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गाजा युद्ध है पश्चिम के ढहते प्रभुत्व का सूचक
गाजा युद्ध है पश्चिम के ढहते प्रभुत्व का सूचक
Sputnik भारत
गाजा संकट ढहते एकध्रुवीय नियमों के प्रतिबिंब के रूप में कार्य करता है क्योंकि वर्तमान में दुनिया बहुध्रुवीयता को अपना रही है और बढ़ते संघर्षों के लिए नए दृष्टिकोण तलाश रही है।
2023-10-14T16:33+0530
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14 अक्टूबर को इज़राइल पर हमास के अचानक आक्रमण की तैयारियों का पता न तो इज़राइली और न ही अमेरिकी खुफिया सेवाओं को था।अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने 29 सितंबर को अटलांटिक महोत्सव के दौरान कहा, ‘मध्य पूर्व क्षेत्र आज दो दशकों की तुलना में अधिक शांत है’। उनके इस बयान का तात्पर्य था कि वाशिंगटन अब अपना ध्यान यूक्रेन संघर्ष पर केंद्रित कर सकता है तथा एशिया-प्रशांत क्षेत्र में चीन के उदय को रोक सकता है।बाद में यह पता चला कि हमास के आक्रमण से एक रात पूर्व इजराइली खुफिया सेवाओं ने गाजा में अनियमित आतंकवादी गतिविधि के संकेत देखे, लेकिन इज़राइली सेना (आईडीएफ) और इजराइली घरेलू खुफिया सर्विस शिन बेट ने इज़राइल-गाजा पट्टी सीमा पर गश्त कर रही इजराइली सैनिकों को हाई अलर्ट पर नहीं रखा। स्पष्ट है, इजराइली सुरक्षा नेतृत्व का भी मानना था कि स्थिति बहुत हद तक नियंत्रण में है।रूसी एसोसिएशन ऑफ पॉलिटिकल कंसल्टेंट्स के सदस्य राजनीतिक विशेषज्ञ अलेक्जेंडर असफोव ने Sputnik के साथ बात करते हुए कहा कि बढ़ता संघर्ष अंतरराष्ट्रीय समुदाय और अमेरिका द्वारा की गई त्रुटियों का परिणाम है।आसफोव के अनुसार "अमेरिका और उसके पश्चिमी सहयोगियों ने मतभेदों को दूर करने के विधियों की खोज नहीं की। उन्होंने निकट पूर्व, अफ्रीका, मध्य एशिया सहित अन्य क्षेत्रों पर स्थानीय संकटों के घावों का लाभ उठाया"।यूगोस्लाविया पर बमबारी और इसका विखंडन, अमेरिका और उसके नाटो सहयोगियों द्वारा इराक, अफगानिस्तान, लीबिया और सीरिया पर आक्रमणों के कारण मानचित्रों को फिर से लिखना पड़ा, देशों को अराजकता में धकेल दिया गया और उनकी राष्ट्रीय संपत्ति लूट ली गई। हालांकि, अमेरिका के इराकी युद्ध ने शक्ति-शून्यता पैदा कर दी, जिससे दाएश (ISIS/ISIL)* और अन्य इस्लामी समूहों का उदय हुआ, जबकि वाशिंगटन समर्थित अफगानिस्तान सरकार काबुल पर तालिबान के नियंत्रण के कुछ ही घंटों में गिर गई।इसी प्रकार इजराइल-फिलिस्तीन विषय पर अमेरिकी प्रशासन के हेरफेर के कारण गाजा पट्टी में अनपेक्षित परिणाम सामने आए, जिन्होंने अफगानिस्तान से असफल वापसी और असफल यूक्रेनी प्रतिउत्तरी आक्रमण के उपरांत बाइडन प्रशासन को तीसरा झटका दिया।इससे पहले Sputnik के वार्ताकारों ने चेतावनी दी थी कि मध्य पूर्व में ब्रिटेन और अमेरिका की नौसैनिक तैनाती संकट की लपटों को शांत करने के बजाय और भी भड़का सकती है, क्योंकि ईरान और लेबनान के हिजबुल्लाह आंदोलन पश्चिमी सैनिकों को सीधे संकट के रूप में मान सकते हैं।असफ़ोव के अनुसार बल प्रदर्शन और धमकी के पुराने नियम अव्यावहारिक हैं, और अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों को बड़े संघर्षों से बचने के लिए सावधानी से काम करने की आवश्यकता है। इस प्रकार, यूक्रेन, ताइवान और इज़राइल का अनुत्तरदायी सैन्यीकरण विश्व को कम सुरक्षित और अधिक अशांत बना देगा।*दाएश (ISIS/ISIL) रूस और कई अन्य देशों में एक प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन है।
