https://hindi.sputniknews.in/20231123/prithvi-ne-pehli-baar-antriksh-mein-1-arab-km-se-adhik-duri-se-prapt-kiya-leser-sandesh-5541956.html
पृथ्वी ने पहली बार अंतरिक्ष में 1 अरब KM से अधिक दूरी से प्राप्त किया लेजर संदेश
पृथ्वी ने पहली बार अंतरिक्ष में 1 अरब KM से अधिक दूरी से प्राप्त किया लेजर संदेश
Sputnik भारत
वर्तमान में उल्का पिंड साइकी के रास्ते में जा रहे साइकी अंतरिक्ष यान ने रिकॉर्ड तोड़ दूरी से एक लेजर बीम संदेश पृथ्वी पर सफलतापूर्वक प्रेषित किया है।
2023-11-23T15:59+0530
2023-11-23T15:59+0530
2023-11-23T15:59+0530
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
अमेरिका
nasa
अंतरिक्ष
अंतरिक्ष उद्योग
अंतरिक्ष अनुसंधान
तकनीकी विकास
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
https://cdn1.img.sputniknews.in/img/07e7/0b/17/5548628_0:160:3072:1888_1920x0_80_0_0_21e001a18a29a226d3c1e08ecdd41c4e.jpg
डीप स्पेस ऑप्टिकल कम्युनिकेशंस (DSOC) से यह उपलब्धि प्राप्त की गई है, जो साइकी यान पर उपस्थित है।इस मिशन में DSOC से लैस यान पृथ्वी से लगभग 16 मिलियन किलोमीटर दूर पहुंच चुका है, जहां से यह संदेश प्रेषित किए गया। ये दूरी लगभग पृथ्वी और चंद्रमा के मध्य की दूरी का चालीस गुना है। 14 नवंबर को साइकी अंतरिक्ष यान ने कैलिफोर्निया में पालोमर वेधशाला के हेल टेलीस्कोप के साथ एक संचार लिंक स्थापित किया। इस लिंक को पृथ्वी तक यात्रा करने में लगभग 50 सेकंड का समय लगा। यह संदेश परीक्षण डेटा के साथ एन्कोड किए गए एक निकट-अवरक्त लेजर बीम की सहायता से भेजा गया। फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से 13 अक्टूबर को इस अंतरिक्ष यान को रवाना किया गया था। अंतरिक्ष में जाने के बाद से यह यान लगातार पृथ्वी पर लेजर बीम की सहायता से संदेश भेज रहा है। अंतरिक्ष विज्ञान में कॉम्स लिंक की सफल स्थापना को 'पहली रोशनी' के रूप में जाना जाता है। साइकी अंतरिक्ष यान उल्का पिंड साइकी का पता लगा कर अध्ययन करने के लिए अंतरिक्ष में भेज गया है। इस उल्कापिंड के अध्ययन से ग्रह निर्माण के इतिहास की जानकारी जुटाई जा सकती है। इस परियोजना में यह यान अपने अंतिम गंतव्य स्थान तक पहुंचने के दौरान रास्ते में तेजी से दूर के स्थानों से लेजर सिग्नल भेजेगा और प्राप्त भी करेगा।
https://hindi.sputniknews.in/20231024/gaganyaan-mission-mein-bharat-ki-madad-karne-wali-rantriksh-rusi-agency-roscosmos-kya-hain-5024667.html
अमेरिका
Sputnik भारत
feedback.hindi@sputniknews.com
+74956456601
MIA „Rossiya Segodnya“
2023
धीरेंद्र प्रताप सिंह
https://cdn1.img.sputniknews.in/img/07e6/0c/13/135790_0:0:719:720_100x100_80_0_0_8e4e253a545aa4453ae659b236312d73.jpg
धीरेंद्र प्रताप सिंह
https://cdn1.img.sputniknews.in/img/07e6/0c/13/135790_0:0:719:720_100x100_80_0_0_8e4e253a545aa4453ae659b236312d73.jpg
खबरें
hi_IN
Sputnik भारत
feedback.hindi@sputniknews.com
+74956456601
MIA „Rossiya Segodnya“
https://cdn1.img.sputniknews.in/img/07e7/0b/17/5548628_171:0:2902:2048_1920x0_80_0_0_536de271a84041d79520d412e82b9d28.jpgSputnik भारत
feedback.hindi@sputniknews.com
+74956456601
MIA „Rossiya Segodnya“
