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गगनयान मिशन में भारत की मदद करने वाली रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोस्मोस क्या है?
गगनयान मिशन में भारत की मदद करने वाली रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोस्मोस क्या है?
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Sputnik आज आपको रूस की अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोस्मोस के बारे में बताने जा रहे हैं जिसका अंतरिक्ष जगत में बहुत बड़ा नाम है और जो रूस में अंतरिक्ष उड़ानों, कॉस्मोनाटिक्स कार्यक्रमों और सभी तरह के एयरोस्पेस अनुसंधान के लिए जाना जाता है।
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आज के आधुनिक युग में अंतरिक्ष के इतिहास के बारे में जो कुछ भी हम जानते हैं, जरूर वह यह बात है कि रूस ही पहला देश था जिसमें मानव को पहली बार अंतरिक्ष में भेजा था।जब अंतरिक्ष में खोज की बात की जाती है तो दुनिया के चंद अंतरिक्ष एजेंसी ही याद आती हैं जिन में रूस की रोस्कोस्मोस और भारत की इसरो शामिल हैं, लेकिन दुनिया भर के कुल 70 देश हैं जो किसी न किसी तरह से अंतरिक्ष विज्ञान से जुड़े हैं। भारत और रूस के बीच हुए समझौते के मुताबिक भारतीय वायु सेना के पायलटों ने गगनयान मिशन के लिए रूस में प्रशिक्षण लिया। रोस्कोस्मोस को रोस्कोस्मोस स्टेट कॉरपोरेशन फॉर स्पेस एक्टिविटीज़ के रूप में भी जाना जाता है। यह पृथ्वी निगरानी और अंतरिक्ष यात्री कार्यक्रम सहित सैन्य प्रक्षेपण के लिए रूसी संघ और रक्षा मंत्रालय के साथ मिलकर काम करता है। रोस्कोस्मोस से पहले सोवियत अंतरिक्ष कार्यक्रम कैसा था? द्वितीय विश्व युद्ध के बाद दुनिया के दो बड़े देश रूस और अमेरिका के बीच अंतरिक्ष में जाने की होड़ लग गई थी। 4 अक्टूबर 1957 को सोवियत संघ ने यह प्रतिस्पर्धा जीती, जब उसने स्पुतनिक 1 को कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित करने में सफलता पाई। लगातर सफलताओं के बाद रूस ही पहला देश था जिसके अंतरिक्ष यात्री एलेक्सी लियोनोव ने 1965 में पहला स्पेस वाक किया। शुरुआती सफलता के बाद एजेंसी ने अंतरिक्ष अनुसंधान के अलावा अंतरिक्ष स्टेशन बनाने पर ध्यान देना शुरू किया। अमेरिका ने भी रूस की भांति एक अंतरिक्ष स्टेशन स्काईलैब की घोषणा की, लेकिन कुछ समय बाद उसने इसे रद्द कर दिया जिसके बाद सोवियत संघ ने सैल्युट स्टेशन का लॉन्च किया। रूसी अंतरिक्ष एजेंसी कैसे बनी रोस्कोस्मोस?सोवियत संघ के पतन के बाद 1992 में रोस्कोस्मोस का गठन किया गया, इसको रूसी संघीय अंतरिक्ष एजेंसी और यूनाइटेड रॉकेट एंड स्पेस कॉरपोरेशन के विलय से किया गया, जो एक संयुक्त स्टॉक इकाई थी जिसका उद्देश्य अंतरिक्ष क्षेत्र को बढ़ावा देना था। रूस शुरू से ही अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) के निर्माण का हिस्सा रहा है। इस स्टेशन का पहला हिस्सा 1998 में लॉन्च किया गया था। रोस्कोस्मोस के योगदान में ज़्वेज़्दा सेवा मॉड्यूल, एक डॉकिंग हैच, अनुसंधान मॉड्यूल रासवेट, और प्रोग्रेस अंतरिक्ष यान के उपयोग से ISS के लिए नियमित कार्गो उड़ानें शामिल हैं। रोस्कोस्मोस के भविष्य के मिशन क्या हैं? रोस्कोस्मोस नए रॉकेट डिजाइन और अंतरिक्ष यानों के साथ आगे तरक्की पर है और अभी भी यह ISS कंसोर्टियम का हिस्सा बना हुआ है। एजेंसी हाल ही में चंद्र मिशनों में रुचि दिखाने के अलावा और नए रॉकेट डिजाइन और उपग्रह अपडेट पर काम कर रही है। रिपोर्ट के मुताबिक चंद्रमा दक्षिणी ध्रुव ऐसे रोबोटिक बेस के लिए एक प्रमुख स्थान हो सकता है जहां यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी और अन्य अंतरराष्ट्रीय भागीदार भी शामिल हो सकते हैं।Google News पर Sputnik India को फ़ॉलो करें!
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गगनयान मिशन में भारत की मदद करने वाली रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोस्मोस क्या है?
