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भारत के सर्वोच्च अदालत ने डार्विन और आइंस्टीन को चुनौती देने वाली याचिका की खारिज

© AFP 2023 Sergei GaponГраффити, изображающее физика Альберта Эйнштейна, в музее интересной науки в Минске, Белоруссия
Граффити, изображающее физика Альберта Эйнштейна, в музее интересной науки в Минске, Белоруссия  - Sputnik भारत, 1920, 13.10.2023
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एक याचिकाकर्ता ने अदालत में विचित्र ढंग से यह दावा प्रस्तुत किया कि चार्ल्स डार्विन और अल्बर्ट आइंस्टीन के सिद्धांत गलत थे और उन्होंने हजारों लोगों को क्षति पहुंचाई है।
भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को जनहित याचिका (PIL) को खारिज कर दिया, जिसमें चार्ल्स डार्विन के विकास के सिद्धांत और अल्बर्ट आइंस्टीन के द्रव्यमान-ऊर्जा तुल्यता समीकरण (E=MC²) को चुनौती दी गई थी।
याचिकाकर्ता राज कुमार ने कहा कि डार्विन और आइंस्टीन दोनों सिद्धांत गलत हैं और इनसे हजारों लोगों को नुकसान हुआ है, इसलिए इन्हें शिक्षण संस्थानों में नहीं पढ़ाया जाना चाहिए।
कुमार ने यह भी दावा किया कि डार्विन के सिद्धांत को स्वीकार करते हुए 20 मिलियन लोग मारे गए थे।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कुमार को या तो "स्वयं को फिर से शिक्षित करना चाहिए या एक वैकल्पिक सिद्धांत विकसित करना चाहिए।"
संजय किशन कौल और सुधांशु धूलिया की दो-न्यायाधीशों की पीठ ने निर्णय सुनाया। "हम किसी को कुछ भी सीखने से मना करने के लिए विवश नहीं कर सकते। याचिका खारिज किया जाता है।"
जस्टिस कौल ने आगे कहा, "यदि आप मानते हैं कि वे सिद्धांत गलत थे, तो सुप्रीम कोर्ट का इससे कोई लेना-देना नहीं है।"
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