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मणिपुर की महिलाएं सुरक्षा बलों के ऑपरेशन में बाधा डाल रही हैं: भारतीय सेना

© AFP 2023 -Indian Army and police personnel patrol during a combing operation at Kanto Sabal village near Imphal
Indian Army and police personnel patrol during a combing operation at Kanto Sabal village near Imphal - Sputnik भारत, 1920, 27.06.2023
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पिछले हफ्ते पूर्वी इंफाल में करीब 1500 महिलाओं की भीड़ ने सुरक्षाबलों को घेर लिया था। इस दौरान सुरक्षाबलों को 12 उग्रवादियों को मजबूरन छोड़ना पड़ा था।
हिंसाग्रस्त मणिपुर में उपद्रवी समूह सेना के खिलाफ महिलाओं को ढाल बना कर हिंसक घटनाओं को अंजाम देते हैं। इसके अलावा महिलाएं सेना के ऑपरेशन के दौरान रास्ता अवरुद्ध कर रही हैं।

“मणिपुर में महिला कार्यकर्ता जानबूझकर मार्गों को अवरुद्ध कर रही हैं और सुरक्षा बलों के ऑपरेशन में हस्तक्षेप कर रही हैं। इस तरह का अनुचित हस्तक्षेप जीवन और संपत्ति को बचाने के लिए गंभीर परिस्थितियों में सुरक्षा बलों द्वारा ठीक समय पर की जाने वाली प्रतिक्रिया के लिए हानिकारक है,” भारतीय सेना के स्पीयर कोर ने ट्वीट कर कहा।

ऐसा ही एक हालिया उदाहरण पिछले हफ्ते सामने आया जब सुरक्षा बलों को प्रतिबंधित चरमपंथी संगठन के 12 उपद्रवियों को रिहा करना पड़ा। इनमें स्वयंभू लेफ्टिनेंट कर्नल मोइरांगथेम तम्बा भी शामिल थे, जो 2015 के 6 डोगरा घात मामले का मास्टरमाइंड थे, जिसमें 18 सैन्यकर्मी मारे गए थे।
24 जून के ऑपरेशन में कांगलेई यावोल कन्ना लूप (KYKL) के 12 उग्रवादियों को हथियारों और गोला-बारूद के साथ पकड़ा गया था।
Indian Army and Assam Rifles personnel take part in a search operation of illegal weapons in Waroching village in Kangpokpi district some 24 km from Imphal on June 3, 2023, following ongoing ethnic violence in India's northeastern Manipur state.  - Sputnik भारत, 1920, 26.06.2023
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पिछले 24 घंटों में मणिपुर में 12 बंकर नष्ट किए गए: पुलिस
इस बीच, मणिपुर की राज्यपाल अनुसुइया उइके ने सोमवार को नई दिल्ली में राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की और उन्हें हिंसा प्रभावित राज्य की मौजूदा स्थिति से अवगत कराया।
बता दें कि मणिपुर में मैतै और कुकी समुदाय के बीच जारी जातीय संघर्ष में अब तक 100 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। मैतै समुदाय को अनुसूचित जनजाति (ST) श्रेणी में शामिल किए जाने की मांग के विरोध में 3 मई को ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किए जाने के बाद मणिपुर में हिंसक झड़पें शुरू हो गई थीं जिसके बाद हिंसा रोकने के लिए सेना को तैनात करना पड़ा।
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