16:41 24.10.2023 (अपडेटेड: 09:49 25.10.2023) Sputnik India रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोस्मोस के बारे में बताने जा रहे हैं जिसका अंतरिक्ष जगत में बड़ा नाम है और जो रूस में अंतरिक्ष उड़ानों, कॉस्मोनाटिक्स कार्यक्रमों और सभी तरह के एयरोस्पेस अनुसंधान के लिए जाना जाता है।
आज के आधुनिक युग में अंतरिक्ष के इतिहास के बारे में जो कुछ भी हम जानते हैं, जरूर वह यह बात है कि रूस ही पहला देश था जिसमें मानव को पहली बार अंतरिक्ष में भेजा था।
जब अंतरिक्ष में खोज की बात की जाती है तो दुनिया के चंद अंतरिक्ष एजेंसी ही याद आती हैं जिन में रूस की रोस्कोस्मोस और भारत की इसरो शामिल हैं, लेकिन दुनिया भर के कुल 70 देश हैं जो किसी न किसी तरह से अंतरिक्ष विज्ञान से जुड़े हैं।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (इसरो) और रूसी संघीय अंतरिक्ष एजेंसी (रोस्कोस्मोस) ने 5 अक्टूबर 2018 को 'मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम के क्षेत्र में संयुक्त गतिविधियों' पर एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जिसके बाद भारत की अंतरिक्ष एजेंसी इसरो जल्द ही गगनयान मिशन के अंतर्गत मानव को अंतरिक्ष भेजने के लिए तैयार है।
भारत और रूस के बीच हुए समझौते के मुताबिक भारतीय वायु सेना के पायलटों ने गगनयान मिशन के लिए रूस में प्रशिक्षण लिया।
रोस्कोस्मोस को
रोस्कोस्मोस स्टेट कॉरपोरेशन फॉर स्पेस एक्टिविटीज़ के रूप में भी जाना जाता है। यह पृथ्वी निगरानी और अंतरिक्ष यात्री कार्यक्रम सहित सैन्य प्रक्षेपण के लिए रूसी संघ और रक्षा मंत्रालय के साथ मिलकर काम करता है।
रोस्कोस्मोस से पहले सोवियत अंतरिक्ष कार्यक्रम कैसा था?
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद दुनिया के दो बड़े देश रूस और अमेरिका के बीच अंतरिक्ष में जाने की होड़ लग गई थी। 4 अक्टूबर 1957 को सोवियत संघ ने यह प्रतिस्पर्धा जीती, जब उसने स्पुतनिक 1 को कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित करने में सफलता पाई।
पहले दौर में जीतने के बाद रूस का अंतरिक्ष प्रोग्राम आगे बढ़ा और उसने 1961 में यूरी गागरिन को अंतरिक्ष में भेजा जो अंतरिक्ष में जाने वाले दुनिया के पहले आदमी बने। यह रूस की अंतरिक्ष एजेंसी की सबसे बड़ी जीतों में से एक थी। एजेंसी ने 1963 में वेलेंटीना टेरेशकोवा को अंतरिक्ष में भेजा, वे अंतरिक्ष में जाने वाली दुनिया की पहली महिला बनीं।
लगातर सफलताओं के बाद रूस ही पहला देश था जिसके अंतरिक्ष यात्री एलेक्सी लियोनोव ने 1965 में पहला स्पेस वाक किया।
शुरुआती सफलता के बाद एजेंसी ने अंतरिक्ष अनुसंधान के अलावा अंतरिक्ष स्टेशन बनाने पर ध्यान देना शुरू किया। अमेरिका ने भी रूस की भांति एक अंतरिक्ष स्टेशन स्काईलैब की घोषणा की, लेकिन कुछ समय बाद उसने इसे रद्द कर दिया जिसके बाद सोवियत संघ ने सैल्युट स्टेशन का लॉन्च किया।
रूसी अंतरिक्ष एजेंसी कैसे बनी रोस्कोस्मोस?
सोवियत संघ के पतन के बाद 1992 में रोस्कोस्मोस का गठन किया गया, इसको रूसी संघीय अंतरिक्ष एजेंसी और यूनाइटेड रॉकेट एंड स्पेस कॉरपोरेशन के विलय से किया गया, जो एक संयुक्त स्टॉक इकाई थी जिसका उद्देश्य अंतरिक्ष क्षेत्र को बढ़ावा देना था।
रोस्कोस्मोस ने अपोलो सोयुज़ परियोजना पर नासा के साथ शटल-मीर डॉकिंग श्रृंखला की एक संयुक्त सहयोग परियोजना शुरू की। इसके बाद उसने जापान और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के साथ साझेदारी कर अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के निर्माण पर सहयोग किया।
रूस शुरू से ही
अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) के निर्माण का हिस्सा रहा है। इस स्टेशन का पहला हिस्सा 1998 में लॉन्च किया गया था। रोस्कोस्मोस के योगदान में ज़्वेज़्दा सेवा मॉड्यूल, एक डॉकिंग हैच, अनुसंधान मॉड्यूल रासवेट, और प्रोग्रेस अंतरिक्ष यान के उपयोग से ISS के लिए नियमित कार्गो उड़ानें शामिल हैं।
रोस्कोस्मोस के भविष्य के मिशन क्या हैं?
रोस्कोस्मोस नए रॉकेट डिजाइन और अंतरिक्ष यानों के साथ आगे तरक्की पर है और अभी भी यह ISS कंसोर्टियम का हिस्सा बना हुआ है। एजेंसी हाल ही में
चंद्र मिशनों में रुचि दिखाने के अलावा और नए रॉकेट डिजाइन और उपग्रह अपडेट पर काम कर रही है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक रूस भी भविष्य में मंगल ग्रह पर जाकर खोज के साथ अंतरिक्ष के अन्य राजों पर से पर्दा उठाएगा। रोस्कोस्मोस और चीन राष्ट्रीय अंतरिक्ष प्रशासन ने संयुक्त रूप से 2021 की शुरुआत में एक अंतरराष्ट्रीय चंद्र अनुसंधान स्टेशन स्थापित करने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं जिसके 2030 के मध्य बनने की उम्मीद है।
रिपोर्ट के मुताबिक
चंद्रमा दक्षिणी ध्रुव ऐसे रोबोटिक बेस के लिए एक प्रमुख स्थान हो सकता है जहां यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी और अन्य अंतरराष्ट्रीय भागीदार भी शामिल हो सकते हैं।