https://hindi.sputniknews.in/20240426/know-from-the-expert-why-india-needs-a-strong-missile-defense-system-7211338.html
विशेषज्ञ से जानें कि भारत को एक मजबूत मिसाइल रक्षा प्रणाली की आवश्यकता क्यों है?
विशेषज्ञ से जानें कि भारत को एक मजबूत मिसाइल रक्षा प्रणाली की आवश्यकता क्यों है?
Sputnik भारत
इज़राइल और ईरान के बीच जैसे को तैसा के हमलों से वायु और मिसाइल रक्षा प्रणालियों की परिचालन संबंधी गंभीरता को बल मिलने के साथ, भारत को अपने हवाई क्षेत्र को यथासंभव अभेद्य बनाने के प्रयासों में तेजी लाने की जरूरत महसूस हुई है।
2024-04-26T12:08+0530
2024-04-26T12:08+0530
2024-04-26T12:08+0530
sputnik मान्यता
भारत
परमाणु हथियार
राष्ट्रीय सुरक्षा
सामूहिक विनाश के हथियार
हथियारों की आपूर्ति
मिसाइल विध्वंसक
बैलिस्टिक मिसाइल
बैलिस्टिक मिसाइल प्रणाली
एस-400 मिसाइल प्रणाली
https://cdn1.img.sputniknews.in/img/07e7/01/1a/651460_0:61:3073:1789_1920x0_80_0_0_b5cbc4aef6957bf8c08bb3f7157875f8.jpg
मिसाइल रक्षा तकनीकी तौर पर जटिल और बहुत महंगी है। यह मुख्य रूप से आने वाली गोली को रोकने के लिए गोली चलाने जैसा है। भारत संभावित हवाई खतरों से खुद को बचाने के लिए अपने शस्त्रागार में और नई प्रणालियों के साथ क्षमताओं को बढ़ाने की योजना बना रहा है।हालाँकि भारत ने इस क्षेत्र में प्रगति की है, फिर भी एक व्यापक, बहुस्तरीय एकीकृत वायु और मिसाइल रक्षा कवच स्थापित करने के लिए महत्वपूर्ण प्रयासों की आवश्यकता है।दूसरी ओर, भारतीय वायु सेना (IAF) ने रूसी S-400 सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणालियों के तीन स्क्वाड्रन हासिल किए हैं। 380 किमी की रेंज वाली ये प्रणालियाँ विभिन्न प्रकार के हवाई खतरों का पता लगाने, ट्रैकिंग और उन्हें नष्ट करने में सक्षम हैं। बाकी दो स्क्वाड्रन की डिलीवरी 2025 तक होने की संभावना है।इस बीच बहुस्तरीय वायु और मिसाइल रक्षा प्रणालियों की भारत की आवश्यकता के बारे में बात करते हुए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के पूर्व वैज्ञानिक और प्रवक्ता रहे रवि गुप्ता ने Sputnik India को बताया कि "भारत एक शांतिप्रिय देश है लेकिन स्वतंत्रता के बाद से हमारी सीमाओं पर बार-बार हमले किए गए हैं। ऐसी स्थिति में खुद को सुरक्षित रखना और अपनी रक्षा करना भारत का अधिकार है।"साथ ही विशेषज्ञ ने रेखांकित किया कि "पिछले 10 वर्षों में भारत ने अभूतपूर्व आर्थिक प्रगति की है। इस वजह से, हमारी सबसे महत्वपूर्ण संपत्ति हमारे लोग, हमारी जनता है, उनकी रक्षा करने के साथ-साथ, हमारी अन्य संपत्तियाँ, कारखानें, रक्षा प्रतिष्ठान आदि सभी की रक्षा करना बहुत आवश्यक है। तो इन सबको देखते हुए, एक वायु रक्षा प्रणाली जो किसी भी खतरे का सामना कर सके, चाहे वह ड्रोन, मिसाइल, विमान या परमाणु हथियार हो, हमें उन सभी से अपने लोगों और अपने देश की रक्षा करनी है।"