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क्रेमलिन ने व्यापक परमाणु-परीक्षण-प्रतिबंध संधि के अनुसमर्थन की संभावित वापसी पर की टिप्पणी
क्रेमलिन ने व्यापक परमाणु-परीक्षण-प्रतिबंध संधि के अनुसमर्थन की संभावित वापसी पर की टिप्पणी
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रूसी राष्ट्रपति के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने कहा कि रूस के व्यापक परमाणु-परीक्षण-प्रतिबंध संधि (CTBT) के अनुसमर्थन को वापस लेने का तात्पर्य यह नहीं है कि रूस को परमाणु परीक्षण करने की मंशा है।
2023-10-06T20:04+0530
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पेसकोव ने शुक्रवार (6 अक्तूबर) को कहा कि सीटीबीटी अनुसमर्थन को वापस लेने का अर्थ यह नहीं है कि रूस परमाणु परीक्षण करने जा रहा है।व्यापक परमाणु-परीक्षण-प्रतिबंध संधि 1996 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा अपनाया गया। रूस ने 2000 में इस समझौते का अनुसमर्थन किया। अमेरिका और चीन जैसे कई देशों ने ऐसा अभी तक नहीं किया। साथ ही, जिन राज्यों के पास परमाणु हथियार हैं, उन्होंने इसका परीक्षण न करने की स्वैच्छिक प्रतिबद्धता जताई है।आपको स्मरण दिला दें कि 5 अक्तूबर को व्लादिमीर पुतिन ने वल्दाई अंतरराष्ट्रीय चर्चा क्लब की एक बैठक में भाषण देते हुए कहा, “रूस अमेरिका के प्रति ठीक उसी तरह से व्यवहार कर सकता है, जिसने सीटीबीटी की पुष्टि नहीं की है”।वहीं, रूसी संसद के निचले सदन ड्यूमा के अध्यक्ष व्याचेस्लाव वोलोडिन ने कहा कि ड्यूमा अपनी अगली बैठक में सीटीबीटी के अनुसमर्थन को रद्द करने के विषय पर चर्चा करेगी। अधिकारी ने अपनी बात में जोड़ते हुए कहा कि तात्कालिक स्थिति में, जब वाशिंगटन और ब्रुसेल्स ने रूस के विरुद्ध "युद्ध छेड़ दिया है”, नए समाधान निकालने की आवश्यकता है।
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क्रेमलिन ने व्यापक परमाणु-परीक्षण-प्रतिबंध संधि के अनुसमर्थन की संभावित वापसी पर की टिप्पणी
रूसी राष्ट्रपति के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने कहा कि रूस के व्यापक परमाणु-परीक्षण-प्रतिबंध संधि (CTBT) के अनुसमर्थन को वापस लेने का तात्पर्य यह नहीं है कि रूस को परमाणु परीक्षण करने की मंशा है।
पेसकोव ने शुक्रवार (6 अक्तूबर) को कहा कि सीटीबीटी अनुसमर्थन को वापस लेने का अर्थ यह नहीं है कि रूस परमाणु परीक्षण करने जा रहा है।
पेसकोव ने कहा, "बहुत समय पहले हमने [इस संधि पर] हस्ताक्षर किए थे और इसकी पुष्टि भी की थी, लेकिन अमेरिकियों ने इसकी पुष्टि नहीं की है। इसलिए वास्तविक स्थिति को एक आम विभाजक में लाने के लिए राष्ट्रपति ने संधि से बाहर आने की संभावना की बात की (…) इसका तात्पर्य परमाणु परीक्षण करने की मंशा का बयान नहीं है”।
व्यापक परमाणु-परीक्षण-प्रतिबंध संधि 1996 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा अपनाया गया। रूस ने 2000 में इस समझौते का अनुसमर्थन किया। अमेरिका और चीन जैसे कई देशों ने ऐसा अभी तक नहीं किया। साथ ही, जिन राज्यों के पास परमाणु हथियार हैं, उन्होंने इसका परीक्षण न करने की स्वैच्छिक प्रतिबद्धता जताई है।
आपको स्मरण दिला दें कि 5 अक्तूबर को
व्लादिमीर पुतिन ने
वल्दाई अंतरराष्ट्रीय चर्चा क्लब की एक बैठक में भाषण देते हुए कहा, “रूस अमेरिका के प्रति ठीक उसी तरह से व्यवहार कर सकता है, जिसने सीटीबीटी की पुष्टि नहीं की है”।
वहीं, रूसी संसद के निचले सदन ड्यूमा के अध्यक्ष व्याचेस्लाव वोलोडिन ने कहा कि ड्यूमा अपनी अगली बैठक में सीटीबीटी के अनुसमर्थन को रद्द करने के विषय पर चर्चा करेगी। अधिकारी ने अपनी बात में जोड़ते हुए कहा कि तात्कालिक स्थिति में, जब वाशिंगटन और ब्रुसेल्स ने रूस के विरुद्ध "युद्ध छेड़ दिया है”, नए समाधान निकालने की आवश्यकता है।