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भारत-पाकिस्तान ने सिंधु जल विवाद पर बैठक में भाग लिया

CC BY-SA 2.0 / Muzaffar Bukhari / A small stream joining Indus river along KKH in Kohistan District near Dassu.
A small stream joining Indus river along KKH in Kohistan District near Dassu. - Sputnik भारत, 1920, 22.09.2023
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सिंधु जल संधि (IWT) को लेकर भारत और पाकिस्तान के मध्य लंबे समय से चले आ रहे विवाद ने एक नया मोड़ ले लिया है, क्योंकि दोनों देशों ने वियना में तटस्थ विशेषज्ञ (NE) कार्यवाही की बैठक में भाग लिया।
भारत के अनुरोध पर नियुक्त तटस्थ विशेषज्ञ द्वारा एक बैठक बुलाई गई थी, जिसमें दोनों देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जो जम्मू-कश्मीर में किशनगंगा और रतले जलविद्युत परियोजनाओं पर नई दिल्ली और इस्लामाबाद के मध्य विवाद के समाधान के उद्देश्य से कार्यवाही का हिस्सा थी।

"इस बैठक में भारत की भागीदारी भारत के सुसंगत, सैद्धांतिक रुख के अनुरूप है कि सिंधु जल संधि में प्रदान किए गए वर्गीकृत तंत्र के अनुसार, तटस्थ विशेषज्ञ कार्यवाही ही इस समय एकमात्र वैध कार्यवाही है," भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा।

इसके अतिरिक्त वक्तव्य में कहा गया, "यही कारण है कि भारत ने किशनगंगा और रतले पनबिजली परियोजनाओं से संबंधित समान मुद्दों पर अवैध रूप से गठित मध्यस्थता न्यायालय द्वारा की जा रही समानांतर कार्यवाही में भाग नहीं लेने का संधि-सम्मत निर्णय लिया है।"
विदेश मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया, "यह एक लंबी प्रक्रिया है। दोनों पक्षों ने अपनी बातें रखीं। विभिन्न मुद्दों पर निर्णय आने में अभी समय लगेगा।"
बैठक में जल संसाधन विभाग के सचिव के नेतृत्व में एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने भारत का प्रतिनिधित्व किया। प्रसिद्ध वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे केसी (किंग्स काउंसिल) ने आनंद वेंकटरमणी और अंकुर तलवार के साथ भारत के प्रमुख वकील के रूप में काम किया। वहीं पाकिस्तान की तरफ से डेनियल बेथलहम केसी के नेतृत्व में पांच वकीलों की एक टीम थी।
बता दें कि भारत का मानना है कि विवाद को सुलझाने के लिए दो समवर्ती प्रक्रियाओं के आरंभ समय सिंधु जल संधि में निर्धारित तीन-चरणीय वर्गीकृत तंत्र के प्रावधान का उल्लंघन है। भारत तटस्थ विशेषज्ञ कार्यवाही के माध्यम से विवाद के समाधान पर बल दे रहा है।
Indus River - Sputnik भारत, 1920, 17.04.2023
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