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अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन, रूसी एसोसिएशन ऑफ पॉलिटिकल कंसल्टेंट्स के सदस्य राजनीतिक विशेषज्ञ अलेक्जेंडर असफोव, हिजबुल्लाह आंदोलन, औपनिवेशिक नियम, गाजा पट्टी, फ़िलिस्तीनी-इज़राइली संघर्ष, फ़िलिस्तीन, israel-hamas war hindi news, israel palestine war hindi, israel under attack hindi news, hamas, hamas terrorist hindi news, hamas leader, hamas vs israel, hamas news, hamas palestine, hamas israel hindi news, hamas gaza hindi news, hamas kya hai, hamas attack on israel, israel hamas news, israel palestine conflict, israel attack, lebanon attack on israel, israel map, lebanon attack on israel today hindi news, palestine hamas map
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गाजा युद्ध है पश्चिम के ढहते प्रभुत्व का सूचक
गाजा संकट ढहते एकध्रुवीय नियमों के प्रतिबिंब के रूप में कार्य करता है क्योंकि वर्तमान में विश्व बहुध्रुवीयता को अपना रही है और बढ़ते संघर्षों के लिए नए दृष्टिकोण खोज रही है।
14 अक्टूबर को इज़राइल पर हमास के अचानक आक्रमण की तैयारियों का पता न तो इज़राइली और न ही अमेरिकी खुफिया सेवाओं को था।
अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार
जेक सुलिवन ने 29 सितंबर को अटलांटिक महोत्सव के दौरान कहा, ‘मध्य पूर्व क्षेत्र आज दो दशकों की तुलना में अधिक शांत है’। उनके इस बयान का तात्पर्य था कि वाशिंगटन अब अपना ध्यान यूक्रेन संघर्ष पर केंद्रित कर सकता है तथा
एशिया-प्रशांत क्षेत्र में चीन के उदय को रोक सकता है।
बाद में यह पता चला कि हमास के आक्रमण से एक रात पूर्व
इजराइली खुफिया सेवाओं ने गाजा में अनियमित आतंकवादी गतिविधि के संकेत देखे, लेकिन
इज़राइली सेना (आईडीएफ) और इजराइली घरेलू खुफिया सर्विस शिन बेट ने इज़राइल-गाजा पट्टी सीमा पर गश्त कर रही इजराइली सैनिकों को हाई अलर्ट पर नहीं रखा। स्पष्ट है, इजराइली सुरक्षा नेतृत्व का भी मानना था कि स्थिति बहुत हद तक नियंत्रण में है।
रूसी एसोसिएशन ऑफ पॉलिटिकल कंसल्टेंट्स के सदस्य राजनीतिक विशेषज्ञ अलेक्जेंडर असफोव ने Sputnik के साथ बात करते हुए कहा कि बढ़ता संघर्ष अंतरराष्ट्रीय समुदाय और अमेरिका द्वारा की गई त्रुटियों का परिणाम है।
"अमेरिका ने ही इन त्रुटियों के बीज बोए, जिसके कारण ये सुलगते विवाद हुए," आसफोव ने कहा। "मध्य पूर्व में वर्तमान संकट ऐसे ही विवाद का परिणाम है क्योंकि [अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड] ट्रम्प ने ही इज़राइल में अमेरिकी दूतावास को [तेल अवीव से] यरूशलेम में स्थानांतरित कर दिया। अमेरिकियों ने इस क्षेत्र में शांति को तोड़ने के लिए बहुत कुछ किया।" "इसलिए यह इस तथ्य की स्पष्ट अभिव्यक्ति है कि न तो पैक्स अमेरिकाना (Pax Americana) रहा है, न एकध्रुवीय दुनिया। और अब दुनिया बहुध्रुवीयता की ओर एक ऐसे काल में कदम रख रही है, जिसमें दर्द, रक्त और जागृति संघर्ष निहित हैं।"
