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इज़राइल को व्यापक संघर्ष से बचने की आशा है: IDF के प्रवक्ता
इज़राइल को व्यापक संघर्ष से बचने की आशा है: IDF के प्रवक्ता
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इजराइली रक्षा सेना के प्रवक्ता ने भारत में इजराइली दूतावास में कहा कि इज़राइल को उम्मीद है कि हमास के साथ लड़ाई व्यापक क्षेत्रीय संघर्ष में परिवर्तित नहीं होगी।
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इजराइली सेना के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल पीटर लर्नर ने बुधवार को कहा कि इजराइली नेतृत्व को यह उम्मीद है लेकिन सेना में उम्मीद कोई तरीका नहीं है।साथ ही प्रवक्ता ने कहा कि इज़राइली सेना लेबनान से इज़राइल पर हमले के जोखिम को कम करने के लिए उपाय कर रही है।7 अक्टूबर को हमास ने इज़राइल की सुरक्षा और खुफिया तंत्र को धता बात कर रॉकेट से हमला किया था और हमले के बाद वह सीमा पार कर इज़राइल में दाखिल हो गया था, इस हमले में इज़राइल के सेकड़ों लोग मारे गए और कई लोगों को बंधक बना लिया गया।इज़राइल-फिलिस्तीन विवाद का इतिहास29 नवंबर 1947 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने जॉर्डन नदी के वेस्ट बैंक में दो राज्यों यानी यहूदी और अरब के निर्माण के लिए मतदान किया था, इसके साथ यरुशलम ने एक अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र का दर्जा बनाये रखा था।4 मई 1948 को इज़राइल की स्वतंत्रता की घोषणा की गई। इसके तुरंत बाद, अरब देशों यानी मिस्र, सीरिया, जॉर्डन, लेबनान, इराक ने नवगठित राज्य के खिलाफ युद्ध शुरू कर दिया।1967 के छह दिवसीय युद्ध के दौरान इज़राइल ने पूर्वी यरुशलम सहित गाज़ा पट्टी और जॉर्डन नदी के पश्चिमी तट पर कब्जा कर लिया। यहूदी जनसंख्या फिलिस्तीनी भूमि पर आने लगी, जिसके कारण फिलिस्तीनियों का बड़े स्तर पर पुनर्वास हुआ।पहली इंतिफादा (कब्जे वाले क्षेत्रों में इजराइली शासन के निरुद्ध फिलिस्तीनी विद्रोह) के बाद, फिलिस्तीन की अंतरिम स्वशासन के लिए सिद्धांतों की घोषणा पर हस्ताक्षर किए गए। यह अवधि 5 वर्ष लंबी होने वाली थी। इसकी शुरुआत गाज़ा पट्टी और जेरिको (पश्चिमी तट) से इजराइली सैनिकों की पुनः तैनाती के साथ होनी थी और फिलिस्तीनी क्षेत्रों की अंतिम स्थिति के निर्धारण के साथ समाप्त होनी थी।1996 में फिलिस्तीन में पहला चुनाव हुआ। यासर अराफात को फिलिस्तीनी राष्ट्रीय प्राधिकरण के अध्यक्ष के रूप में चुना गया था।2005 में इज़राइल ने बिना किसी राजनीतिक समझौते के एकतरफा ढ़ंग से गाज़ा पट्टी से अपने सैनिकों को पूरी तरह से वापस ले लिया।25 जनवरी 2006 को दूसरा चुनाव हुआ। फ़िलिस्तीनी विधान परिषद में हमास ने बहुमत प्राप्त की यानी 80 सीटें, फ़तह को 43 सीटें मिलीं। जून 2007 में गाजा पट्टी में दो संगठनों यानी फतह (जिसने 2006 के चुनावों के बाद शासन खोया) और हमास के मध्य एक सैन्य संघर्ष हुआ। इसके परिणामस्वरूप अधिकांश फतह कार्यकर्ताओं को वहां से हटाने के उपरांत हमास ने गाज़ा पट्टी पर पूर्ण नियंत्रण प्राप्त कर लिया।एक बार फिर स्थिति तेजी से बिगड़ गई जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प ने 2018 में यरुशलम को इज़राइल की राजधानी के रूप में मान्यता देने की घोषणा की और अमेरिकी दूतावास को वहां स्थानांतरित कर दिया।गाज़ा पट्टी से रॉकेट आक्रमणों के चलते इज़राइल ने 2008 से हमास के बुनियादी ढांचे के विरुद्ध वहां अभियान चला रहा है। आखिरी अभियान मई 2023 में हुआ।7 अक्टूबर इज़राइल-हमास संघर्ष और तेज़ हो गया। हमास ने इज़राइल पर आश्चर्यजनक आक्रमण कर 'अल-अक्सा बाढ़' सैन्य अभियान के आरंभ की घोषणा की। हमास के नियंत्रण वाले गाज़ा पट्टी से इजराइल पर हजारों राकेट दागे गए। इसके अतिरिक्त, संगठन के लड़ाकों ने इज़राइल के सीमावर्ती क्षेत्रों में घुसपैठ की।हमास द्वारा किए गए आक्रमण के उपरांत इज़राइल ने प्रतिउत्तरी कार्रवाई में गाज़ा पट्टी में 'आपरेशन आयरन स्वोर्ड्स' चलाया। इज़राइली सेना (आईडीएफ) ने गाजा पट्टी पर बमबारी कर इसकी पूर्ण नाकाबंदी की घोषणा की। हमास को समाप्त करने के उद्देश्य से इजराइल गाज़ा पट्टी में जमीनी आक्रमण की तैयारी कर रहा है।Google News पर Sputnik India को फ़ॉलो करें!
