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भारत के शीर्ष अस्पताल AIIMS और DRDO की एक्सोस्केलेटन विकसित करने के तैयारी: रिपोर्ट
भारत के शीर्ष अस्पताल AIIMS और DRDO की एक्सोस्केलेटन विकसित करने के तैयारी: रिपोर्ट
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भारत की राजधानी नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) और रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने एक अभूतपूर्व पहनने योग्य रोबोट एक्सोस्केलेटन बनाने के लिए साथ में आए हैं।
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डॉक्टरों और शोधकर्ताओं की यह एक टीम इस एक्सोस्केलेटन रोबोट को विकसित करने पर कार्य कर रही है, जो देश की सेवा के दौरान अपने चलने की क्षमता खो चुके या चोटों के कारण लकवाग्रस्त हो गए सैनिकों के काम आएगा।एम्स में ऑर्थोपेडिक विभाग के प्रमुख प्रोफेसर रवि मित्तल ने भारतीय मीडिया को बताया कि एक्सोस्केलेटन का निर्माण प्लास्टिक और धातु के संयोजन से किया जाएगा, जो एक अद्वितीय और अभिनव संरचना तैयार करेगा। इसके साथ-साथ अस्पताल के ऑर्थोपेडिक विभाग के प्रोफेसर भावुक गर्ग ने कहा कि वे वर्तमान में गैट लैब में पहनने योग्य एक्सोस्केलेटन रोबोट बनाने के पहले चरण में हैं।इसे बनाने के पहले चरण के दौरान टीम में सम्मिलित डॉक्टर और शोधकर्ता वर्तमान में शरीर पर कई सेंसर और कैमरों के उपयोग के माध्यम से घुटनों, पैरों और शरीर के अन्य हिस्सों की गतिविधियों को रिकॉर्ड करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।इससे व्यक्ति की चलने की शैली, पैर घुमाने, गति और कदम की लंबाई को ध्यान में रखते हुए सभी मापदंडों और कार्यों का सावधानीपूर्वक अध्ययन, विश्लेषण का कार्य किया जाएगा।AIIMS के डॉक्टर IIT दिल्ली के साथ मिलकर काम कर रहे हैं और एक्सोस्केलेटन बनाने के लिए उन्हें DRDO द्वारा आर्थिक सहायता की जा रही है।
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भारत के शीर्ष अस्पताल AIIMS और DRDO की एक्सोस्केलेटन विकसित करने के तैयारी: रिपोर्ट
19:57 23.02.2024 (अपडेटेड: 19:58 23.02.2024) भारत की राजधानी नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) और रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने एक अभूतपूर्व पहनने योग्य रोबोट एक्सोस्केलेटन बनाने के लिए साथ में आए हैं।
डॉक्टरों और शोधकर्ताओं की यह एक टीम इस एक्सोस्केलेटन रोबोट को विकसित करने पर कार्य कर रही है, जो देश की सेवा के दौरान अपने चलने की क्षमता खो चुके या चोटों के कारण लकवाग्रस्त हो गए सैनिकों के काम आएगा।
एम्स में ऑर्थोपेडिक विभाग के प्रमुख प्रोफेसर
रवि मित्तल ने भारतीय मीडिया को बताया कि एक्सोस्केलेटन का निर्माण प्लास्टिक और धातु के संयोजन से किया जाएगा, जो एक अद्वितीय और अभिनव संरचना तैयार करेगा। इसके साथ-साथ अस्पताल के ऑर्थोपेडिक विभाग के प्रोफेसर भावुक गर्ग ने कहा कि वे वर्तमान में गैट लैब में पहनने योग्य
एक्सोस्केलेटन रोबोट बनाने के पहले चरण में हैं।
प्रोफेसर गर्ग ने कहा, "हम चलते समय लोगों में मांसपेशियों की सक्रियता के पैटर्न के बारे में डेटा देख रहे हैं और एकत्र कर रहे हैं। एक बार जब हमारे पास यह डेटा होगा, तो हम इसे पहनने योग्य रोबोट एक्सोस्केलेटन में डाल देंगे, जो लकवा ग्रस्त लोगों को चलने में सक्षम बनाएगा।"
इसे बनाने के पहले चरण के दौरान टीम में सम्मिलित
डॉक्टर और शोधकर्ता वर्तमान में शरीर पर कई सेंसर और कैमरों के उपयोग के माध्यम से घुटनों, पैरों और शरीर के अन्य हिस्सों की गतिविधियों को रिकॉर्ड करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।
इससे व्यक्ति की चलने की शैली, पैर घुमाने, गति और कदम की लंबाई को ध्यान में रखते हुए सभी मापदंडों और कार्यों का सावधानीपूर्वक अध्ययन, विश्लेषण का कार्य किया जाएगा।
AIIMS के डॉक्टर IIT दिल्ली के साथ मिलकर काम कर रहे हैं और एक्सोस्केलेटन बनाने के लिए उन्हें DRDO द्वारा आर्थिक सहायता की जा रही है।