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इजरायल और अरब देशों के बीच फिलिस्तीन मुद्दे पर कब और कितने युद्ध हुए?
इजरायल और अरब देशों के बीच फिलिस्तीन मुद्दे पर कब और कितने युद्ध हुए?
Sputnik भारत
इजरायल लगातार हमास के आम नागरिकों पर बमबारी कर रहा है, हालांकि इससे पहले अरब और इजरायल के बीच कई ऐसे मौके आए हैं जब दोनों पक्ष आमने सामने आ गए।
2023-10-10T20:44+0530
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इजराइल बहुत समय से संघर्षों का केंद्र रहा है, इतिहास के पन्नों में इस संघर्ष में अब तक हजारों लोगों की या तो जान चली गई या वे अपने घर छोड़ने को मजबूर हो गए। हाल के संघर्ष की बाते करें तो इजराइल और हमास के संघर्ष में अब तक 1600 से ज्यादा लोग जान गंवा चुके हैं।29 नवंबर 1947 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने जॉर्डन नदी के वेस्ट बैंक में दो राज्यों यानी यहूदी और अरब के निर्माण के लिए मतदान किया था, इसके साथ यरूशलेम ने एक अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र का दर्जा बरकरार रखा था।इसके कुछ समय बाद मई 1948 में इजरायल नाम के नए देश की स्थापना हुई। इज़राइल-फिलिस्तीन संघर्ष एक बेहद संवेदनशील और अनसुलझा मुद्दा है जिसके मूल में यरूशलेम की स्थिति है। शांतिपूर्ण समाधान खोजने के लिए अनगिनत प्रयास किए गए हैं लेकिन अब तक स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है।Sputnik India आज आपको बताने जा रहा है कि इजराइल की स्थापना के बाद से लेकर आज तक कितनी बार इजरायल और अरब देश युद्ध में आमने सामने आए और क्षेत्र पर इसका क्या प्रभाव पड़ा। अरब-इजरायल युद्ध (1948) इजराइल की स्थापना के बाद अरब देशों यानी मिस्र, सीरिया, जॉर्डन, लेबनान, इराक ने नवगठित राज्य के खिलाफ युद्ध शुरू कर दिया। यह पहला युद्ध था जब सैकड़ों फिलिस्तीन वासियों को अपने घर छोड़कार जाने को मजबूर होना पड़ा, जिसे उन्होंने अल नकबा (तबाही) नाम दिया। इस युद्ध की समय सीमा 1 साल की थी और इस युद्द का असर आस पास के देशों पर भी पड़ा, जिन देशों में मिस्र, जॉर्डन, सीरिया, इराक और लेबनान भी थे। फरवरी और जुलाई 1949 के बीच, इजरायल और उसके पड़ोसी अरब राज्य एक अस्थायी समझौते पर पहुंचे और एक सीमा तय की। स्वेज संकट (1956) मिस्र के राष्ट्रपति गमाल अब्देल नासिर के 1956 में उदय के साथ मिस्त्र का इजराइल के साथ तनाव बढ़ गया, इस संघर्ष में मुख्य रूप से इज़राइल, यूनाइटेड किंगडम और फ्रांस शामिल थे। इन तीनों देशों ने मिस्र के खिलाफ एक समझौता किया था। इजरायली सेना ने सिनाई प्रायद्वीप पर आक्रमण किया और गाजा, राफा और अल-अरिश पर कब्जा कर लिया। हालाँकि, अंतरराष्ट्रीय दबाव और संयुक्त राष्ट्र के हस्तक्षेप के कारण दो महीने बाद संघर्ष समाप्त हो गया और इजरायल सिनाई से हट गया। छह दिवसीय युद्ध (1967) 10 साल की शांति के बाद एक बार फिर इजराइल में युद्ध भड़क उठा और साल 1967 में मिस्र, जॉर्डन और सीरिया ने मिलकर इजराइल के खिलाफ युद्द छेड़ा, इसमें सीरिया ने गोल्डन हाइट्स में गावों पर तेज बमबारी की। इसका जवाब देते हुए इजराइल ने सीरियाई लड़ाकू विमानों को मार गिराने के साथ साथ मिस्त्र की वायु सेना को भी तबाह कर दिया। इजराइल ने नाई प्रायद्वीप, गाजा पट्टी और वेस्ट बैंक पर कब्जा कर लिया और जीत के साथ युद्ध की समाप्ति की। यहूदी आबादी फिलिस्तीनी भूमि पर आने लगी, जिसके कारण फिलिस्तीनियों का बड़े पैमाने पर पुनर्वास हुआ।