राजनीति
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सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड को असंवैधानिक बताकर रद्द किया

© AFP 2023 SAJJAD HUSSAINIndia's supreme court building is pictured in New Delhi on July 9, 2018.
India's supreme court building is pictured in New Delhi on July 9, 2018. - Sputnik भारत, 1920, 15.02.2024
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भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को एक ऐतिहासिक फैसले में राजनीतिक फंडिंग के लिए चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक करार देकर रद्द कर दिया।
भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि चुनावी बॉन्ड योजना असंवैधानिक एवं मनमानी है और इससे राजनीतिक दलों और दानदाताओं के बीच बदले की व्यवस्था हो सकती है।
पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने माना कि काले धन से लड़ने और दानदाताओं की गोपनीयता बनाए रखने का घोषित उद्देश्य इस योजना का बचाव नहीं कर सकता। अदालत ने कहा कि चुनावी बॉन्ड काले धन पर अंकुश लगाने का एकमात्र तरीका नहीं है।

मुख्य न्यायाधीश ने अपना फैसला पढ़ते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि गुमनाम चुनावी बॉन्ड सूचना के अधिकार और अनुच्छेद 19(1)(ए) का उल्लंघन है।

साथ ही मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि भारतीय स्टेट बैंक (SBI) तुरंत इन बॉन्ड्स को जारी करना बंद कर देगा और इस माध्यम से किए गए दान का विवरण भारत के चुनाव आयोग को प्रदान करेगा। चुनाव निकाय को यह जानकारी 13 मार्च तक अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित करने के लिए कहा गया है।
इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने योजना को प्रभावी बनाने के लिए कंपनी और कर कानूनों में किए गए संशोधनों को भी रद्द कर दिया। पहले, कंपनियों को चंदा देने के लिए कम से कम तीन साल पुराना होना जरूरी था और जिस पार्टी को वह चंदा दे रही थी, उसकी राशि और नाम का खुलासा करना पड़ता था। कॉरपोरेट चंदे में पारदर्शिता सुनिश्चित करने वाली इन शर्तों को नए कानून के तहत खत्म कर दिया गया।

चुनावी बांड क्या है?

चुनावी बॉन्ड योजना 2018 में काले धन को राजनीतिक प्रणाली में प्रवेश करने से रोकने के घोषित उद्देश्य के साथ शुरू की गई थी। तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने तब कहा था कि भारत में राजनीतिक फंडिंग की पारंपरिक प्रथा नकद दान है।
चुनावी बॉन्ड (EB) मुद्रा नोटों की तरह "वाहक" उपकरण हैं। जिसे किसी भी व्यक्ति, कंपनी, फर्म या व्यक्तियों के संघ द्वारा खरीदा जा सकता है, बशर्ते वह व्यक्ति या निकाय भारत का नागरिक हो या भारत में निगमित या स्थापित हो।
इन्हें एक हजार रुपये ($12), 10 हजार रुपये ($120), एक लाख रुपये ($1,200), 10 लाख रुपये ($12,000) और एक करोड़ रुपये ($120,000) के मूल्यवर्ग में बेचा जाता है। इन्हें व्यक्तियों, समूहों या कॉर्पोरेट संगठनों द्वारा खरीदा जा सकता है और अपनी पसंद के राजनीतिक दल को दान किया जा सकता है, जो 15 दिनों के बाद उन्हें बिना ब्याज के भुना सकता है।
दरअसल राजनीतिक दलों को उन सभी दानदाताओं की पहचान उजागर करने की आवश्यकता होती है जो नकद में 20 हजार रुपये ($ 240) से अधिक दान करते हैं, चुनावी बॉन्ड के माध्यम से दान करने वालों के नाम कभी भी उजागर नहीं किए जाते हैं, चाहे राशि कितनी भी बड़ी क्यों न हो।
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