https://hindi.sputniknews.in/20231231/jaanen-khaanii-nausenaa-adhikaariii-se-jokri-bne-prviin-tulpule-kii-6011089.html
जानें कहानी नौसेना अधिकारी से जोकर बने प्रवीण तुलपुले की
जानें कहानी नौसेना अधिकारी से जोकर बने प्रवीण तुलपुले की
Sputnik भारत
पूर्व भारतीय नौसेना अधिकारी लेफ्टिनेंट कमांडर प्रवीण तुलपुले एक ऐसा नाम जो बच्चों के बीच काफी प्रसिद्ध है।17 साल तक नौसेना में अपनी सेवाएं देने के दौरान एक घटना ने उनके जीवन को बदल कर रख दिया।
2023-12-31T19:06+0530
2023-12-31T19:06+0530
2023-12-31T19:06+0530
भारत
sputnik स्पेशल
मुंबई
वाइरल विडिओ
सामाजिक मीडिया
मानवीय हस्तक्षेप
मानवीय सहायता
अस्पताल
भारतीय नौसेना
जहाजी बेड़ा
https://cdn1.img.sputniknews.in/img/07e7/0c/1d/6017384_0:133:975:681_1920x0_80_0_0_947ef4dfc994910ef9bd9e60ac732227.jpg
प्रवीण तुलपुले ने नौसेना के अपने करियर को त्याग कर अपना जीवन एक जोकर के रूप में काम करने के लिए समर्पित कर दिया। पिछले 22 वर्षों से वह जोकर के रूप में जानलेवा बीमारियों से पीड़ित बच्चों के चेहरे पर मुस्कान लाने का काम कर रहे हैं।भारतीय नौसेना से लेफ्टिनेंट कमांडर के पद से सेवानिवृत्त हुए प्रवीण को बचपन से जादू का शौक था, और उन्होंने 13 साल की उम्र से जादू करना शुरू कर दिया था, जो नौसेना में शामिल होने के बाद भी जारी रहा। नौसेना में वह अक्सर अपने दोस्तों के साथ अपनी इस कला का प्रदर्शन करते रहते थे, लेकिन इस दौरान उन्होंने कभी भी अपने इस शौक को अपने काम के बीच में नहीं आने दिया, क्योंकि वह अपने सभी प्रदर्शन सप्ताहांत में किया करते थे।लेफ्टिनेंट कमांडर प्रवीण तुलपुले ने भारतीय नौसेना में संचार विशेषज्ञ के रूप में अपनी विशेषज्ञता प्राप्त की। प्रवीण वर्ष 1989-1990 तक आईएनएस विराट नामक शक्तिशाली विमानवाहक पोत पर नियुक्त थे।तुलपुले जादू को लेकर अक्सर सोचते रहते थे, शुरुआत में वह सिर्फ अकेले जादू दिखाया करते थे लेकिन उन्हें एक दिन लगा कि लोगों को उनके जादू में शामिल होना चाहिए और उन्होंने लोगों के साथ मिलकर एक टीम की तरह जादू दिखाना शुरू कर दिया, और जब वह जादू दिखा रहे होते तो दर्शकों से कुछ भी कहने को बोलते और जादू कर देते जिससे लोगों को और अधिक मजा आने लगा। इसके बाद उनका जोकर का चरित्र सामने आया।नौसेना में अपनी सेवा के दौरान मैने अपने पड़ोसी, दोस्त, नौसैनिक सहकर्मी, यहां तक कि अपने बच्चों के जन्मदिन पर भी लोगों के मनोरंजन के लिए कुछ जादुई करतब या ऐसा ही कुछ प्रदर्शन करता रहता था। एक दिन एक महिला के आमंत्रण पर मैं पहली बार जोकर की पोशाक में बच्चों के मनोरंजन के लिए एक अस्पताल में गया, जहां मैंने बच्चों से भरा एक कमरा देखा, उनमें से ज्यादातर ने या तो अपने चेहरे पर मास्क पहने हुए थे, वे या तो टोपी पहने हुए थे या किसी ने इंट्रावेनस कैनुला (IV) लगा रखा था। शुरुआत में मुझे लगा कि क्या मैं उन बीमार बच्चों को व्यस्त रख पाऊंगा? लेकिन मैं जानता था कि कुछ भी हो जाए मुझे अपना प्रदर्शन बच्चों के सामने करना होगा।