Hindu devotees listen to a religious leader at the Sangam, the confluence of the Ganges, Yamuna and mythical Saraswati rivers, during the annual traditional fair of Magh Mela festival, in Prayagraj, in the northern Indian state of Uttar Pradesh, Jan. 31, 2023. - Sputnik भारत

क्या भारत विश्व का सबसे अधिक जनता वाला देश बनने के लिए तैयार है?

1.428 अरब लोगों वाला भारत अप्रैल में दुनिया में सबसे अधिक जनता वाला देश बनकर चीन को पीछे छोड़ दिया।
भारत के दुनिया में सबसे अधिक जनता वाला देश बनने की हालिया खबरों पर वैश्विक विशेषज्ञों ने विभिन्न टिप्पणियाँ की हैं।
  • भौगोलिक रूप से, भारत दुनिया का सातवां सबसे बड़ा देश है, जो बेरोजगारी और जलवायु परिवर्तन के साथ-साथ सामाजिक और विकासात्मक मुद्दों से संबंधित कई चुनौतियों का सामना करता है।
  • केवल 75 सालों पहले, यह देश लंबे औपनिवेशिक और शाही अपमान और युद्ध की तबाही झेलने के बाद खुद का निर्माण करना शुरू किया था। अब भारत की अर्थव्यवस्था सकल घरेलू उत्पाद के संदर्भ में दुनिया के शीर्ष पांच अर्थव्यवस्थाओं में से एक है।
  • भारत अपने अंतरिक्ष अनुसंधान के कारण प्रसिद्ध है, यह आईटी उद्योग में वैश्विक नेता है, यह अपने बॉलीवुड उद्योग, परमाणु प्रौद्योगिकी, योग और ध्यान, अंतर्राष्ट्रीय खेल स्टारों और बहुत अन्य चीजों के कारण प्रसिद्ध है।
यह सब दर्शाता है कि देश ने पिछले 75 वर्षों का इस्तेमाल सफलतापूर्वक किया है और यह सकारात्मक भविष्य का संकेत है।
इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर पॉपुलेशन साइंसेज के जनसंख्या विज्ञान के शोधकर्ता डॉ. नंदलाल मिश्रा ने कहा कि भारत की बढ़ती जनसंख्या देश के लिए कोई चुनौती नहीं है और भारत को किसी भी जनसंख्या नियंत्रण उपाय की आवश्यकता नहीं है।
India Overtakes China in Terms of Population_promo - Sputnik भारत, 1920, 18.04.2023
विश्व
जनसंख्या के संदर्भ में भारत ने चीन को पीछे छोड़ दिया है
किसी नियंत्रण की आवश्यकता नहीं है
"भारत में जनसंख्या वृद्धि के सक्रिय नियंत्रण उपायों की आवश्यकता नहीं है क्योंकि कुल प्रजनन दर (TFR) प्रतिस्थापन स्तर (TFR=2.1) से नीचे गिर गई है। जनसंख्या में वृद्धि अभी पाप्यलैशन मोमेन्टम नामक एक तत्व के कारण हो रही है, जो 2060 तक जारी रहेगी जब हमारी जनसंख्या के 1.6 अरब के स्तर पर पहुँचने का अनुमान है," मिश्रा ने कहा।
केवल तीन प्रमुख राज्यों यानी बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड में TFR 2.1 से अधिक है।
1960 के दशक में, भारत की प्रजनन दर छह थी यानी आज के कुछ अफ्रीकी देशों के समान थी। हालांकि, तब से इसमें गिरावट हो रही है।
आगे से मिश्रा ने कहा कि भारत अब जनसांख्यिकीय संक्रमण के तीसरे चरण पर है, जो जन्म दर में गिरावट और ज्यादा बूढ़ी जनता से संबंधित है।
संक्रमण का यह चरण बच्चों और बूढ़ों की देखभाल करने की अनूठी चुनौती प्रस्तुत करता है।
वृहत स्तर पर, भारत में काम करनेवाली जनसंख्या निर्भर जनसंख्या से लगभग 1.5 गुना ज्यादा है, जो आर्थिक समृद्धि की संभावना प्रदान करता है।
अब भारत की 40 प्रतिशत जनसंख्या 25 वर्षों से कम आयु की है। प्यू रिसर्च सेंटर के अनुमान के अनुसार अमेरिका में 38 और चीन में 39 वर्षों की तुलना में भारत की औसत आयु 28 वर्ष है।
चुनौतियां क्या हैं?
