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अमेरिकी चिनूक की खरीद के बजाय रूसी MI-26 और स्वदेशी हेलिकाप्टरों पर ध्यान देगा भारत: विशेषज्ञ
अमेरिकी चिनूक की खरीद के बजाय रूसी MI-26 और स्वदेशी हेलिकाप्टरों पर ध्यान देगा भारत: विशेषज्ञ
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वर्तमान में, भारतीय वायुसेना अमेरिकी चिनूक का उपयोग कर रही है, परंतु भारतीय मीडिया के सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, भारत नए विशेष विमानों का निर्माण देश में ही करेगा।
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वर्तमान में, भारतीय वायु सेना अमेरिकी चिनूक का उपयोग कर रही है, परंतु भारतीय मीडिया के सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, भारत नए विशेष विमानों का निर्माण देश में ही करेगा। इसका अर्थ यह है कि भारत ने घरेलू हेलीकॉप्टरों को प्राथमिकता दी है और कथित स्तर पर अमेरिकी चिनूक का आयात करने का विचार त्याग दिया है। अब भारत के पास 15 अमेरिकी चिनूक हेलीकॉप्टर्स हैं। Sputnik India के साथ इस स्थिति के बारे में बात करते हुए एयर मार्शल अनिल चोपड़ा (सेवानिवृत्त) ने बताया कि भारत को जितना चिनूक हेलिकाप्टर लेना था उतना उसने ले लिया, अब उसकी आगे आवश्यकता नहीं है। "चिनूक अच्छा जहाज है, परंतु भारत अब इसे अधिक पैसा खर्च करके क्यों खरीदे, कोई भी देश अपनी आवश्यकता के अनुसार कोई वस्तु खरीदता है, भारत की अपनी तैयारी है हेलिकाप्टर स्वयं बना रहे हैं तो इसकी आवश्यकता अब नहीं है," चोपड़ा ने बताया।चोपड़ा इस बात पर जोर देकर कहते हैं कि देश में हेलीकॉप्टर बन रहे हैं, LCH 400 से अधिक मात्रा में बना चुके हैं, इसके उपरांत भारत का अगला लक्ष्य है कि विशाल हेलीकॉप्टर बनाया जाए जिसके लिए कार्य चालू भी है। पिछले कुछ वर्षों से भारत सरकार ने देशी हथियारों और लड़ाकू विमानों को खरीदने पर जोर दिया है। भारत स्वतंत्रता के 100 वर्ष यानि 2047 तक पूरी तरह से आत्मनिर्भर होने का लक्ष्य बनाया है जिसमें रक्षा आवश्यकताएँ एवं आपूर्तियाँ भी सम्मिलित की गई हैं। भारत सरकार बार-बार कहती आ रही है कि रक्षा आपूर्ति के लिए दूसरों पर निर्भरता एक रणनीतिक दुर्बलता है जिसे दूर किया जाना चाहिए, सशस्त्र बलों के अनुसार कोविड ने वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं को प्रभावित किया है, जो आत्मनिर्भरता की आवश्यकता को उजागर करता है। विशेषज्ञ मानते हैं कि हेलीकॉप्टर के बाद लड़ाकू विमान की आवश्यकता को भी देश से ही पूरा किया जाए। क्या MI-26 भारतीय वायु सेना के लिए लाभप्रद है?ज्ञात है कि लद्दाख और सियाचिन ग्लेशियरों जैसे स्थानों में नियुक्त MI-26 भारतीय सेना की सहायता के लिए एयरलिफ्ट ऑपरेशन के लिए अहम भूमिका निभा चुके हैं।
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अमेरिकी चिनूक की खरीद के बजाय रूसी MI-26 और स्वदेशी हेलिकाप्टरों पर ध्यान देगा भारत: विशेषज्ञ
14:08 05.01.2024 (अपडेटेड: 14:55 05.01.2024) रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय वायु सेना नए हैवी लिफ्ट हेलीकॉप्टरों की खोज कर रही है, जो उसकी ऑपरेशनल आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए तैयार किया जा सकता है।
वर्तमान में, भारतीय वायु सेना अमेरिकी चिनूक का उपयोग कर रही है, परंतु भारतीय मीडिया के सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, भारत नए विशेष विमानों का निर्माण देश में ही करेगा।
इसका अर्थ यह है कि भारत ने घरेलू हेलीकॉप्टरों को प्राथमिकता दी है और कथित स्तर पर अमेरिकी चिनूक का आयात करने का विचार त्याग दिया है। अब भारत के पास 15 अमेरिकी चिनूक हेलीकॉप्टर्स हैं।