आसफोव के अनुसार "अमेरिका और उसके पश्चिमी सहयोगियों ने मतभेदों को दूर करने के विधियों की खोज नहीं की। उन्होंने निकट पूर्व, अफ्रीका, मध्य एशिया सहित अन्य क्षेत्रों पर स्थानीय संकटों के घावों का लाभ उठाया"।
विशेषज्ञ ने आगे कहा, "विश्व के आधिपत्य [अमेरिका] ने चालाकी, बलपूर्वक दबाव और कई अन्य ढंगों के माध्यम से कई संघर्षों को सुलगा रखा है, जिन्हें वे 'नरम' या 'स्मार्ट' शक्ति कहते हैं, "और वाशिंगटन ने जानबूझकर ऐसा किया, क्योंकि इससे न सिर्फ धनोपार्जन करने में सहायता प्राप्त हुई, वहीं सुप्त संघर्षों के माध्यम से उन्होंने अपना प्रभुत्व सुनिश्चित भी किया।"
यूगोस्लाविया पर बमबारी और इसका विखंडन, अमेरिका और उसके नाटो सहयोगियों द्वारा इराक, अफगानिस्तान, लीबिया और सीरिया पर आक्रमणों के कारण मानचित्रों को फिर से लिखना पड़ा, देशों को अराजकता में धकेल दिया गया और उनकी राष्ट्रीय संपत्ति लूट ली गई। हालांकि, अमेरिका के इराकी युद्ध ने शक्ति-शून्यता पैदा कर दी, जिससे दाएश (ISIS/ISIL)* और अन्य इस्लामी समूहों का उदय हुआ, जबकि वाशिंगटन समर्थित अफगानिस्तान सरकार काबुल पर तालिबान के नियंत्रण के कुछ ही घंटों में गिर गई।
इसी प्रकार इजराइल-फिलिस्तीन विषय पर अमेरिकी प्रशासन के हेरफेर के कारण गाजा पट्टी में अनपेक्षित परिणाम सामने आए, जिन्होंने अफगानिस्तान से असफल वापसी और असफल यूक्रेनी प्रतिउत्तरी आक्रमण के उपरांत बाइडन प्रशासन को तीसरा झटका दिया।
सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक रिसर्च एंड एनालिसिस के एसोसिएट फेलो डॉ. मार्को मार्सिली ने Sputnik के साथ इजराइल-फिलिस्तीन संघर्ष पर बात करते हुए कहा, "फिलिस्तीनी विवाद अनसुलझा है और जैसा कि हाल की घटनाओं से पता चलता है, यह अभी भी धधक रहा है।"
इससे पहले Sputnik के वार्ताकारों ने चेतावनी दी थी कि मध्य पूर्व में ब्रिटेन और
अमेरिका की नौसैनिक तैनाती संकट की लपटों को शांत करने के बजाय और भी भड़का सकती है, क्योंकि ईरान और लेबनान के
हिजबुल्लाह आंदोलन पश्चिमी सैनिकों को सीधे संकट के रूप में मान सकते हैं।
असफ़ोव के अनुसार बल प्रदर्शन और धमकी के पुराने नियम अव्यावहारिक हैं, और अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों को बड़े संघर्षों से बचने के लिए सावधानी से काम करने की आवश्यकता है। इस प्रकार, यूक्रेन, ताइवान और इज़राइल का अनुत्तरदायी सैन्यीकरण विश्व को कम सुरक्षित और अधिक अशांत बना देगा।
हालांकि, विशेषज्ञ के अनुसार औपनिवेशिक नियम अब कार्य नहीं करते हैं, इसलिए वैश्विक और क्षेत्रीय खिलाड़ियों को समान रूप से बातचीत की मेज पर बैठना होगा और गाजा पट्टी में चल रहे संघर्ष का समाधान ढूंढना होगा।
*दाएश (ISIS/ISIL) रूस और कई अन्य देशों में एक प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन है।