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रूस ने दशकों बाद हिंद महासागर में बढ़ाई सामरिक उपस्थिति, बांग्लादेश में रूसी युद्धपोत तैनात
रूस ने दशकों बाद हिंद महासागर में बढ़ाई सामरिक उपस्थिति, बांग्लादेश में रूसी युद्धपोत तैनात
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प्रशांत बेड़े के रूसी युद्धपोत पांच दशकों के अंतराल के बाद वर्तमान में चटगांव बंदरगाह में खड़े हैं।
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प्रशांत बेड़े के रूसी युद्धपोत पांच दशकों के अंतराल के बाद वर्तमान में चटगांव बंदरगाह में खड़े हैं। हालाँकि रूस म्यांमार को हथियारों का एक प्रमुख आपूर्तिकर्ता है, लेकिन संयुक्त अभ्यास दुर्लभ रहा है।दरअसल रूस और म्यांमार ने पिछले सप्ताह अंडमान सागर के उत्तरी जल क्षेत्र में अपना संयुक्त नौसैनिक अभ्यास आयोजित किया। संयुक्त अभ्यास में हवाई और पानी के नीचे अभ्यास और लाइव फायरिंग के साथ समुद्री सुरक्षा अभ्यास शामिल थे।अपनी एक्ट फार ईस्ट नीति के हिस्से के रूप में, भारत ने रूसी सुदूर पूर्व में उपस्थिति बढ़ा दी है और पूर्वी समुद्री गलियारे के तहत चेन्नई-व्लादिवोस्तोक समुद्री कनेक्टिविटी पहल को फिर से शुरू किया है। दोनों पक्ष बंगाल की खाड़ी में एक ट्रांस-शिपमेंट हब के निर्माण की भी संभावना तलाश रहे हैं।गौरतलब है कि पिछले साल रूस ने अपना नया समुद्री सिद्धांत जारी किया, जिसने भारत को हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में अपनी रणनीति के केंद्र में रखा।बता दें कि रूसी नौसेना की अपने भारतीय समकक्ष के साथ दशकों पुरानी साझेदारी है और दोनों पक्ष एक 'लॉजिस्टिक्स सेवा समझौता' करने की भी योजना बना रहे हैं।
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रूस ने दशकों बाद हिंद महासागर में बढ़ाई सामरिक उपस्थिति, बांग्लादेश में रूसी युद्धपोत तैनात
कई दशकों के बाद रूस ने बांग्लादेश में अपने युद्धपोतों को खड़ा करके और म्यांमार नौसेना के साथ पहला संयुक्त अभ्यास आयोजित करके हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में बढ़ती सैन्य उपस्थिति के बीच भारत की सहूलियत के लिए अपनी उपस्थिति बढ़ा दी है।
प्रशांत बेड़े के रूसी युद्धपोत पांच दशकों के अंतराल के बाद वर्तमान में चटगांव बंदरगाह में खड़े हैं। हालाँकि रूस म्यांमार को हथियारों का एक प्रमुख आपूर्तिकर्ता है, लेकिन संयुक्त अभ्यास दुर्लभ रहा है।
दरअसल रूस और म्यांमार ने पिछले सप्ताह अंडमान सागर के उत्तरी जल क्षेत्र में अपना संयुक्त
नौसैनिक अभ्यास आयोजित किया। संयुक्त अभ्यास में हवाई और पानी के नीचे अभ्यास और लाइव फायरिंग के साथ समुद्री सुरक्षा अभ्यास शामिल थे।
भारत की लंबे समय से इच्छा रही है कि रूस हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी उपस्थिति का विस्तार करे ताकि इस क्षेत्र में सामरिक स्थिति को संतुलित करने के लिए समावेशी बनाया जा सके।
अपनी एक्ट फार ईस्ट नीति के हिस्से के रूप में, भारत ने रूसी सुदूर पूर्व में उपस्थिति बढ़ा दी है और पूर्वी समुद्री गलियारे के तहत
चेन्नई-व्लादिवोस्तोक समुद्री कनेक्टिविटी पहल को फिर से शुरू किया है। दोनों पक्ष बंगाल की खाड़ी में एक ट्रांस-शिपमेंट हब के निर्माण की भी संभावना तलाश रहे हैं।
गौरतलब है कि पिछले साल
रूस ने अपना नया समुद्री सिद्धांत जारी किया, जिसने भारत को हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में अपनी रणनीति के केंद्र में रखा।
सिद्धांत के अनुसार, रूस की प्राथमिकता भारत के साथ सामरिक और नौसैनिक सहयोग के साथ-साथ ईरान, इराक, सऊदी अरब और क्षेत्र के अन्य राज्यों के साथ
व्यापक सहयोग विकसित करना है।
बता दें कि रूसी नौसेना की अपने भारतीय समकक्ष के साथ दशकों
पुरानी साझेदारी है और दोनों पक्ष एक 'लॉजिस्टिक्स सेवा समझौता' करने की भी योजना बना रहे हैं।