तुलपुले आगे बताते हैं कि शो खत्म होने के मुझे पता चला कि अखबार में मेरी एक बच्चे के साथ तस्वीर छपी है, जिसे मैंने सभी को दिखाया। दो दिन बाद मेरी उस महिला से फिर से बात हुई तो मैंने उनका और फोटो में मेरे साथ आए उस बच्चे का धन्यवाद देना चाहा लेकिन उस महिला ने बताया कि वह बच्चा यह दुनिया छोड़ कर जा चुका है। कल तक जो बच्चा आपके साथ खेल रहा था और आज वह इस दुनिया को अलविदा कह गया, इस घटना ने मुझे हिलाकर रख दिया।मुझे बाद में पता चला कि उस बच्चे की आखिरी इच्छा सर्कस के जोकर से मिलने की थी, और जब मैंने उसके सामने प्रदर्शन किया तो वह बहुत खुश हुआ। इस घटना के बाद मुझे एहसास हुआ कि मैं बच्चों को खुशियाँ दे सकता हूँ, और वह मेरे जीवन का एक महत्वपूर्ण मोड़ था। मुझे मेरा पैशन मिल गया था। मैंने अपनी पेंशन, मेडिकल लाभ और लोगों की परवाह न करते हुए जोकर बनने का निर्णय किया, जिसके बाद मैं जोकर बन गया जो हर किसी को खुशियां बांट सके। 22 वर्ष से मैं यह काम कर रहा हूँ और एक दिन भी नहीं जब मुझे अपने निर्णय पर पछतावा हुआ।प्रवीण तुलपुले आगे कहते हैं कि उनके नौसेना छोड़ने के निर्णय पर उनके दोस्तों और शुभचिंतकों ने नाराजगी जताई। मेरी समस्या यह थी कि मुझे अपना जीवन जीने के लिए यह खूबसूरत चिंगारी मिल गई थी। मुझे अपने जीवन में कभी भी नौसेना में होने का अफसोस नहीं हुआ। मैंने अपने नौसैनिक जीवन का आनंद लिया, मुझे यह बहुत पसंद आया। लेकिन मुझे कभी भी नौसेना छोड़ने का अफसोस नहीं हुआ। मुझे अपने नौसैनिक करियर, अपनी वर्दी, अपनी संस्कृति, अपने दोस्तों और हर चीज़ की याद आती है। लेकिन मुझे इसका अफसोस नहीं है।पूर्व नौसेना अधिकारी तुलपुले ने बताया कि एनजीओ और अस्पताल और अन्य लोग किसी के माध्यम से मुझसे संपर्क करते हैं, अस्पतालों और अनाथालयों और एनजीओ से जो अच्छा काम कर रहे हैं, मैं पैसे नहीं लेता हूं। मैं इसे निशुल्क सेवा के रूप में करता हूँ। लेकिन जब मैं बाहर जाता हूं, या बंबई भी जाता हूं, तो लोगों से मेरा एक ही अनुरोध होता है कि मुझे अपने जीवनयापन के लिए पैसा नहीं चाहिए। कृपया मेरी यात्रा और रहने का ध्यान रखें क्योंकि मैं कॉरपोरेट्स के साथ काम करता हूं और इससे मेरी बुनियादी आवश्यकताएँ पूरी हो जाती हैं।अंत में प्रवीण बताते हैं कि आज भी वह अपने कार्यों के अतिरिक्त साहसिक कार्यों मैं भी लगे रहते हैं। पिछले साल नौसेना के पूर्व अफसरों की टीम के साथ भारत के स्वतंत्रता दिवस पर पानी के नीचे तिरंगा फहराया था। इससे पहले लगभग 20 साल पहले उन्होंने इसी टीम के साथ एक युवा जोड़े की शादी को पानी के अंदर पूरे रीति रिवाजों के साथ अंजाम दिया था। इसके अतिरिक्त वह रोमांच के लिए 63 वर्ष की उम्र में आज भी साइकिल की लंबी सवारी करते हैं।
https://hindi.sputniknews.in/20231225/bhartiya-nau-sena-adhikari-ne-lagataar-sarvadhik-merathon-daud-ka-banaya-vishv-record-5954097.html
भारत
मुंबई
Sputnik भारत
feedback.hindi@sputniknews.com
+74956456601
MIA „Rossiya Segodnya“
2023
धीरेंद्र प्रताप सिंह
https://cdn1.img.sputniknews.in/img/07e6/0c/13/135790_0:0:719:720_100x100_80_0_0_8e4e253a545aa4453ae659b236312d73.jpg
धीरेंद्र प्रताप सिंह
https://cdn1.img.sputniknews.in/img/07e6/0c/13/135790_0:0:719:720_100x100_80_0_0_8e4e253a545aa4453ae659b236312d73.jpg
खबरें
hi_IN
Sputnik भारत
