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ब्रिक्स अंतरिक्ष संघ से वैज्ञानिक प्रयोगों में तेजी होगी: विशेषज्ञ
ब्रिक्स अंतरिक्ष संघ से वैज्ञानिक प्रयोगों में तेजी होगी: विशेषज्ञ
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दक्षिण अफ्रीका में खत्म हुए 15 वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने एक वक्तव्य में ब्रिक्स देशों से अंतरिक्ष अनुसंधान और मौसम की भविष्यवाणी के लिए एक मंच पर आने का सुझाव दिया था।
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15 वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने एक वक्तव्य में ब्रिक्स देशों से अंतरिक्ष अनुसंधान और मौसम की भविष्यवाणी के लिए एक मंच पर आने का सुझाव दिया था।Sputnik India ने प्रधानमंत्री मोदी के प्रस्ताव पर दिल्ली यूनिवर्सिटी में भौतिकी और खगोल भौतिकी विभाग में प्रोफेसर डॉ. मोहम्मद नईमुद्दीन से बात की तो उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री द्वारा रखे गए प्रस्ताव का स्वागत किया जाना चाहिए, यह सभी देशों के लिए लाभ का सौदा होगा।भारत के वैज्ञानिकों ने दो दिन पहले भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश बना और अगर पीएम मोदी के अंतरिक्ष अनुसंधान की स्थापना वाले सुझाव पर गौर किया जाए तो भारत ब्रिक्स देशों के साथ मिलकर कम समय में अंतरिक्ष में और भी आगे जा सकता है।ब्रिक्स देशों के अंतरिक्ष संघ का लाभ प्रोफेसर डॉ. मोहम्मद नईमुद्दीन ने बताया कि किस प्रकार यह सभी ब्रिक्स देशों के लिए लाभ का सौदा होगा क्योंकि अंतरिक्ष विज्ञान एक बड़ा विषय है जिसके बजट भी बहुत बड़े बड़े होते हैं, यह किसी टेबल टॉप एक्सपेरिमेंट्स की तरफ से नहीं होते हैं कि आप एक छोटे से लैब में एक प्रकार की रिसर्च फैसिलिटी बनाकर कर लें तो ये मेगा साइंस के प्रोजेक्ट होते हैं और इसलिए इन बड़े प्रयोगों के लिए देशों के एक साथ आने से फंड और तकनीक की कमी को दूर किया जा सकता है।अंतरिक्ष संघ पर ब्रिक्स देशों के संबंधों का असरजब Sputnik India ने पूछा कि इस तरह के अंतरिक्ष संघ में कहीं देशों के बीच के संबंध तो आड़े नहीं आएंगे तो डॉ.मोहम्मद नईमुद्दीन ने बताया कि विज्ञान इन सबसे ऊपर है और यह भूराजनीतिक मुद्दों से ऊपर काम करता है। आगे उन्होंने इस बात पर बल देते हुए कहा कि चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचना केवल भारत की जीत नहीं है यह पूरी मानव जाति की जीत है और इससे सभी को लाभ होगा। उदाहरण के लिए उन्होंने कहा कि जब नील आर्मस्ट्रांग पहली बार चंद्रमा पर पहुंचे थे तब उन्होंने कहा था, "यह मनुष्य के लिए एक छोटा कदम है, मानव जाति के लिए एक बड़ी छलांग है" उन्होंने अमेरिका न बोलकर मानव जाति बोला था तो यह विज्ञान है जो कभी कभी देशों की सीमाओं के ऊपर उठ के काम करता है।भारत और चीन के संबंधों के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच कुछ भी मुद्दे हों और देश के स्तर पर भले ही दिक्कतें हों लेकिन विज्ञान के स्तर पर दोनों देश सहयोग कर रहे हैं।ब्रिक्स अंतरिक्ष संघ से वैज्ञानिक प्रयोगों में तेजीडॉ नईमुद्दीन ने आगे बताया कि अगर ब्रिक्स अंतरिक्ष संघ बन जाता है तो इससे सभी देशों का लाभ होगा और कई देशों के अलग अलग संसाधनों के साथ साथ वैज्ञानिकों को एक प्लेटफार्म पर लाया जा सकेगा जिससे सभी प्रकार के वैज्ञानिक प्रयोगों में तेजी लाई जा सकेगी।