अतीत में दुनिया में कई सैन्य गलतियाँ हुईं और मिसाइलें गलती से नागरिक लक्ष्यों पर गिरीं। सबसे दुखद उदाहरण 2020 की दुर्घटना है जब ईरान ने एक यात्री विमान को उस समय मार गिराया जब उसे अमेरिकी हमले की आशंका थी। ऐसे में तनाव के समय सैन्य ग़लतियों की संभावना बढ़ जाने के Sputnik India के सवाल पर विशेषज्ञ ने कहा कि "ईरान से जो चूक हुई कि उन्होंने नागरिक विमान को शूटडाउन कर दिया। इसका सबसे महत्वपूर्ण कारण यह है कि उनके पास अपना खुद का बनाया और विकसित सिस्टम नहीं था।"साथ ही उन्होंने रेखांकित किया, "हमारी विशिष्ट रक्षा प्रणालियाँ, स्थितियाँ, हवाई क्षेत्र, आस-पास का वातावरण, हमारे पास से कौन से मित्रवत विमान निकलते हैं और कौन से नागरिक विमान निकलते हैं, इन सबके बीच अंतर करना, यानी दोस्त और दुश्मन की पहचान करने में सक्षम होना तभी संभव है जब आपका अपने हथियारों, वायु रक्षा प्रणाली के हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर पर पूरा नियंत्रण हो।"बता दें कि भारत ने सतह से हवा में मार करने वाली (SAM) हथियार प्रणाली आकाश की मारक क्षमता का जोरदार प्रदर्शन किया, जहां अभ्यास अस्त्रशक्ति 2023 के दौरान एक एकल फायरिंग इकाई ने एक साथ चार मानवरहित लक्ष्यों पर हमला किया और उन्हें नष्ट कर दिया।
https://hindi.sputniknews.in/20240112/odisha-ke-chaandipur-se-nae-daur-ki-akash-missaile-kaa-safal-parikshan-kiya-gaya-6174087.html
भारत
Sputnik भारत
feedback.hindi@sputniknews.com
+74956456601
MIA „Rossiya Segodnya“
2024
सत्येन्द्र प्रताप सिंह
https://cdn1.img.sputniknews.in/img/07e6/0c/13/137983_0:0:390:391_100x100_80_0_0_d7f05508f508b7ccc8f3f1e549c0f145.jpg
सत्येन्द्र प्रताप सिंह
https://cdn1.img.sputniknews.in/img/07e6/0c/13/137983_0:0:390:391_100x100_80_0_0_d7f05508f508b7ccc8f3f1e549c0f145.jpg
खबरें
hi_IN
Sputnik भारत
feedback.hindi@sputniknews.com
+74956456601
MIA „Rossiya Segodnya“
https://cdn1.img.sputniknews.in/img/07e7/01/1a/651460_0:0:2731:2048_1920x0_80_0_0_59f426a7f0d9a47cbed6a88308ab9da1.jpgSputnik भारत
feedback.hindi@sputniknews.com
+74956456601
MIA „Rossiya Segodnya“
सत्येन्द्र प्रताप सिंह
https://cdn1.img.sputniknews.in/img/07e6/0c/13/137983_0:0:390:391_100x100_80_0_0_d7f05508f508b7ccc8f3f1e549c0f145.jpg
मिसाइल रक्षा तकनीकी, मिसाइल रक्षा प्रणाली की आवश्यकता, इज़राइल और ईरान के बीच मिसाइल हमला, मिसाइल रक्षा कवच, भारत को रक्षा प्रणाली की आवश्यकता, बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा (bmd) प्रणाली, भारतीय वायु सेना (iaf), बहुस्तरीय वायु रक्षा प्रणालियों की आवश्यकता, परमाणु युद्ध का खतरा, रक्षा प्रतिष्ठान की रक्षा, विदेशी प्रणाली पर निर्भर, परमाणु हथियारों से लैस बैलिस्टिक मिसाइल
मिसाइल रक्षा तकनीकी, मिसाइल रक्षा प्रणाली की आवश्यकता, इज़राइल और ईरान के बीच मिसाइल हमला, मिसाइल रक्षा कवच, भारत को रक्षा प्रणाली की आवश्यकता, बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा (bmd) प्रणाली, भारतीय वायु सेना (iaf), बहुस्तरीय वायु रक्षा प्रणालियों की आवश्यकता, परमाणु युद्ध का खतरा, रक्षा प्रतिष्ठान की रक्षा, विदेशी प्रणाली पर निर्भर, परमाणु हथियारों से लैस बैलिस्टिक मिसाइल
विशेषज्ञ से जानें कि भारत को एक मजबूत मिसाइल रक्षा प्रणाली की आवश्यकता क्यों है?