feedback.hindi@sputniknews.com
+74956456601
MIA „Rossiya Segodnya“
https://cdn1.img.sputniknews.in/img/07e7/0c/1d/6017384_0:119:975:850_1920x0_80_0_0_80738cdec111a6bcaa9937f613ebce59.jpgSputnik भारत
feedback.hindi@sputniknews.com
+74956456601
MIA „Rossiya Segodnya“
धीरेंद्र प्रताप सिंह
https://cdn1.img.sputniknews.in/img/07e6/0c/13/135790_0:0:719:720_100x100_80_0_0_8e4e253a545aa4453ae659b236312d73.jpg
प्रवीण तुलपुले,पूर्व नौसेना अधिकारी, मेडिकल जोकर,कैरियर परिवर्तन, पूर्व भारतीय नौसेना अधिकारी लेफ्टिनेंट कमांडर प्रवीण तुलपुले,प्रवीण तुलपुले जोकर, कौन है प्रवीण तुलपुले, praveen tulpule, former naval officer, medical joker, career change, former indian navy officer lieutenant commander praveen tulpule, praveen tulpule joker, who is praveen tulpule,
प्रवीण तुलपुले,पूर्व नौसेना अधिकारी, मेडिकल जोकर,कैरियर परिवर्तन, पूर्व भारतीय नौसेना अधिकारी लेफ्टिनेंट कमांडर प्रवीण तुलपुले,प्रवीण तुलपुले जोकर, कौन है प्रवीण तुलपुले, praveen tulpule, former naval officer, medical joker, career change, former indian navy officer lieutenant commander praveen tulpule, praveen tulpule joker, who is praveen tulpule,
जानें कहानी नौसेना अधिकारी से जोकर बने प्रवीण तुलपुले की
पूर्व भारतीय नौसेना अधिकारी लेफ्टिनेंट कमांडर प्रवीण तुलपुले एक ऐसा नाम जो बच्चों के बीच काफी प्रसिद्ध है। 17 साल तक नौसेना में अपनी सेवाएं देने के दौरान एक घटना ने उनके जीवन को बदल कर रख दिया।
प्रवीण तुलपुले ने नौसेना के अपने करियर को त्याग कर अपना जीवन एक जोकर के रूप में काम करने के लिए समर्पित कर दिया। पिछले 22 वर्षों से वह जोकर के रूप में जानलेवा बीमारियों से पीड़ित बच्चों के चेहरे पर मुस्कान लाने का काम कर रहे हैं।
भारतीय नौसेना से लेफ्टिनेंट कमांडर के पद से सेवानिवृत्त हुए प्रवीण को बचपन से जादू का शौक था, और उन्होंने 13 साल की उम्र से जादू करना शुरू कर दिया था, जो
नौसेना में शामिल होने के बाद भी जारी रहा। नौसेना में वह अक्सर अपने दोस्तों के साथ अपनी इस कला का प्रदर्शन करते रहते थे, लेकिन इस दौरान उन्होंने कभी भी अपने इस शौक को अपने काम के बीच में नहीं आने दिया, क्योंकि वह अपने सभी प्रदर्शन सप्ताहांत में किया करते थे।
लेफ्टिनेंट कमांडर प्रवीण तुलपुले ने भारतीय नौसेना में संचार विशेषज्ञ के रूप में अपनी विशेषज्ञता प्राप्त की। प्रवीण वर्ष 1989-1990 तक आईएनएस विराट नामक शक्तिशाली
विमानवाहक पोत पर नियुक्त थे।
"जब मैं 13 साल का था तब मैंने जादू करना शुरू कर दिया था और मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं एक पेशेवर बन जाऊँगा। यह सिर्फ एक शौक था, और यह मेरे कॉलेज के दिनों तक मेरे साथ रहा, यहां तक कि नौसेना में भी, मुझे बच्चों, परिवारों और विभिन्न स्तरों के लोगों के साथ बातचीत करने के बहुत सारे अवसर मिले," प्रवीण तुलपुले ने कहा।