Sputnik India के साथ इस स्थिति के बारे में बात करते हुए एयर मार्शल अनिल चोपड़ा (सेवानिवृत्त) ने बताया कि भारत को जितना चिनूक हेलिकाप्टर लेना था उतना उसने ले लिया, अब उसकी आगे आवश्यकता नहीं है।
"चिनूक अच्छा जहाज है, परंतु भारत अब इसे अधिक पैसा खर्च करके क्यों खरीदे, कोई भी देश अपनी आवश्यकता के अनुसार कोई वस्तु खरीदता है,
भारत की अपनी तैयारी है हेलिकाप्टर स्वयं बना रहे हैं तो इसकी आवश्यकता अब नहीं है," चोपड़ा ने बताया।
"कर्नाटक के तुमुकुरु में HAL द्वारा फैक्ट्री भी खोला गया है जहां हम बड़े आकार का हेलीकॉप्टर स्वयं बनाएंगे। अगले 8 से 10 सालों में जब भी हमारा बड़ा हेलीकॉप्टर बनकर तैयार होगा हम वही उपयोग में लाएंगे, आगे अब अमेरिकी चिनूक की आवश्यकता नहीं है, और इस निर्णय से हमारी परिचालन तैयारी में किसी भी प्रकार का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा," एयर मार्शल अनिल चोपड़ा (सेवानिवृत्त) भारत के इस निर्णय पर अपना विचार रखते हुए कहते हैं।
चोपड़ा इस बात पर जोर देकर कहते हैं कि देश में हेलीकॉप्टर बन रहे हैं, LCH 400 से अधिक मात्रा में बना चुके हैं, इसके उपरांत भारत का अगला लक्ष्य है कि विशाल हेलीकॉप्टर बनाया जाए जिसके लिए कार्य चालू भी है।
पिछले कुछ वर्षों से भारत सरकार ने देशी हथियारों और
लड़ाकू विमानों को खरीदने पर जोर दिया है। भारत स्वतंत्रता के 100 वर्ष यानि 2047 तक पूरी तरह से आत्मनिर्भर होने का लक्ष्य बनाया है जिसमें रक्षा आवश्यकताएँ एवं आपूर्तियाँ भी सम्मिलित की गई हैं।
"भारत विश्व में बड़ी शक्तियों में से एक हैं, हमारी अर्थव्यवस्था 5वीं स्थान पर है और आने वाले समय में तीसरे स्थान पर आ जाएगी। हम एक ग्लोबल पावर हैं और जो भी रक्षा क्षेत्र में सामग्री की आवश्यकता है वह हम देश में ही बनाएं। अगर देश को बड़ी शक्ति बनाना है तो भारत को उत्पादन क्षमता और बढ़ाने की आवश्यकता है," एयर मार्शल अनिल चोपड़ा कहते हैं।
भारत सरकार बार-बार कहती आ रही है कि
रक्षा आपूर्ति के लिए दूसरों पर निर्भरता एक रणनीतिक दुर्बलता है जिसे दूर किया जाना चाहिए, सशस्त्र बलों के अनुसार कोविड ने वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं को प्रभावित किया है, जो आत्मनिर्भरता की आवश्यकता को उजागर करता है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि हेलीकॉप्टर के बाद लड़ाकू विमान की आवश्यकता को भी देश से ही पूरा किया जाए।
"हमने एलसीए जहाज बना दिया और उसके नए वेरिएन्ट बना रहे हैं, साथ ही AMCA और ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट में C-295 भारत में बना रहे हैं। इसके साथ आने वाले समय में हम एयरलाइनर भी बनाएंगे," चोपड़ा जोर देकर कहते हैं।
क्या MI-26 भारतीय वायु सेना के लिए लाभप्रद है?
ज्ञात है कि लद्दाख और सियाचिन ग्लेशियरों जैसे स्थानों में नियुक्त MI-26 भारतीय सेना की सहायता के लिए एयरलिफ्ट ऑपरेशन के लिए अहम भूमिका निभा चुके हैं।
"रूसी MI-26 विश्व का सबसे बड़ा हेलीकॉप्टर है और भारतीय वायु सेना ने इसका उपयोग बहुत किया है। अभी जितने भी MI-26 हेलिकाप्टर भारत के पास हैं उनकी लाइफ अभी बहुत बड़ी है। अगर इसे थोड़ा अपग्रेड कर देते हैं तो यह और भी प्रभावशाली बन जाएगा। लेह लद्दाख में MI-26 भारतीय वायु सेना के लिए बहुत कार्य किया है अगर थोड़े ही खर्च में इसका रखरखाव कार्य हो जाता है तो भारतीय वायु सेना के लिए बहुत लाभप्रद सिद्ध होगा, साथ ही भारतीय वायु सेना के बेड़े को और भी सबलता प्रदान करेगा," चोपड़ा मानते हैं।