इज़राइल और ईरान के बीच जैसे को तैसा के हमलों से वायु और मिसाइल रक्षा प्रणालियों की परिचालन संबंधी गंभीरता को बल मिलने के साथ, भारत को अपने हवाई क्षेत्र को यथासंभव अभेद्य बनाने के प्रयासों में तेजी लाने की जरूरत महसूस हुई है।
मिसाइल रक्षा तकनीकी तौर पर जटिल और बहुत महंगी है। यह मुख्य रूप से आने वाली गोली को रोकने के लिए गोली चलाने जैसा है। भारत संभावित हवाई खतरों से खुद को बचाने के लिए अपने शस्त्रागार में और नई प्रणालियों के साथ क्षमताओं को बढ़ाने की योजना बना रहा है।
हालाँकि भारत ने इस क्षेत्र में प्रगति की है, फिर भी एक व्यापक, बहुस्तरीय एकीकृत वायु और मिसाइल रक्षा कवच स्थापित करने के लिए महत्वपूर्ण प्रयासों की आवश्यकता है।
एक प्रमुख पहलू जिस पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है वह है भारत की स्वदेशी दो-स्तरीय बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा (BMD) प्रणाली की परिचालन तैनाती। पृथ्वी के वायुमंडल के अंदर और बाहर परमाणु और अन्य बैलिस्टिक मिसाइलों को ट्रैक करने और नष्ट करने के लिए डिज़ाइन किया गया यह सिस्टम 15-25 किमी से 80-100 किमी तक की ऊंचाई पर मार करने की क्षमता रखता है।
दूसरी ओर, भारतीय वायु सेना (IAF) ने
रूसी S-400 सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणालियों के तीन स्क्वाड्रन हासिल किए हैं। 380 किमी की रेंज वाली ये प्रणालियाँ विभिन्न प्रकार के हवाई खतरों का पता लगाने, ट्रैकिंग और उन्हें नष्ट करने में सक्षम हैं। बाकी दो स्क्वाड्रन की डिलीवरी 2025 तक होने की संभावना है।
इस बीच बहुस्तरीय वायु और मिसाइल रक्षा प्रणालियों की भारत की आवश्यकता के बारे में बात करते हुए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के पूर्व वैज्ञानिक और प्रवक्ता रहे रवि गुप्ता ने Sputnik India को बताया कि "भारत एक शांतिप्रिय देश है लेकिन स्वतंत्रता के बाद से हमारी सीमाओं पर बार-बार हमले किए गए हैं। ऐसी स्थिति में खुद को सुरक्षित रखना और अपनी रक्षा करना भारत का अधिकार है।"
"आज के परमाणु युद्ध के खतरे के समय में, ड्रोन, मानव रहित विमान, मिसाइल, क्रूज़ मिसाइल और लड़ाकू विमानों से हमले के खतरे यानी हर तरह के खतरे बढ़ते चले जा रहे हैं। तो ऐसी स्थिति में भारत के लिए अपनी और अपनी संपत्ति की रक्षा करना बहुत आवश्यक है। इस दृष्टि से एक बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा प्रणाली बहुत ही आवश्यक हो जाती है। तो भारत का उतना ही अधिकार है जितना किसी और देश को अपनी रक्षा करने का अधिकार है," DRDO के पूर्व वैज्ञानिक रवि गुप्ता ने Sputnik India को बताया।
साथ ही विशेषज्ञ ने रेखांकित किया कि "पिछले 10 वर्षों में भारत ने अभूतपूर्व आर्थिक प्रगति की है। इस वजह से, हमारी सबसे महत्वपूर्ण संपत्ति हमारे लोग, हमारी जनता है, उनकी रक्षा करने के साथ-साथ, हमारी अन्य संपत्तियाँ, कारखानें,
रक्षा प्रतिष्ठान आदि सभी की रक्षा करना बहुत आवश्यक है। तो इन सबको देखते हुए, एक वायु रक्षा प्रणाली जो किसी भी खतरे का सामना कर सके, चाहे वह ड्रोन, मिसाइल, विमान या परमाणु हथियार हो, हमें उन सभी से अपने लोगों और अपने देश की रक्षा करनी है।"
