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आज भारत और रूस 1993 की मैत्री एवं सहयोग की संधि की 30वीं जयंती मना रहे हैं
आज भारत और रूस 1993 की मैत्री एवं सहयोग की संधि की 30वीं जयंती मना रहे हैं
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सोवियत संघ और भारत के राजनयि संबंध 13 अप्रैल, 1947 को स्थापित किए गए थे। 1991 के बाद भारत और रूस ने 250 से अधिक द्विपक्षीय दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए गए।
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भारतीय-रूसी संबंधों की एक विशेषता बहुत राजनीतिक संपर्क है। इन देशों के नेताओं की बैठकें और बातचीत वार्षिक रूप से आयोजित की जाती हैं, जिनके दौरान दोनों देशों के सहयोग के प्रमुख मुद्दों के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय और क्षेत्रीय समस्याओं पर चर्चा की जाती है।भारतीय-रूसी संबंधों के लिए आधारभूत दस्तावेज़ 1993 की मैत्री एवं सहयोग की संधि है।1993 की मैत्री एवं सहयोग की भारतीय-रूसी संधि क्या है?रूसी राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन और भारतीय राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा ने इस संधि पर हस्ताक्षर 28 जनवरी 1993 को किए थे। इस संधि ने औपचारिक रूप से 11 अक्तूबर 1993 को काम करना शुरू किया। यह हिन्दी, रूसी और अंग्रेजी में लिखा गया है।संधि में परिचय और 14 अनुच्छेद शामिल हैं। परिचय में दोनों देश लोकतंत्र, शांति के आदर्श, अंतर्राष्ट्रीय कानून, मानवाधिकारों और स्वतंत्रता को सुनिश्चित करने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त करते हैं। इसके साथ रूस और भारत अपने द्विपक्षीय सहयोग को मजबूत और विकसित करने की इच्छा भी जताते हैं।1993 की मैत्री एवं सहयोग की भारतीय-रूसी संधि के अनुच्छेदों में क्या है?पहले और दूसरे अनुच्छेदों में भारत और रूस दावा करते हैं कि वे अपने शांतिपूर्ण, मैत्रीपूर्ण, राजनीतिक और आर्थिक संबंधों को मजबूती देने के साथ-साथ एक दूसरी की स्वतंत्रता, अखंडता और नीति का आदर करेंगे।अनुच्छेदों नंबर 5, 6 और 7 के अनुसार भारत और रूस विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में अपना सहयोग को बढ़ावा देने के साथ पारस्परिक रूप से लाभदायक व्यापार, आर्थिक, वैज्ञानिक और तकनीकी सहयोग को विकसित करने में एक दूसरे को मदद देंगे।अनुच्छेदों नंबर 8, 9, 10 और 11 में भारत और रूस पर्यावरण, संस्कृति, पर्यटन, खेल, स्वास्थ्य और सूचना सहित विभिन्न क्षेत्रों में अपने सहयोग को बढ़ाने का अपना इरादा जताते हैं।13वें और 14वें अनुच्छेदों में लिखा गया है कि यह संधि 20 वर्षों तक काम करेगी। अगर भारत या रूस इसको हटाने पर सहमति नहीं व्यक्त करेंगे तो यह स्वचालित रूप से और पांच वर्षों तक काम करना जारी रखेगी।1993 की मैत्री एवं सहयोग की भारतीय-रूसी संधि का आधार क्या है?1993 की मैत्री एवं सहयोग की भारतीय-रूसी संधि 1971 के भारत-सोवियत मैत्री संघ पर आधारित है।1971 के भारत-सोवियत मैत्री संघ पर हस्ताक्षर करके भारत और सोवियत संघ ने दावा किया था कि वे अपने संबंधों को विस्तार करते हुए एक दूसरी की स्वतंत्रता, अखंडता, सम्प्रभुता, बराबरी और आपसी लाभ का सम्मान करेंगे।
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भारतीय-रूसी संबंधों की विशेषता, 1993 की मैत्री एवं सहयोग की संधि, 1993 की मैत्री एवं सहयोग की भारतीय-रूसी संधि क्या है, 1993 की मैत्री एवं सहयोग की भारतीय-रूसी संधि के अनुच्छेदों में क्या है, 1993 की मैत्री एवं सहयोग की भारतीय-रूसी संधि का आधार क्या है, रूसी राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन, भारतीय राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा, 1971 के भारत-सोवियत मैत्री संघ
भारतीय-रूसी संबंधों की विशेषता, 1993 की मैत्री एवं सहयोग की संधि, 1993 की मैत्री एवं सहयोग की भारतीय-रूसी संधि क्या है, 1993 की मैत्री एवं सहयोग की भारतीय-रूसी संधि के अनुच्छेदों में क्या है, 1993 की मैत्री एवं सहयोग की भारतीय-रूसी संधि का आधार क्या है, रूसी राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन, भारतीय राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा, 1971 के भारत-सोवियत मैत्री संघ
आज भारत और रूस 1993 की मैत्री एवं सहयोग की संधि की 30वीं जयंती मना रहे हैं
09:30 28.01.2023 (अपडेटेड: 18:51 28.01.2023) सोवियत संघ और भारत के राजनयि संबंध 13 अप्रैल, 1947 को स्थापित किए गए थे। 1991 के बाद भारत और रूस ने 250 से अधिक द्विपक्षीय दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए गए हैं।
भारतीय-रूसी संबंधों की एक विशेषता बहुत राजनीतिक संपर्क है। इन देशों के नेताओं की बैठकें और बातचीत वार्षिक रूप से आयोजित की जाती हैं, जिनके दौरान दोनों देशों के सहयोग के प्रमुख मुद्दों के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय और क्षेत्रीय समस्याओं पर चर्चा की जाती है।
भारतीय-रूसी संबंधों के लिए आधारभूत दस्तावेज़ 1993 की मैत्री एवं सहयोग की संधि है।
1993 की मैत्री एवं सहयोग की भारतीय-रूसी संधि क्या है?
