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आदित्य L1 महत्वपूर्ण चरण के तहत हैलो कक्षा में प्रवेश करने के लिए तैयार
आदित्य L1 महत्वपूर्ण चरण के तहत हैलो कक्षा में प्रवेश करने के लिए तैयार
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चंद्रयान के बाद भारत की अंतरिक्ष एजेंसी इसरो का सबसे बड़े मिशनों में से एक आदित्य L1 मिशन अब लैग्रेंज प्वाइंट 1 (पृथ्वी और सूर्य के बीच गुरुत्वाकर्षण संतुलन के बिंदु) के पास हैलो कक्षा में प्रवेश के लिए तैयार है।
2023-12-25T18:11+0530
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यह अंतरिक्ष यान 15 लाख किलोमीटर से अधिक की अपनी यात्रा के अंतिम चरण में है, इसरो ने 2 सितंबर, 2023 को श्रीहरिकोटा से इसका लॉन्च किया था। ताजा जानकारी के मुताबिक यह 6 जनवरी 2024 को अपने गंतव्य स्थान पर पहुंच जाएगा।L1 सूर्य और पृथ्वी के बीच का सबसे महत्वपूर्ण बिन्दु है, यह सूर्य का निर्बाध दृश्य प्रदान करता है, जिससे आदित्य एल1 आसानी से सौर वातावरण, सौर चुंबकीय तूफान और पृथ्वी के पर्यावरण पर उनके प्रभाव का अध्ययन करने में सक्षम होगा।अंतरिक्ष यान विभिन्न घटनाओं जैसे कोरोनल मास इजेक्शन (CMI) और इंटरप्लेनेटरी चुंबकीय क्षेत्र को मापेगा।इस मिशन की सफलता न केवल इसरो की क्षमताओं को साबित करेगी बल्कि सूर्य के रहस्यों और अंतरिक्ष मौसम पर इसके प्रभाव में नई जानकारी से रूबरू कराएगी।
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आदित्य L1 महत्वपूर्ण चरण के तहत हैलो कक्षा में प्रवेश करने के लिए तैयार
चंद्रयान के बाद भारत की अंतरिक्ष एजेंसी इसरो के सबसे बड़े मिशनों में से एक आदित्य L1 मिशन अब लैग्रेंज प्वाइंट 1 (पृथ्वी और सूर्य के बीच गुरुत्वाकर्षण संतुलन के बिंदु) के पास हैलो कक्षा में प्रवेश के लिए तैयार है।
यह अंतरिक्ष यान 15 लाख किलोमीटर से अधिक की अपनी यात्रा के अंतिम चरण में है, इसरो ने 2 सितंबर, 2023 को श्रीहरिकोटा से इसका लॉन्च किया था। ताजा जानकारी के मुताबिक यह 6 जनवरी 2024 को अपने गंतव्य स्थान पर पहुंच जाएगा।
इस मिशन में
लैग्रेंज प्वाइंट 1 (L1) में प्रवेश करना सबसे महत्वपूर्ण चरण है, क्योंकि इसके प्रवेश के लिए सटीक नेविगेशन और नियंत्रण की आवश्यकता होती है।
L1 सूर्य और पृथ्वी के बीच का सबसे महत्वपूर्ण बिन्दु है, यह सूर्य का निर्बाध दृश्य प्रदान करता है, जिससे आदित्य एल1 आसानी से सौर वातावरण,
सौर चुंबकीय तूफान और पृथ्वी के पर्यावरण पर उनके प्रभाव का अध्ययन करने में सक्षम होगा।
अंतरिक्ष यान विभिन्न घटनाओं जैसे कोरोनल मास इजेक्शन (CMI) और इंटरप्लेनेटरी चुंबकीय क्षेत्र को मापेगा।
इस मिशन की सफलता न केवल इसरो की क्षमताओं को साबित करेगी बल्कि सूर्य के रहस्यों और अंतरिक्ष मौसम पर इसके प्रभाव में नई जानकारी से रूबरू कराएगी।