ब्रिक्स अंतरिक्ष अनुसंधान संघ से मौसम निगरानी में सहायता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में अंतरिक्ष अनुसंधान के साथ साथ मौसम निगरानी जैसे क्षेत्रों में काम करने के लिए ब्रिक्स स्पेस एक्सप्लोरेशन कंसोर्टियम के निर्माण का भी सुझाव दिया।Sputnik India ने आगे भारत के मौसम विज्ञान महानिदेशक डॉ. मृत्युंजय मोहपात्रा से बात की और यह जानने का प्रयास किया कि इस प्रकार का संघ अगर बन जाता है तो यह कैसे मौसम निगरानी में सहायता कर सकता है। इसके उत्तर में उन्होंने बताया कि मौसम की कोई सीमा नहीं होती इसलिए सभी देशों के बीच ज्ञान के आदान-प्रदान की एक मानक प्रक्रिया है जिसका समन्वय विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) द्वारा किया जाता है।उन्होंने आगे Sputnik को बताया कि सभी दक्षिण एशियाई देशों, दक्षिण पूर्व एशियाई और मध्य पूर्वी देशों को गंभीर मौसम मार्गदर्शन, चक्रवात, भारी वर्षा की चेतावनी और हवाएं आदि प्रदान की जाती हैं। इसके अतिरिक्त, भारत के पास उपग्रह और उपग्रह सहायता भी हैं।
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15 वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सुझाव अंतरिक्ष अनुसंधान संघ का, ब्रिक्स देशों का अंतरिक्ष अनुसंधान संघ, ब्रिक्स देशों को अंतरिक्ष रिसर्च समूह, पीएम मोदी का अंतरिक्ष अनुसंधान की स्थापना का सुझाव, ब्रिक्स देशों के अंतरिक्ष संघ का फायदा, अंतरिक्ष संघ पर ब्रिक्स देशों के संबंधों का असर, ब्रिक्स अंतरिक्ष संघ से वैज्ञानिक प्रयोगों में तेजी, ब्रिक्स अंतरिक्ष अनुसंधान संघ से मौसम निगरानी में मदद, भारत के मौसम विज्ञान महानिदेशक डॉ. मृत्युंजय मोहपात्रा, दिल्ली यूनिवर्सिटी में भौतिकी और खगोल भौतिकी विभाग में प्रोफेसर डॉ. मोहम्मद नईमुद्दीन, 15th brics summit, pm narendra modi, pm narendra modi suggests space research association, space research association of brics countries, space research group to brics countries, pm modi suggests establishment of space research association, space association of brics countries benefits, impact of brics relations on space association, brics space association accelerates scientific experiments, brics space research association helps in weather monitoring, india's director general of meteorology dr. mrityunjay mohapatra, department of physics and astrophysics, university of delhi professor dr. mohammad naeemuddin
15 वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सुझाव अंतरिक्ष अनुसंधान संघ का, ब्रिक्स देशों का अंतरिक्ष अनुसंधान संघ, ब्रिक्स देशों को अंतरिक्ष रिसर्च समूह, पीएम मोदी का अंतरिक्ष अनुसंधान की स्थापना का सुझाव, ब्रिक्स देशों के अंतरिक्ष संघ का फायदा, अंतरिक्ष संघ पर ब्रिक्स देशों के संबंधों का असर, ब्रिक्स अंतरिक्ष संघ से वैज्ञानिक प्रयोगों में तेजी, ब्रिक्स अंतरिक्ष अनुसंधान संघ से मौसम निगरानी में मदद, भारत के मौसम विज्ञान महानिदेशक डॉ. मृत्युंजय मोहपात्रा, दिल्ली यूनिवर्सिटी में भौतिकी और खगोल भौतिकी विभाग में प्रोफेसर डॉ. मोहम्मद नईमुद्दीन, 15th brics summit, pm narendra modi, pm narendra modi suggests space research association, space research association of brics countries, space research group to brics countries, pm modi suggests establishment of space research association, space association of brics countries benefits, impact of brics relations on space association, brics space association accelerates scientific experiments, brics space research association helps in weather monitoring, india's director general of meteorology dr. mrityunjay mohapatra, department of physics and astrophysics, university of delhi professor dr. mohammad naeemuddin