तुलपुले जादू को लेकर अक्सर सोचते रहते थे, शुरुआत में वह सिर्फ अकेले जादू दिखाया करते थे लेकिन उन्हें एक दिन लगा कि लोगों को उनके जादू में शामिल होना चाहिए और उन्होंने लोगों के साथ मिलकर एक टीम की तरह जादू दिखाना शुरू कर दिया, और जब वह जादू दिखा रहे होते तो दर्शकों से कुछ भी कहने को बोलते और जादू कर देते जिससे लोगों को और अधिक मजा आने लगा। इसके बाद उनका जोकर का चरित्र सामने आया।
"मैंने सोचा, चलो कुछ ऐसा करें जहां मैं दर्शकों को अपने जादू में शामिल कर सकूं और मैं यह कैसे कर सकूं। इसलिए मैंने उनसे जादुई शब्द का सुझाव मांगना शुरू कर दिया, जिसे मैं भूल जाऊंगा। और इस तरह मेरा जोकर का चरित्र सामने आया। लेकिन जोकर उसकी जादुई बातें भूल जाएगा, वह कुछ करने जाएगा कुछ और कर देगा। और इस तरह, लोगों ने इसका आनंद लेना शुरू कर दिया और लोग मेरी टीम बन गए," तुलपुले ने कहा।
नौसेना में अपनी सेवा के दौरान मैने अपने पड़ोसी, दोस्त,
नौसैनिक सहकर्मी, यहां तक कि अपने बच्चों के जन्मदिन पर भी लोगों के मनोरंजन के लिए कुछ जादुई करतब या ऐसा ही कुछ प्रदर्शन करता रहता था।
एक दिन एक महिला के आमंत्रण पर मैं पहली बार जोकर की पोशाक में बच्चों के मनोरंजन के लिए एक अस्पताल में गया, जहां मैंने बच्चों से भरा एक कमरा देखा, उनमें से ज्यादातर ने या तो अपने चेहरे पर मास्क पहने हुए थे, वे या तो टोपी पहने हुए थे या किसी ने इंट्रावेनस कैनुला (IV) लगा रखा था। शुरुआत में मुझे लगा कि क्या मैं उन बीमार बच्चों को व्यस्त रख पाऊंगा? लेकिन मैं जानता था कि कुछ भी हो जाए मुझे अपना प्रदर्शन बच्चों के सामने करना होगा।
"एक रविवार को मैं एक महिला के कहने के बाद बच्चों के लिए प्रदर्शन करने गया जहां मैंने पाया कि बच्चों ने मास्क पहन रखे थे, जिससे पता चलता था कि वे किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित थे। तो उस समय, मैंने यह सोचा कि क्या मैं भावनात्मक और शारीरिक रूप से जा सकता हूं और अपना जादू कर सकता हूं, और हमने शो किया। जिसके बाद हमने बहुत अच्छा समय बिताया। वहाँ एक छोटा सा बच्चा था जो मुझसे बहुत घुलमिल गया था और वह हर जगह रहता था। 45 मिनट के शो के बाद पार्टी ख़त्म हो गई," पूर्व भारतीय नौसेना अधिकारी ने कहा।
तुलपुले आगे बताते हैं कि शो खत्म होने के मुझे पता चला कि अखबार में मेरी एक बच्चे के साथ तस्वीर छपी है, जिसे मैंने सभी को दिखाया। दो दिन बाद मेरी उस महिला से फिर से बात हुई तो मैंने उनका और फोटो में मेरे साथ आए उस बच्चे का धन्यवाद देना चाहा लेकिन उस महिला ने बताया कि वह बच्चा यह दुनिया छोड़ कर जा चुका है। कल तक जो बच्चा आपके साथ खेल रहा था और आज वह इस
दुनिया को अलविदा कह गया, इस घटना ने मुझे हिलाकर रख दिया।
"अखबार में छपी खबर को मैंने बेस में अपने दोस्तों को दिखाया। दो दिन बाद उस महिला ने मुझे फिर से फोन किया। और तब मुझे एहसास हुआ कि मैंने उस महिला और उस लड़के को धन्यवाद नहीं दिया जिसकी वजह से मैं अखबार में छपा था। तभी महिला ने बताया कि हमने अभी-अभी बच्चा खो दिया है," प्रवीण तुलपुले ने कहा।
मुझे बाद में पता चला कि उस बच्चे की आखिरी इच्छा सर्कस के जोकर से मिलने की थी, और जब मैंने उसके सामने प्रदर्शन किया तो वह बहुत खुश हुआ। इस घटना के बाद मुझे एहसास हुआ कि मैं बच्चों को खुशियाँ दे सकता हूँ, और वह मेरे जीवन का एक महत्वपूर्ण मोड़ था। मुझे मेरा पैशन मिल गया था। मैंने अपनी पेंशन, मेडिकल लाभ और लोगों की परवाह न करते हुए जोकर बनने का निर्णय किया, जिसके बाद मैं जोकर बन गया जो हर किसी को खुशियां बांट सके। 22 वर्ष से मैं यह काम कर रहा हूँ और एक दिन भी नहीं जब मुझे अपने निर्णय पर पछतावा हुआ।