अतीत में दुनिया में कई सैन्य गलतियाँ हुईं और मिसाइलें गलती से नागरिक लक्ष्यों पर गिरीं। सबसे दुखद उदाहरण 2020 की दुर्घटना है जब ईरान ने एक यात्री विमान को उस समय मार गिराया जब उसे अमेरिकी हमले की आशंका थी। ऐसे में तनाव के समय सैन्य ग़लतियों की संभावना बढ़ जाने के Sputnik India के सवाल पर विशेषज्ञ ने कहा कि "ईरान से जो चूक हुई कि उन्होंने नागरिक विमान को शूटडाउन कर दिया। इसका सबसे महत्वपूर्ण कारण यह है कि उनके पास अपना खुद का बनाया और विकसित सिस्टम नहीं था।"
"जब आपको किसी विदेशी प्रणाली पर निर्भर रहना पड़ता है, तो ऐसी गलतियों की संभावना होती है। जैसे भारत की वायु रक्षा प्रणाली, चाहे वह आकाश हो, या बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा प्रणाली, कोई भी वायु रक्षा प्रणाली हो, इसमें दो महत्वपूर्ण अंग होते हैं, सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर। क्योंकि जब भी दुश्मन का हमला होता है तो आजकल इन हथियारों को मैन्युअली चलाना संभव नहीं है। आज ये सभी उपकरण जो सुपरसोनिक मिसाइलों या बैलिस्टिक मिसाइलों से हमारी संपत्ति की रक्षा कर सकते हैं, वे पूरी तरह से स्वचालित होती हैं। ऐसे में सॉफ्टवेयर का महत्व बहुत बढ़ जाता है," गुप्ता ने टिप्पणी की।
साथ ही उन्होंने रेखांकित किया, "हमारी विशिष्ट रक्षा प्रणालियाँ, स्थितियाँ, हवाई क्षेत्र, आस-पास का वातावरण, हमारे पास से कौन से मित्रवत विमान निकलते हैं और कौन से नागरिक विमान निकलते हैं, इन सबके बीच अंतर करना, यानी दोस्त और दुश्मन की पहचान करने में सक्षम होना तभी संभव है जब आपका अपने हथियारों, वायु रक्षा प्रणाली के हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर पर पूरा नियंत्रण हो।"
"भारत ने इस क्षेत्र में काफी प्रगति की है। एक दशक पहले भारत ने बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा प्रणाली विकसित की, जो परमाणु हथियारों से लैस बैलिस्टिक मिसाइलों को मार गिराने में सक्षम है। भारत ने इसे कई बार प्रदर्शित किया है। इसे DRDO ने बनाया है। यह पूरी तरह से स्वदेशी है। इसके सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर दोनों पर भारत का पूर्ण नियंत्रण है। और इसी तरह, आकाश एयर डिफेंस सिस्टम, हमारे पास बहुत ही कारगर है, जिसे अन्य देश भी खरीदना चाहते हैं। इसकी मांग बढ़ती जा रही है, क्योंकि यह बहुत सस्ता है और बहुत अधिक कारगर भी है। यह सुपरसोनिक गति से चलता है। कुछ समय पहले, भारत ने प्रदर्शित किया था कि इस एक वायु रक्षा प्रणाली ने एक ही समय में चार लक्ष्यों को मार गिराया था। यह क्षमता किसी अन्य प्रणाली में कभी प्रदर्शित नहीं की गई है," उन्होंने कहा।
बता दें कि भारत ने सतह से हवा में मार करने वाली (SAM) हथियार प्रणाली
आकाश की मारक क्षमता का जोरदार प्रदर्शन किया, जहां अभ्यास अस्त्रशक्ति 2023 के दौरान एक एकल फायरिंग इकाई ने एक साथ चार मानवरहित लक्ष्यों पर हमला किया और उन्हें नष्ट कर दिया।