहर की कम से कम 10 प्रतिशत प्रभावित आबादी को तत्काल खाली करने लगी। गुरुवार को, सेना कमान ने जोशीमठ और आसपास के क्षेत्रों से सैन्य कर्मियों की "अस्थायी वापसी" शुरू की, क्योंकि सैन्य विभाग से संबंधित लगभग 30 इमारतों में भी दरारें आ गई थीं। भारत के पास इस क्षेत्र में 20,000 से अधिक सैनिक तैनात हैं क्योंकि यहां चीन के साथ सीमा पर भारतीय चौकी का एक महत्वपूर्ण केंद्र है।
बुधवार को आपदा प्रबंधन कार्यालय द्वारा पेश की गई जानकारी के अनुसार इस छोटे से पहाड़ी शहर में जिस में 17,000 से अधिक लोग रहते हैं अवतलन का कारण जलभृत टूटना है, जिससे पानी निकल जाने लगा और मिट्टी डूब जा चुकी थी। स्थानीय इमारतों, सड़कों और आस-पास के क्षेत्रों में भारी दरारें दिखाई दीं।
आपदा से निपटने के लिए आपदा नियंत्रण कक्ष स्थापित करके चिकित्सा उपचार सुविधाओं और हेलीकाप्टर सेवाओं प्रदान करने से सक्रिय निकासी और क्षतिपूर्ति करने तक पहाड़ी राज्य की सरकार सभी ज़रूरी कदम उठाती है।