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इज़राइल को व्यापक संघर्ष से बचने की आशा है: IDF के प्रवक्ता
20:27 25.10.2023 (अपडेटेड: 17:14 05.03.2024) इजराइली रक्षा सेना (IDF) के प्रवक्ता पीटर लर्नर ने भारत में इजराइली राजदूतावास में पत्रकार सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि इज़राइल को उम्मीद है कि हमास के साथ लड़ाई व्यापक क्षेत्रीय संघर्ष में परिवर्तित नहीं होगी।
इजराइली सेना के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल पीटर लर्नर ने बुधवार को कहा कि इजराइली नेतृत्व को यह उम्मीद है लेकिन सेना में उम्मीद कोई तरीका नहीं है।
उन्होंने कहा, “हमें उम्मीद है कि कोई व्यापक संघर्ष नहीं होगा। लेकिन जैसा कि हम कहते हैं, सेना में उम्मीद कोई तरीका नहीं है। इसलिए हम किसी भी स्थिति के लिए तैयारी कर रहे हैं। हम जमीन पर अपनी उपस्थिति मजबूत कर रहे हैं। हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि वायु सेना किसी भी हमले के लिए तैयार रहे।”
साथ ही प्रवक्ता ने कहा कि इज़राइली सेना
लेबनान से इज़राइल पर हमले के जोखिम को कम करने के लिए उपाय कर रही है।
पीटर लर्नर ने कहा, “पिछले 24 घंटों में ही हमने पांच अलग-अलग सैन्य समूहों पर हमला किया है जो लेबनान से इज़राइल की ओर हमारी सेनाओं पर टैंक रोधी मिसाइलों से हमले करने की योजना बना रहे थे।”
7 अक्टूबर को हमास ने इज़राइल की सुरक्षा और खुफिया तंत्र को धता बात कर रॉकेट से हमला किया था और हमले के बाद वह सीमा पार कर इज़राइल में दाखिल हो गया था, इस हमले में इज़राइल के सेकड़ों लोग मारे गए और कई लोगों को बंधक बना लिया गया।
इज़राइल-फिलिस्तीन विवाद का इतिहास
29 नवंबर 1947 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने
जॉर्डन नदी के वेस्ट बैंक में दो राज्यों यानी यहूदी और अरब के निर्माण के लिए मतदान किया था, इसके साथ यरुशलम ने एक अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र का दर्जा बनाये रखा था।
4 मई 1948 को इज़राइल की स्वतंत्रता की घोषणा की गई। इसके तुरंत बाद, अरब देशों यानी मिस्र, सीरिया, जॉर्डन, लेबनान, इराक ने नवगठित
राज्य के खिलाफ युद्ध शुरू कर दिया।
1967 के छह दिवसीय युद्ध के दौरान इज़राइल ने पूर्वी यरुशलम सहित गाज़ा पट्टी और जॉर्डन नदी के पश्चिमी तट पर कब्जा कर लिया। यहूदी जनसंख्या फिलिस्तीनी भूमि पर आने लगी, जिसके कारण फिलिस्तीनियों का बड़े स्तर पर पुनर्वास हुआ।
पहली इंतिफादा (कब्जे वाले क्षेत्रों में इजराइली शासन के निरुद्ध फिलिस्तीनी विद्रोह) के बाद, फिलिस्तीन की अंतरिम स्वशासन के लिए सिद्धांतों की घोषणा पर हस्ताक्षर किए गए। यह अवधि 5 वर्ष लंबी होने वाली थी। इसकी शुरुआत गाज़ा पट्टी और जेरिको (पश्चिमी तट) से इजराइली सैनिकों की पुनः तैनाती के साथ होनी थी और फिलिस्तीनी क्षेत्रों की अंतिम स्थिति के निर्धारण के साथ समाप्त होनी थी।
