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तमिलनाडु में बनने वाला स्पेसपोर्ट छोटे व्यावसायिक उपग्रहों को भेजेगा अंतरिक्ष: विशेषज्ञ
तमिलनाडु में बनने वाला स्पेसपोर्ट छोटे व्यावसायिक उपग्रहों को भेजेगा अंतरिक्ष: विशेषज्ञ
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भारत जल्द ही छोटे उपग्रह लॉन्च करने के लिए दूसरा स्पेसपोर्ट बनाने जा रहा है। तमिलनाडु के थूथुकुडी जिले के कुलसेकरपट्टिनम में 28 फरवरी को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसकी आधारशिला रखेंगे।
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भारत जल्द ही छोटे उपग्रह लॉन्च करने के लिए दूसरा स्पेसपोर्ट बनाने जा रहा है। तमिलनाडु के थूथुकुडी जिले के कुलसेकरपट्टिनम में 28 फरवरी को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसकी आधारशिला रखेंगे। यह स्पेसपोर्ट 950 करोड़ रुपए की लागत से 2,233 एकड़ क्षेत्र में बनाया जाएगा।हालांकि, भारत के राज्य आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में मौजूद स्पेसपोर्ट काम करता रहेगा। जानकारों के मुताबिक यह नई सुविधा छोटे उपग्रह प्रक्षेपण वाहनों (SSLV) को लॉन्च करने के लिए समर्पित होगी।इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने जनवरी में कहा था कि नया स्पेसपोर्ट अंतरिक्ष एजेंसी को उच्च पेलोड क्षमता प्रदान करने के साथ साथ प्रक्षेपण को कम समय में सक्षम बनाएगा। दुनिया भर में छोटे उपग्रहों का वैश्विक बाजार बहुत तेजी से बढ़ रहा है और इस बाजार पर काबिज होने के लिए इस तरह के स्पेसपोर्ट भारत के लिए बहुत आवश्यक होंगे।भारत में वायुसेना से ग्रुप कैप्टन के पद से सेवानिवृत्त और अनुसंधान के विशिष्ट क्षेत्रों में सामूहिक विनाश के हथियार (WMD), अंतरिक्ष सुरक्षा और सामरिक प्रौद्योगिकियों जैसे मुद्दों पर जानकारी रखने वाले अजय लेले ने देश के दूसरे स्पेसपोर्ट की आधारशिला रखे जाने पर Sputnik भारत से बात करते हुए बताया कि भारत मे SSLV (समाल सॅटॅलाइट लॉन्च वीइकल) विकसित कर सफलतापूर्वक टेस्ट किया जा चुका है, और छोटे उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेजने के लिए नया स्पेसपोर्ट काम में लिए जाएगा।इस स्पेसपोर्ट की जरूरत के बारे में बात करते हुए अजय ने बताया कि साल 2017 में एक कंपनी द्वारा अंतरिक्ष में उपग्रह भेजे जाने के बाद कम्युनिकेशन की दुनिया में उपग्रह के जरिए इंटरनेट चलाए जाने की बात होने लगी और दुनिया भर में छोटे उपग्रहों को लॉन्च करने के लिए होड़ सी मच गई और छोटे उपग्रह बाजार में कई ऐसे देश आगे आ गए हैं जो इस तरह के उपग्रह को लॉन्च करना चाह रहे हैं।आगे जब ग्रुप कैप्टन से पुछा गया कि इस स्पेसपोर्ट के बन जाने के बाद भारत दुनिया भर में अंतरिक्ष की एक बड़ी ताकत के रूप में उभरेगा तब उन्होंने बताया कि इसे क्षेत्रीय अंतरिक्ष शक्ति के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए, क्योंकि इसरो इसे व्यवसायिक तौर पर देख रहा है।
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छोटे उपग्रह लॉन्च करने के लिए दूसरा स्पेसपोर्ट, तमिलनाडु के थूथुकुडी जिले के कुलसेकरपट्टिनम में स्पेसपोर्ट, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्पेसपोर्ट की रखेंगे आधारशिला, इसरो ने किया 430 विदेशी उपग्रह लॉन्च, इसरो प्रमुख एस सोमनाथ, भारत में वायु सेना से ग्रुप कैप्टन के पद से सेवानिवृत्त अजय लेले, second spaceport to launch small satellites, spaceport at kulasekarapattinam in thoothukudi district of tamil nadu, prime minister narendra modi will lay the foundation stone of the spaceport, isro launches 430 foreign satellites, isro chief s somnath, retired as group captain from the indian air force. ajay lele
छोटे उपग्रह लॉन्च करने के लिए दूसरा स्पेसपोर्ट, तमिलनाडु के थूथुकुडी जिले के कुलसेकरपट्टिनम में स्पेसपोर्ट, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्पेसपोर्ट की रखेंगे आधारशिला, इसरो ने किया 430 विदेशी उपग्रह लॉन्च, इसरो प्रमुख एस सोमनाथ, भारत में वायु सेना से ग्रुप कैप्टन के पद से सेवानिवृत्त अजय लेले, second spaceport to launch small satellites, spaceport at kulasekarapattinam in thoothukudi district of tamil nadu, prime minister narendra modi will lay the foundation stone of the spaceport, isro launches 430 foreign satellites, isro chief s somnath, retired as group captain from the indian air force. ajay lele