ब्रिक्स अंतरिक्ष संघ से वैज्ञानिक प्रयोगों में तेजी होगी: विशेषज्ञ
20:30 25.08.2023 (अपडेटेड: 20:31 25.08.2023) दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में खत्म हुए 15 वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा की ब्रिक्स देशों को अंतरिक्ष रिसर्च समूह को बनाने के बारे में विचार करना चाहिए।
15 वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने एक वक्तव्य में ब्रिक्स देशों से अंतरिक्ष अनुसंधान और मौसम की भविष्यवाणी के लिए एक मंच पर आने का सुझाव दिया था।
"हम पहले से ही ब्रिक्स उपग्रह समूह पर काम कर रहे हैं, लेकिन एक कदम आगे बढ़ने के लिए, हमें ब्रिक्स अंतरिक्ष अन्वेषण संघ की स्थापना के बारे में सोचना चाहिए," पीएम मोदी ने ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में कहा।
Sputnik India ने प्रधानमंत्री मोदी के प्रस्ताव पर दिल्ली यूनिवर्सिटी में भौतिकी और खगोल भौतिकी विभाग में प्रोफेसर डॉ. मोहम्मद नईमुद्दीन से बात की तो उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री द्वारा रखे गए प्रस्ताव का स्वागत किया जाना चाहिए, यह सभी देशों के लिए लाभ का सौदा होगा।
भारत के वैज्ञानिकों ने दो दिन पहले भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश बना और अगर पीएम मोदी के
अंतरिक्ष अनुसंधान की स्थापना वाले सुझाव पर गौर किया जाए तो भारत ब्रिक्स देशों के साथ मिलकर कम समय में अंतरिक्ष में और भी आगे जा सकता है।
ब्रिक्स देशों के अंतरिक्ष संघ का लाभ
प्रोफेसर डॉ. मोहम्मद नईमुद्दीन ने बताया कि किस प्रकार यह सभी ब्रिक्स देशों के लिए लाभ का सौदा होगा क्योंकि अंतरिक्ष विज्ञान एक बड़ा विषय है जिसके बजट भी बहुत बड़े बड़े होते हैं, यह किसी टेबल टॉप एक्सपेरिमेंट्स की तरफ से नहीं होते हैं कि आप एक छोटे से लैब में एक प्रकार की
रिसर्च फैसिलिटी बनाकर कर लें तो ये मेगा साइंस के प्रोजेक्ट होते हैं और इसलिए इन बड़े प्रयोगों के लिए देशों के एक साथ आने से फंड और तकनीक की कमी को दूर किया जा सकता है।
"स्पेस साइंस एक मेगा विज्ञान है, इनके बजट बहुत होते हैं और इसमें तकनीक की जरूरत होती है। विकसित देश धीरे-धीरे आगे बढ़ जाते हैं लेकिन सभी देश यह नहीं कर पाते, इसीलिए देखिये अभी तक मात्र चार ही देश हैं जिन्होंने चंद्रमान पर सॉफ्ट लैन्डिंग की, जिसमें ब्रिक्स के तीन देश हैं और चौथा देश सिर्फ वही ब्रिक्स का हिस्सा नहीं है," प्रोफेसर डॉ.मोहम्मद नईमुद्दीन ने बताया।
अंतरिक्ष संघ पर ब्रिक्स देशों के संबंधों का असर
जब Sputnik India ने पूछा कि इस तरह के अंतरिक्ष संघ में कहीं देशों के बीच के संबंध तो आड़े नहीं आएंगे तो डॉ.मोहम्मद नईमुद्दीन ने बताया कि विज्ञान इन सबसे ऊपर है और यह भूराजनीतिक मुद्दों से ऊपर काम करता है।
"आप देखें अगर रशियन स्पेस एजेंसी हमें सपोर्ट कर रही है, तो नासा को नहीं करना चाहिए था लेकिन नासा ने भी आगे आकार भारत के साथ सहयोग किया, देखिये एक तरफ रूस का यूक्रेन में विशेष सैन्य अभियान चल रहा है लेकिन सर्न के प्रयोगों में रूस और यूक्रेन दोनों सहयोग कर रहे हैं और मिलकर काम कर रहे हैं। इसलिए यह सब जियोपॉलिटिकल मुद्दे हैं और विज्ञान इस मुद्दों से आगे काम करता है। क्योंकि यह पूरी मानव जाति के लिए है," प्रोफेसर डॉ. नईमुद्दीन ने बताया।