योम किप्पुर युद्ध (1973) यह संघर्ष छिटपुट घटनाओं से शुरू हुआ लेकिन जब मिस्र और सीरिया ने योम किप्पुर के यहूदी अवकाश के दौरान इजराइल पर एक आश्चर्यजनक हमला किया तब यह लड़ाई भड़क उठी। इजराइल ने अरब सेनाओ को हरा दिया और यह इज़राइल और मिस्र द्वारा औपचारिक युद्धविराम समझौते पर हस्ताक्षर करने के साथ समाप्त हुआ।लेबनान युद्ध (1982-1985) फिलिस्तीन मुक्ति संगठन (PLO) लेबनान में था जिसे हटाने के लिए इजराइल ने लेबनान के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया।माना जाता है कि यह उस समय फिलिस्तीनी हमलों के जवाब के रूप में था। इजराइल ने बेरूत और दक्षिणी लेबनान में स्थित PLO पर बमबारी की। यह युद्ध तीन साल तक चला और आखिर में इजरायली सैनिक लेबनान से पूरी तरह से वापस चले गए। दूसरी इंतिफ़ादा के बाद, 2002 में रूस, अमेरिका, यूरोपीय संघ और संयुक्त राष्ट्र ने "रोड मैप" नामक एक शांति योजना प्रस्तावित की। इस में वार्ता की बहाली, संघर्ष के समाधान और एक स्वतंत्र फ़िलिस्तीनी राज्य के निर्माण के सिद्धांत शामिल थे।दूसरा लेबनान युद्ध (2006) लेबनान ने जुलाई 2006 में उत्तरी इजराइल में एक अभियान चलाया जिसमें कई इजराइली सैनिक और नागरिक हताहत हो गए लेकिन इजराइल ने जवाबी हमला किया जिसमें एक हजार से अधिक लेबनानी मारे गए और लगभग दस लाख विस्थापित हुए जबकि दूसरे लेबनान युद्ध में सीधे तौर पर फिलिस्तीन शामिल नहीं था। हमास के अधिग्रहण के बाद से इजराइल-फिलिस्तीन युद्ध इजरायल-फिलिस्तीन के बीच संघर्ष सापेक्षिक शांति के बीच जारी रहा लेकिन जब गाजा पट्टी पर हमास का राजनीतिक नियंत्रण आ गया तब गाजा में 2008-2009, 2012, 2014 और 2021 में चार उल्लेखनीय संघर्ष हुए हैं। 2008 के दिसंबर महीने में शुरू हुए इस संघर्ष में हमास लड़कों ने इजरायल पर रॉकेट दाग दिए। इसके बाद इजरायल ने गाजा पट्टी में एक सैन्य अभियान शुरू किया, दोनों पक्षों के बीच यह युद्ध तीन सप्ताह तक चला।इज़राइल ने 14 नवंबर 2012 को गाजा में हमास और इस्लामिक जिहाद नेतृत्व के खिलाफ एक हवाई सैन्य अभियान 'पिलर ऑफ डिफेन्स' शुरू किया जो आठ दिनों तक चला। 29 नवंबर 2012 को, फ़िलिस्तीन को संयुक्त राष्ट्र में पर्यवेक्षक राज्य का दर्जा प्राप्त हुआ, जिसे कई लोग अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा फ़िलिस्तीनी राज्य के दर्जे की वास्तविक मान्यता के रूप में देखते हैं।8 जुलाई 2014 को इजरायल ने ऑपरेशन प्रोटेक्टिव एज लॉन्च किया जिसे 2014 गाजा युद्ध के रूप में भी जाना जाता है। यह संघर्ष सबसे घातक माना जाता है जो 50 दिनों तक चला जिसमें कई नागरिक हताहत हुए और बुनियादी ढांचे को भी नुकसान पहुंचा। पूर्वी यरुशलम में चल रहे तनाव के साथ मई 2021 में संघर्ष शुरू हुआ जिसमें अल-अक्सा मस्जिद में झड़पें हुईं और यह लड़ाई 11 दिनों तक चली, जिसमें गाजा में कम से कम 250 लोग और इजरायल में 13 लोग मारे गए।
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इजरायल और अरब देशों के बीच फिलिस्तीन मुद्दे पर कब और कितने युद्ध हुए?