तमिलनाडु में बनने वाला स्पेसपोर्ट छोटे व्यावसायिक उपग्रहों को भेजेगा अंतरिक्ष: विशेषज्ञ
इसरो अंतरिक्ष क्षेत्र में नए नए कीर्तिमान बनाने के साथ-साथ व्यावसायिक क्षेत्र में भी आगे बढ़ रहा है। भारत के अंतरिक्ष संस्थान इसरो ने कई देशों के लिए लगभग 430 विदेशी उपग्रह लॉन्च किए हैं, जिससे देश को लगभग 4000 करोड़ की आमदनी हुई है।
भारत जल्द ही छोटे उपग्रह लॉन्च करने के लिए दूसरा स्पेसपोर्ट बनाने जा रहा है। तमिलनाडु के थूथुकुडी जिले के कुलसेकरपट्टिनम में 28 फरवरी को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसकी आधारशिला रखेंगे। यह स्पेसपोर्ट 950 करोड़ रुपए की लागत से 2,233 एकड़ क्षेत्र में बनाया जाएगा।
हालांकि, भारत के राज्य आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में मौजूद स्पेसपोर्ट काम करता रहेगा। जानकारों के मुताबिक यह नई सुविधा
छोटे उपग्रह प्रक्षेपण वाहनों (SSLV) को लॉन्च करने के लिए समर्पित होगी।
इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने जनवरी में कहा था कि नया स्पेसपोर्ट
अंतरिक्ष एजेंसी को उच्च पेलोड क्षमता प्रदान करने के साथ साथ प्रक्षेपण को कम समय में सक्षम बनाएगा। दुनिया भर में छोटे उपग्रहों का वैश्विक बाजार बहुत तेजी से बढ़ रहा है और इस बाजार पर काबिज होने के लिए इस तरह के स्पेसपोर्ट भारत के लिए बहुत आवश्यक होंगे।
भारत में वायुसेना से ग्रुप कैप्टन के पद से सेवानिवृत्त और अनुसंधान के विशिष्ट क्षेत्रों में सामूहिक विनाश के हथियार (WMD), अंतरिक्ष सुरक्षा और सामरिक प्रौद्योगिकियों जैसे मुद्दों पर जानकारी रखने वाले
अजय लेले ने देश के दूसरे स्पेसपोर्ट की आधारशिला रखे जाने पर Sputnik भारत से बात करते हुए बताया कि भारत मे SSLV (समाल सॅटॅलाइट लॉन्च वीइकल) विकसित कर सफलतापूर्वक टेस्ट किया जा चुका है, और छोटे उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेजने के लिए
नया स्पेसपोर्ट काम में लिए जाएगा।
अजय लेले ने कहा, "छोटे उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेजने के लिए इस तरह के स्पेसपोर्ट की जरूरत होती है। श्रीहरीकोटा से हम बड़े उपग्रह लॉन्च करते हैं। भारत इसे व्यावसायिक तौर पर देख रहा है क्योंकि भारत के पास छोटे उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेजने के लिए अनुरोध आते हैं तो इस तरह के छोटे उपग्रहों को छोड़ने के लिए श्रीहरिकोटा पर व्यवस्तता कम करने के कारण एक ओर व्यवसायिक पोर्ट बनाने जा रहे हैं।"
इस स्पेसपोर्ट की जरूरत के बारे में बात करते हुए अजय ने बताया कि साल 2017 में एक कंपनी द्वारा अंतरिक्ष में उपग्रह भेजे जाने के बाद कम्युनिकेशन की
दुनिया में उपग्रह के जरिए इंटरनेट चलाए जाने की बात होने लगी और दुनिया भर में छोटे उपग्रहों को लॉन्च करने के लिए होड़ सी मच गई और छोटे उपग्रह बाजार में कई ऐसे देश आगे आ गए हैं जो इस तरह के उपग्रह को लॉन्च करना चाह रहे हैं।
अंतरिक्ष मामलों के जानकार अजय लेले ने कहा, "अंतरिक्ष आधारित इंटरनेट की सोच आने के बाद दुनिया भर में छोटे उपग्रह की मांग पिचले 2-3 सालों में काफी बढ़ी है, क्योंकि दुनिया भर में यह देखा जा रहा है कि कम्यूनिकेशन के क्षेत्र में अंतरिक्ष आधारित इंटरनेट के जरिए बहुत फायदे उठाए जा सकते हैं। भारत इस अवसर का खुल कर फायदा उठा रहा है।"
आगे जब ग्रुप कैप्टन से पुछा गया कि इस स्पेसपोर्ट के बन जाने के बाद भारत दुनिया भर में अंतरिक्ष की एक बड़ी ताकत के रूप में उभरेगा तब उन्होंने बताया कि इसे क्षेत्रीय
अंतरिक्ष शक्ति के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए, क्योंकि इसरो इसे व्यवसायिक तौर पर देख रहा है।
लेले ने बताया, "हमारा ध्यान इससे आने वाले व्यापार पर होना चाहिए। और इसके चालू होने के बाद भारत का अंतरिक्ष व्यापार और आगे बढ़ने की संभावना है। इस स्पेसपोर्ट के खुलने के बाद दुनिया भर में इसरो की व्यावसायिक मांग बढ़ जाएगी।"