भारत की तेजी से बढ़ती जनसंख्या कई नीतिगत चुनौतियाँ प्रस्तुत करती है, जिन में पर्याप्त स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और रोजगार के अवसर सुनिश्चित करने का उद्देश्य शामिल है।
PM Modi arrives in Hiroshima for 2023 G7 Summit - Sputnik भारत, 1920, 19.05.2023
Sputnik मान्यता
भारत के लिए 'पश्चिमी समूह में सम्मिलित होने के जाल में न फंसना' सही है: पूर्व पीएम के सलाहकार
मिश्रा ने कहा कि टीकाकरण में सुधार, मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाओं, पोषण कार्यक्रमों और रोग की रोकथाम सहित प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल पर ध्यान केंद्रित करना प्रमुख मुद्दों में से एक है।
शोधकर्ता ने कुछ सलाहें दीं कि भारत सकारात्मक रूप से इन चुनौतियों का सामना कैसे कर सकता है।
  • कौशल में सुधार और रोजगार में वृद्धि
मिश्रा ने कहा, "कौशल में सुधार से संबंधित कार्यक्रमों और उद्यमिता के अवसरों को बढ़ावा देने वाली नीतियों को लागू करें। शिक्षा और रोजगार को एकजुट करने के लिए सरकार, उद्योगों और शैक्षणिक संस्थानों के बीच सहयोग को बढ़ावा दें। उद्योगों के विकास को प्रोत्साहित करें और रोजगार के अधिक अवसर प्राप्त करने के लिए निवेश को बढ़ावा दें।"
  • शहरी नियोजन और विकास
शहरों में बढ़ती आबादी को रहने देने के लिए नियोजित शहरीकरण और विकास पर ध्यान दें। उन्होंने कहा कि इस में स्थायी शहरी बुनियादी ढांचे, सस्ते आवास, परिवहन नेटवर्क और स्वच्छ पानी, स्वच्छता और बिजली जैसी बुनियादी सुविधाओं तक पहुंच शामिल है।
  • सामाजिक कल्याण के कार्यक्रम
सामाजिक कल्याण के लक्षित कार्यक्रमों को लागू करें जो समाज के गरीब वर्गों को वित्तीय सहायता, स्वास्थ्य सेवा का लाभ और शैक्षिक सहायता प्रदान करते हैं।
विशेषज्ञ ने जोर देकर कहा कि ये कार्यक्रम गरीब वर्गों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने और सभी के लिए समान अवसर सुनिश्चित करने में मदद कर सकते हैं।
  • डेटा पर आधारित नीति बनाने का लक्ष्य
डेटा संग्रह प्रणालियों में सुधार लाएं और जनसंख्या के रुझानों, स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों, शिक्षा और रोजगार के रुझानों का अध्ययन करने के लिए डेटा का उपयोग करें।
मिश्रा ने आगे कहा कि इन नीतियों को लागू करके, भारत अपनी तेजी से बढ़ती जनसंख्या से जुड़ी नीतिगत चुनौतियों का समाधान कर सकता है और अपने नागरिकों को पर्याप्त स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और रोजगार के अवसर प्रदान करने पर काम कर सकता है।
हालांकि, यह कहना महत्वपूर्ण है कि इन चुनौतियों का समाधान जटिल और दीर्घकालिक प्रक्रिया है जिसके लिए निवेश, प्रतिबद्धता और सहयोग के सभी वर्गों का संयुक्त काम जरूरी है।
न्यूज़ फ़ीड
0
loader
चैट्स
Заголовок открываемого материала