आगे उन्होंने इस बात पर बल देते हुए कहा कि
चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचना केवल भारत की जीत नहीं है यह पूरी मानव जाति की जीत है और इससे सभी को लाभ होगा। उदाहरण के लिए उन्होंने कहा कि जब
नील आर्मस्ट्रांग पहली बार चंद्रमा पर पहुंचे थे तब उन्होंने कहा था,
"यह मनुष्य के लिए एक छोटा कदम है, मानव जाति के लिए एक बड़ी छलांग है" उन्होंने अमेरिका न बोलकर मानव जाति बोला था तो यह विज्ञान है जो कभी कभी देशों की सीमाओं के ऊपर उठ के काम करता है।
भारत और चीन के संबंधों के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच कुछ भी मुद्दे हों और देश के स्तर पर भले ही दिक्कतें हों लेकिन विज्ञान के स्तर पर दोनों देश सहयोग कर रहे हैं।
"आप देखेंगे भारत और चीन को, दोनों के बीच कुछ मुद्दे रहे हैं, लेकिन वेज्ञानिक स्तर पर हम सहयोग कर रहे हैं और विज्ञान के लिए चीन आगे बढ़कर सामने आ सकता है, और चीन एक और बड़ा प्रयोग करने की बात कर रहा है जो सर्न की तर्ज पर उससे कहीं अधिक बड़ा होगा और उसमें वह हर प्रकार के सहयोग के लिए [दूसरे देशों को] आमंत्रित कर रहे हैं, उसमें भारत को भी बुलाया गया है," डॉ नईमुद्दीन ने आगे बताया।
ब्रिक्स अंतरिक्ष संघ से वैज्ञानिक प्रयोगों में तेजी
डॉ नईमुद्दीन ने आगे बताया कि अगर
ब्रिक्स अंतरिक्ष संघ बन जाता है तो इससे सभी देशों का लाभ होगा और कई देशों के अलग अलग संसाधनों के साथ साथ वैज्ञानिकों को एक प्लेटफार्म पर लाया जा सकेगा जिससे सभी प्रकार के वैज्ञानिक प्रयोगों में तेजी लाई जा सकेगी।
"देखिये वैज्ञानिक सहयोग का लाभ यही होता है की आप एक साथ कई संसाधनों और वैज्ञानिकों को एक मंच पर ला पाते हैं, और जब सभी लोग एक साथ काम करते हैं तो किसी भी प्रयोग का विकास तेज़ हो जाता है। और उसका लाभ सहयोग कर रहे सभी लोगों को होता है," प्रोफेसर डॉ मोहम्मद नईमुद्दीन ने कहा।
ब्रिक्स अंतरिक्ष अनुसंधान संघ से मौसम निगरानी में सहायता
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में अंतरिक्ष अनुसंधान के साथ साथ मौसम निगरानी जैसे क्षेत्रों में काम करने के लिए ब्रिक्स
स्पेस एक्सप्लोरेशन कंसोर्टियम के निर्माण का भी सुझाव दिया।
Sputnik India ने आगे भारत के मौसम विज्ञान महानिदेशक डॉ. मृत्युंजय मोहपात्रा से बात की और यह जानने का प्रयास किया कि इस प्रकार का संघ अगर बन जाता है तो यह कैसे मौसम निगरानी में सहायता कर सकता है। इसके उत्तर में उन्होंने बताया कि मौसम की कोई सीमा नहीं होती इसलिए सभी देशों के बीच ज्ञान के आदान-प्रदान की एक मानक प्रक्रिया है जिसका समन्वय विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) द्वारा किया जाता है।
"भारत WMO का संस्थापक सदस्य है और ब्रिक्स देश भी WMO के सदस्य हैं तदनुसार, सभी डेटा एक मानक प्रक्रिया में ब्रिक्स देशों के बीच साझा किया जाता है और अगर हम भारत पर ध्यान दें तो यह मौसम विज्ञान के विषयों में एक विकसित देश है। भारत की अपनी अवलोकन, निगरानी और पूर्वानुमान प्रणाली है। इस लिहाज से भारत जलवायु सेवाओं पर आत्मनिर्भर है। इतना ही नहीं, भारत कई देशों का भी समर्थन करता है," मौसम विज्ञान महानिदेशक डॉ. मृत्युंजय मोहपात्रा ने बताया।
उन्होंने आगे Sputnik को बताया कि सभी दक्षिण एशियाई देशों,
दक्षिण पूर्व एशियाई और मध्य पूर्वी देशों को गंभीर मौसम मार्गदर्शन, चक्रवात, भारी वर्षा की चेतावनी और हवाएं आदि प्रदान की जाती हैं। इसके अतिरिक्त,
भारत के पास उपग्रह और उपग्रह सहायता भी हैं।