"मैंने निर्णय किया जोकर बनने का हालांकि, मैंने सोचा कि इस समय मैं नौसेना छोड़ता हूं, तो मुझे पेंशन और नौसेना से मुझे चिकित्सा का लाभ नहीं मिलेगा। लेकिन अब मुझे अपनी कॉलिंग मिल गई है। मैं एक जोकर या ऐसा व्यक्ति बनना चाहता हूं जो हर किसी को खुशियां बांट सके। मैं बच्चों के अलावा सभी बीमार लोगों को खुशियाँ फैलाना चाहता हूँ तो मुझे इसे प्रतिबंधित क्यों करना चाहिए? आइए इसे चारों ओर फैलाएं। और इस तरह 'हैप्पी अंकल' का जन्म हुआ," तुलपुले कहते हैं।
प्रवीण तुलपुले आगे कहते हैं कि उनके नौसेना छोड़ने के निर्णय पर उनके दोस्तों और शुभचिंतकों ने नाराजगी जताई। मेरी समस्या यह थी कि मुझे अपना जीवन जीने के लिए यह खूबसूरत चिंगारी मिल गई थी। मुझे अपने जीवन में कभी भी नौसेना में होने का अफसोस नहीं हुआ। मैंने अपने नौसैनिक जीवन का आनंद लिया, मुझे यह बहुत पसंद आया। लेकिन मुझे कभी भी नौसेना छोड़ने का अफसोस नहीं हुआ। मुझे अपने
नौसैनिक करियर, अपनी वर्दी, अपनी संस्कृति, अपने दोस्तों और हर चीज़ की याद आती है। लेकिन मुझे इसका अफसोस नहीं है।
"मेरे सहपाठी और बाकी सभी लोग मेरे बहुत खिलाफ थे, लेकिन उन्होंने स्वीकार कर लिया। जब आप परिवार के बारे में बात करते हैं, तो बच्चे मेरे निर्णय लेने में कोई भूमिका निभाने के लिए बहुत छोटे थे। मेरे माता-पिता ने कहा कि अगर आपको लगता है कि आप खुश रहेंगे, तो कृपया चिंता न करें या किसी चीज़ का इंतज़ार न करें, बस बाहर निकलें और अपना काम करें। और मैंने जोकर बनने का निर्णय किया," पूर्व भारतीय नौसेना अधिकारी ने कहा।
पूर्व नौसेना अधिकारी तुलपुले ने बताया कि एनजीओ और अस्पताल और अन्य लोग किसी के माध्यम से मुझसे संपर्क करते हैं, अस्पतालों और अनाथालयों और एनजीओ से जो अच्छा काम कर रहे हैं, मैं पैसे नहीं लेता हूं। मैं इसे निशुल्क सेवा के रूप में करता हूँ। लेकिन जब मैं बाहर जाता हूं, या बंबई भी जाता हूं, तो लोगों से मेरा एक ही अनुरोध होता है कि मुझे अपने जीवनयापन के लिए पैसा नहीं चाहिए। कृपया मेरी यात्रा और रहने का ध्यान रखें क्योंकि मैं कॉरपोरेट्स के साथ काम करता हूं और इससे मेरी बुनियादी आवश्यकताएँ पूरी हो जाती हैं।
"निस्संदेह, आज, मैं आसानी से 8000 से अधिक शो कर चुका हूँ जो सभी मुफ़्त थे। एक भी रुपया मेरी जेब में नहीं गया है। मेरा अस्तित्व कार्यशालाओं और प्रशिक्षण सत्रों और कॉरपोरेट्स के लिए कुछ विश्राम और तनाव-विरोधी सत्र आयोजित करने से आता है," प्रवीण तुलपुले ने कहा।
अंत में प्रवीण बताते हैं कि आज भी वह अपने कार्यों के अतिरिक्त साहसिक कार्यों मैं भी लगे रहते हैं। पिछले साल नौसेना के पूर्व अफसरों की टीम के साथ भारत के स्वतंत्रता दिवस पर पानी के नीचे तिरंगा फहराया था। इससे पहले लगभग 20 साल पहले उन्होंने इसी टीम के साथ एक युवा जोड़े की शादी को पानी के अंदर पूरे रीति रिवाजों के साथ अंजाम दिया था। इसके अतिरिक्त वह रोमांच के लिए 63 वर्ष की उम्र में आज भी साइकिल की लंबी सवारी करते हैं।