धीरेंद्र प्रताप सिंह
https://cdn1.img.sputniknews.in/img/07e6/0c/13/135790_0:0:719:720_100x100_80_0_0_8e4e253a545aa4453ae659b236312d73.jpg
message to earth from a distance of more than 1 billion km, for the first time a message from a distance of more than 1 billion km in space, psyche spacecraft sent a message, message sent from distant space with the help of deep space optical communications, 1 अरब km से अधिक दूरी से पृथ्वी को संदेश, पहली बार अंतरिक्ष में 1 अरब km से अधिक दूरी से संदेश, साइकी अंतरिक्ष यान ने भेजा संदेश, डीप स्पेस ऑप्टिकल कम्युनिकेशंस की मदद से दूर अंतरिक्ष से भेजा संदेश
message to earth from a distance of more than 1 billion km, for the first time a message from a distance of more than 1 billion km in space, psyche spacecraft sent a message, message sent from distant space with the help of deep space optical communications, 1 अरब km से अधिक दूरी से पृथ्वी को संदेश, पहली बार अंतरिक्ष में 1 अरब km से अधिक दूरी से संदेश, साइकी अंतरिक्ष यान ने भेजा संदेश, डीप स्पेस ऑप्टिकल कम्युनिकेशंस की मदद से दूर अंतरिक्ष से भेजा संदेश
पृथ्वी ने पहली बार अंतरिक्ष में 1 अरब KM से अधिक दूरी से प्राप्त किया लेजर संदेश
वर्तमान में उल्का पिंड साइकी के रास्ते में जा रहे साइकी अंतरिक्ष यान ने रिकॉर्ड तोड़ दूरी से एक लेजर बीम संदेश पृथ्वी पर सफलतापूर्वक प्रेषित किया है।
डीप स्पेस ऑप्टिकल कम्युनिकेशंस (DSOC) से यह उपलब्धि प्राप्त की गई है, जो साइकी यान पर उपस्थित है।
इस मिशन में DSOC से लैस यान पृथ्वी से लगभग 16 मिलियन किलोमीटर दूर पहुंच चुका है, जहां से यह संदेश प्रेषित किए गया। ये दूरी लगभग पृथ्वी और चंद्रमा के मध्य की दूरी का चालीस गुना है।
14 नवंबर को साइकी
अंतरिक्ष यान ने कैलिफोर्निया में पालोमर वेधशाला के हेल टेलीस्कोप के साथ एक संचार लिंक स्थापित किया। इस लिंक को पृथ्वी तक यात्रा करने में लगभग 50 सेकंड का समय लगा। यह संदेश परीक्षण डेटा के साथ एन्कोड किए गए एक निकट-अवरक्त लेजर बीम की सहायता से भेजा गया।
फ्लोरिडा के
कैनेडी स्पेस सेंटर से 13 अक्टूबर को इस अंतरिक्ष यान को रवाना किया गया था। अंतरिक्ष में जाने के बाद से यह यान लगातार पृथ्वी पर लेजर बीम की सहायता से संदेश भेज रहा है।
"पहली रोशनी प्राप्त करना एक जबरदस्त उपलब्धि है। साइकी पर सवार DSOC के फ्लाइट ट्रांसीवर से गहरे अंतरिक्ष लेजर फोटॉनों का ग्राउंड उपकरण द्वारा सफलतापूर्वक पता लगाया गया था। हम डेटा भी दे सकते हैं, जिसका अर्थ है कि हम गहरे अंतरिक्ष से 'प्रकाश के टुकड़ों' का आदान-प्रदान कर सकते हैं," जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी में DSOC के प्रोजेक्ट टेक्नोलॉजिस्ट अबी बिस्वास ने कहा।
अंतरिक्ष विज्ञान में कॉम्स लिंक की सफल स्थापना को 'पहली रोशनी' के रूप में जाना जाता है।
साइकी
अंतरिक्ष यान उल्का पिंड साइकी का पता लगा कर अध्ययन करने के लिए अंतरिक्ष में भेज गया है। इस उल्कापिंड के अध्ययन से ग्रह निर्माण के इतिहास की जानकारी जुटाई जा सकती है।
इस परियोजना में यह यान अपने अंतिम गंतव्य स्थान तक पहुंचने के दौरान रास्ते में तेजी से दूर के स्थानों से लेजर सिग्नल भेजेगा और प्राप्त भी करेगा।