20:44 10.10.2023 (अपडेटेड: 09:49 11.10.2023) इजराइल-हमास विवाद के वर्तमान में बढ़ने के आसार हैं, लेकिन आज Sputnik India आपको इजरायल और अरब देशों के बीच फिलिस्तीन मुद्दे पर अब तक हुए युद्दों के बारे में बताने जा रहा है।
इजराइल बहुत समय से संघर्षों का केंद्र रहा है, इतिहास के पन्नों में इस संघर्ष में अब तक हजारों लोगों की या तो जान चली गई या वे अपने घर छोड़ने को मजबूर हो गए। हाल के संघर्ष की बाते करें तो इजराइल और हमास के संघर्ष में अब तक 1600 से ज्यादा लोग जान गंवा चुके हैं।
29 नवंबर 1947 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने जॉर्डन नदी के वेस्ट बैंक में दो राज्यों यानी यहूदी और अरब के निर्माण के लिए मतदान किया था, इसके साथ यरूशलेम ने एक अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र का दर्जा बरकरार रखा था।
इसके कुछ समय बाद मई 1948 में इजरायल नाम के नए देश की स्थापना हुई।
इज़राइल-फिलिस्तीन संघर्ष एक बेहद संवेदनशील और अनसुलझा मुद्दा है जिसके मूल में यरूशलेम की स्थिति है। शांतिपूर्ण समाधान खोजने के लिए अनगिनत प्रयास किए गए हैं लेकिन अब तक स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है।
Sputnik India आज आपको बताने जा रहा है कि इजराइल की स्थापना के बाद से लेकर आज तक कितनी बार इजरायल और अरब देश युद्ध में आमने सामने आए और क्षेत्र पर इसका क्या प्रभाव पड़ा।
इजराइल की स्थापना के बाद अरब देशों यानी मिस्र, सीरिया, जॉर्डन, लेबनान, इराक ने नवगठित राज्य के खिलाफ युद्ध शुरू कर दिया। यह पहला युद्ध था जब सैकड़ों
फिलिस्तीन वासियों को अपने घर छोड़कार जाने को मजबूर होना पड़ा, जिसे उन्होंने अल नकबा (तबाही) नाम दिया। इस युद्ध की समय सीमा 1 साल की थी और इस युद्द का असर आस पास के देशों पर भी पड़ा, जिन देशों में मिस्र, जॉर्डन, सीरिया, इराक और लेबनान भी थे।
फरवरी और जुलाई 1949 के बीच, इजरायल और उसके पड़ोसी अरब राज्य एक अस्थायी समझौते पर पहुंचे और एक सीमा तय की।
मिस्र के राष्ट्रपति गमाल अब्देल नासिर के 1956 में उदय के साथ मिस्त्र का इजराइल के साथ तनाव बढ़ गया, इस संघर्ष में मुख्य रूप से इज़राइल, यूनाइटेड किंगडम और फ्रांस शामिल थे।
इन तीनों देशों ने मिस्र के खिलाफ एक समझौता किया था।
इजरायली सेना ने सिनाई प्रायद्वीप पर आक्रमण किया और गाजा, राफा और अल-अरिश पर कब्जा कर लिया। हालाँकि, अंतरराष्ट्रीय दबाव और संयुक्त राष्ट्र के हस्तक्षेप के कारण दो महीने बाद संघर्ष समाप्त हो गया और इजरायल सिनाई से हट गया।
10 साल की शांति के बाद एक बार फिर इजराइल में युद्ध भड़क उठा और साल 1967 में मिस्र, जॉर्डन और सीरिया ने मिलकर इजराइल के खिलाफ युद्द छेड़ा, इसमें
सीरिया ने गोल्डन हाइट्स में गावों पर तेज बमबारी की। इसका जवाब देते हुए इजराइल ने सीरियाई लड़ाकू विमानों को मार गिराने के साथ साथ मिस्त्र की वायु सेना को भी तबाह कर दिया।
इजराइल ने नाई प्रायद्वीप, गाजा पट्टी और वेस्ट बैंक पर कब्जा कर लिया और जीत के साथ युद्ध की समाप्ति की। यहूदी आबादी फिलिस्तीनी भूमि पर आने लगी, जिसके कारण फिलिस्तीनियों का बड़े पैमाने पर पुनर्वास हुआ।
यह संघर्ष छिटपुट घटनाओं से शुरू हुआ लेकिन जब मिस्र और सीरिया ने योम किप्पुर के यहूदी अवकाश के दौरान इजराइल पर एक आश्चर्यजनक हमला किया तब यह लड़ाई भड़क उठी।