1996 में फिलिस्तीन में पहला चुनाव हुआ।
यासर अराफात को फिलिस्तीनी राष्ट्रीय प्राधिकरण के अध्यक्ष के रूप में चुना गया था।
दूसरी इंतिफ़ादा के बाद, 2002 में रूस, अमेरिका, यूरोपीय संघ और संयुक्त राष्ट्र ने "रोड मैप" नामक एक शांति योजना प्रस्तावित की। इस में वार्ता की बहाली, संघर्ष के समाधान और एक स्वतंत्र फ़िलिस्तीनी राज्य के निर्माण के सिद्धांत निहित थे।
2005 में इज़राइल ने बिना किसी राजनीतिक समझौते के एकतरफा ढ़ंग से गाज़ा पट्टी से अपने सैनिकों को पूरी तरह से वापस ले लिया।
25 जनवरी 2006 को दूसरा चुनाव हुआ। फ़िलिस्तीनी विधान परिषद में
हमास ने बहुमत प्राप्त की यानी 80 सीटें, फ़तह को 43 सीटें मिलीं। जून 2007 में गाजा पट्टी में दो संगठनों यानी फतह (जिसने 2006 के चुनावों के बाद शासन खोया) और हमास के मध्य एक सैन्य संघर्ष हुआ। इसके परिणामस्वरूप अधिकांश फतह कार्यकर्ताओं को वहां से हटाने के उपरांत हमास ने गाज़ा पट्टी पर पूर्ण नियंत्रण प्राप्त कर लिया।
एक बार फिर स्थिति तेजी से बिगड़ गई जब अमेरिका के राष्ट्रपति
डोनल्ड ट्रम्प ने 2018 में यरुशलम को इज़राइल की राजधानी के रूप में
मान्यता देने की घोषणा की और अमेरिकी दूतावास को वहां स्थानांतरित कर दिया।
29 नवंबर 2012 को, फ़िलिस्तीन को संयुक्त राष्ट्र में पर्यवेक्षक राज्य का दर्जा प्राप्त हुआ, जिसे कई लोग अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा फ़िलिस्तीनी राज्य के दर्जे की वास्तविक मान्यता के रूप में देखते हैं।
गाज़ा पट्टी से रॉकेट आक्रमणों के चलते इज़राइल ने 2008 से हमास के बुनियादी ढांचे के विरुद्ध वहां अभियान चला रहा है। आखिरी अभियान मई 2023 में हुआ।
7 अक्टूबर इज़राइल-हमास संघर्ष और तेज़ हो गया। हमास ने इज़राइल पर आश्चर्यजनक आक्रमण कर 'अल-अक्सा बाढ़' सैन्य अभियान के आरंभ की घोषणा की। हमास के नियंत्रण वाले गाज़ा पट्टी से इजराइल पर हजारों राकेट दागे गए। इसके अतिरिक्त, संगठन के लड़ाकों ने इज़राइल के सीमावर्ती क्षेत्रों में घुसपैठ की।
हमास द्वारा किए गए आक्रमण के उपरांत इज़राइल ने प्रतिउत्तरी कार्रवाई में गाज़ा पट्टी में 'आपरेशन आयरन स्वोर्ड्स' चलाया।
इज़राइली सेना (आईडीएफ) ने गाजा पट्टी पर बमबारी कर इसकी पूर्ण नाकाबंदी की घोषणा की। हमास को समाप्त करने के उद्देश्य से इजराइल गाज़ा पट्टी में जमीनी आक्रमण की तैयारी कर रहा है।
रूस ने इजराइल और फिलिस्तीन से गोलीबारी बंद करने और बातचीत की राह पर लौटने का आह्वान किया।