रूसी राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन और भारतीय राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा ने इस संधि पर हस्ताक्षर 28 जनवरी 1993 को किए थे। इस संधि ने औपचारिक रूप से 11 अक्तूबर 1993 को काम करना शुरू किया। यह हिन्दी, रूसी और अंग्रेजी में लिखा गया है।
संधि में
परिचय और 14 अनुच्छेद शामिल हैं। परिचय में दोनों देश लोकतंत्र, शांति के आदर्श, अंतर्राष्ट्रीय कानून,
मानवाधिकारों और स्वतंत्रता को सुनिश्चित करने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त करते हैं। इसके साथ रूस और भारत अपने द्विपक्षीय सहयोग को मजबूत और विकसित करने की इच्छा भी जताते हैं।
1993 की मैत्री एवं सहयोग की भारतीय-रूसी संधि के अनुच्छेदों में क्या है?
पहले और दूसरे अनुच्छेदों में भारत और रूस दावा करते हैं कि वे अपने शांतिपूर्ण, मैत्रीपूर्ण, राजनीतिक और आर्थिक संबंधों को मजबूती देने के साथ-साथ एक दूसरी की स्वतंत्रता, अखंडता और नीति का आदर करेंगे।
तीसरे और चौथे अनुच्छेदों में रूस और भारत वादा करते हैं कि वे कोई ऐसा कार्य नहीं करेंगे जिस से वे एक दूसरे को नुकसान कर सकते हैं। इसके अलावा वे दोनों देशों की नीति से संबंधित मुद्दों पर आम तौर पर चर्चा करने के लिए अपनी तैयारी जताते हैं।
अनुच्छेदों नंबर 5, 6 और 7 के अनुसार भारत और रूस विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में अपना सहयोग को बढ़ावा देने के साथ पारस्परिक रूप से लाभदायक
व्यापार, आर्थिक, वैज्ञानिक और तकनीकी सहयोग को विकसित करने में एक दूसरे को मदद देंगे।
अनुच्छेदों नंबर 8, 9, 10 और 11 में भारत और रूस पर्यावरण,
संस्कृति, पर्यटन, खेल, स्वास्थ्य और सूचना सहित विभिन्न क्षेत्रों में अपने सहयोग को बढ़ाने का अपना इरादा जताते हैं।
12वें अनुच्छेद के तहत भारत और रूस मानवाधिकारों को सुनिश्चित करने, एक दूसरे को आतंकवाद से लड़ने में मदद देने, नशीले पदार्थों और अपराधों को हटाने में सहयोग करने और धार्मिक अतिवाद को खत्म करने में एक दूसरे को सहायता देने का वादा करते हैं।
13वें और 14वें अनुच्छेदों में लिखा गया है कि यह संधि 20 वर्षों तक काम करेगी। अगर भारत या रूस इसको हटाने पर सहमति नहीं व्यक्त करेंगे तो यह स्वचालित रूप से और पांच वर्षों तक काम करना जारी रखेगी।
1993 की मैत्री एवं सहयोग की भारतीय-रूसी संधि का आधार क्या है?
1993 की मैत्री एवं सहयोग की भारतीय-रूसी संधि 1971 के भारत-सोवियत मैत्री संघ पर आधारित है।
1971 के भारत-सोवियत मैत्री संघ पर हस्ताक्षर करके भारत और सोवियत संघ ने दावा किया था कि वे अपने संबंधों को विस्तार करते हुए एक दूसरी की स्वतंत्रता, अखंडता, सम्प्रभुता, बराबरी और आपसी लाभ का सम्मान करेंगे।
1971 और 1993 के दोनों संधियों में मूलभूत अंतर यह है कि भारत-सोवियत मैत्री संघ के सब से महत्त्वपूर्ण मुद्दों में से सुरक्षा के मुद्दे थे, लेकिन 1993 की मैत्री एवं सहयोग की भारतीय-रूसी संधि में उनको इतना बड़ा ध्यान नहीं दिया जाता। विशेषज्ञों के अनुसार शीत युद्ध खत्म होने के बाद दूसरे मुद्दे सामने आकर ज्यादा अहम बन गए।