इजराइल ने अरब सेनाओ को हरा दिया और यह इज़राइल और
मिस्र द्वारा औपचारिक युद्धविराम समझौते पर हस्ताक्षर करने के साथ समाप्त हुआ।
फिलिस्तीन मुक्ति संगठन (PLO) लेबनान में था जिसे हटाने के लिए इजराइल ने लेबनान के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया।माना जाता है कि यह उस समय फिलिस्तीनी हमलों के जवाब के रूप में था। इजराइल ने बेरूत और दक्षिणी लेबनान में स्थित PLO पर बमबारी की।
यह
युद्ध तीन साल तक चला और आखिर में इजरायली सैनिक लेबनान से पूरी तरह से वापस चले गए।
याद दिलाएं कि पहली इंतिफादा (कब्जे वाले क्षेत्रों में इजरायली शासन के खिलाफ फिलिस्तीनी विद्रोह) के बाद, फिलिस्तीन की अंतरिम स्वशासन के लिए सिद्धांतों की घोषणा पर हस्ताक्षर किए गए। यह अवधि 5 वर्ष लंबी होने वाली थी। इसकी शुरुआत गाजा पट्टी और जेरिको (वेस्ट बैंक) से इजरायली सैनिकों की पुनः तैनाती के साथ होनी थी और फिलिस्तीनी क्षेत्रों की अंतिम स्थिति के निर्धारण के साथ समाप्त होनी थी।
दूसरी इंतिफ़ादा के बाद, 2002 में रूस, अमेरिका, यूरोपीय संघ और संयुक्त राष्ट्र ने "रोड मैप" नामक एक शांति योजना प्रस्तावित की। इस में वार्ता की बहाली, संघर्ष के समाधान और एक स्वतंत्र फ़िलिस्तीनी राज्य के निर्माण के सिद्धांत शामिल थे।
दूसरा लेबनान युद्ध (2006)
लेबनान ने जुलाई 2006 में उत्तरी इजराइल में एक अभियान चलाया जिसमें कई इजराइली सैनिक और नागरिक हताहत हो गए लेकिन इजराइल ने
जवाबी हमला किया जिसमें एक हजार से अधिक लेबनानी मारे गए और लगभग दस लाख विस्थापित हुए जबकि दूसरे लेबनान युद्ध में सीधे तौर पर फिलिस्तीन शामिल नहीं था।
हमास के अधिग्रहण के बाद से इजराइल-फिलिस्तीन युद्ध इजरायल-फिलिस्तीन के बीच संघर्ष सापेक्षिक शांति के बीच जारी रहा लेकिन जब गाजा पट्टी पर हमास का राजनीतिक नियंत्रण आ गया तब गाजा में 2008-2009, 2012, 2014 और 2021 में चार उल्लेखनीय संघर्ष हुए हैं।
2008 के दिसंबर महीने में शुरू हुए इस संघर्ष में
हमास लड़कों ने इजरायल पर रॉकेट दाग दिए। इसके बाद इजरायल ने गाजा पट्टी में एक सैन्य अभियान शुरू किया, दोनों पक्षों के बीच यह युद्ध तीन सप्ताह तक चला।
ऑपरेशन पिलर ऑफ डिफेंस (2012)
इज़राइल ने 14 नवंबर 2012 को गाजा में हमास और
इस्लामिक जिहाद नेतृत्व के खिलाफ एक हवाई सैन्य अभियान 'पिलर ऑफ डिफेन्स' शुरू किया जो आठ दिनों तक चला।
29 नवंबर 2012 को, फ़िलिस्तीन को संयुक्त राष्ट्र में पर्यवेक्षक राज्य का दर्जा प्राप्त हुआ, जिसे कई लोग अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा फ़िलिस्तीनी राज्य के दर्जे की वास्तविक मान्यता के रूप में देखते हैं।
ऑपरेशन प्रोटेक्टिव एज (2014)
8 जुलाई 2014 को इजरायल ने ऑपरेशन प्रोटेक्टिव एज लॉन्च किया जिसे 2014 गाजा युद्ध के रूप में भी जाना जाता है। यह संघर्ष सबसे घातक माना जाता है जो 50 दिनों तक चला जिसमें कई नागरिक हताहत हुए और बुनियादी ढांचे को भी नुकसान पहुंचा।
पूर्वी यरुशलम में चल रहे तनाव के साथ मई 2021 में संघर्ष शुरू हुआ जिसमें
अल-अक्सा मस्जिद में झड़पें हुईं और यह लड़ाई 11 दिनों तक चली, जिसमें गाजा में कम से कम 250 लोग और इजरायल में 13 लोग मारे गए।