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भारत को सितंबर में मिलेगा रूस में बना स्टेल्थ फ्रिगेट तुशील

© Sputnik / Igor ZaremboThe Indian Navy's Talwar class frigate INS Tarkash
The Indian Navy's Talwar class frigate INS Tarkash - Sputnik भारत, 1920, 17.07.2024
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रूस के यांतर शिपयार्ड में बन रहा तेग क्लास का फ्रिगेट सितंबर में भारतीय नौसेना को मिल जाएगा। तुशील नाम के इस फ्रिगेट को लाने के लिए भारतीय नौसेना का दल जुलाई की शुरुआत में ही रूस के यांतर शिपयार्ड में पहुंच गया है। इस समझौते के दूसरे फ्रिगेट तमाल के अगले साल की शुरुआत में भारतीय नौसेना को मिलने की संभावना है।
रूस के यांतर शिपयार्ड में बन रहा तेग क्लास का फ्रिगेट सितंबर में भारतीय नौसेना को मिल जाएगा। तुशील नाम के इस फ्रिगेट को लाने के लिए भारतीय नौसेना का दल जुलाई की शुरुआत में ही रूस के यांतर शिपयार्ड में पहुंच गया है। इस समझौते के दूसरे फ्रिगेट तमाल के अगले साल की शुरुआत में भारतीय नौसेना को मिलने की संभावना है।

भारत और रूस के बीच 2018 में तेग क्लास के 4 फ्रिगेट्स का सौदा 1 अरब डॉलर में हुआ था। समझौते के तहत ऐसे दो फ्रिगेट रूस के यांतर शिपयार्ड से बनकर आने हैं और दो का निर्माण भारत में गोवा शिपयार्ड में होना है।

भारतीय नौसेना में इस क्लास के 6 शिप हैं जो पिछले दो दशक से काम कर रहे हैं। इनमें से तेग क्लास के तीन फ्रिगेट्स में स्वदेशी ब्रह्मोस मिसाइलें लगाकर दुश्मन के जहाज़ों और ज़मीनी ठिकानों पर हमला करने की जबरदस्त ताक़त दी गई है। तलवार क्लास के एक फ्रिगेट आईएनएस तलवार में भी हाल ही में ब्रह्मोस मिसाइलें लगा दी गई हैं।
तेग क्लास के फ्रिगेट की अधिकतम रफ्तार 30 नॉटिकल मील प्रति घंटे की है और इस रफ्तार से यह एक बार में 3000 किमी तक की दूरी तय कर सकता है। इसमें हवाई हमले से सुरक्षा के लिए मध्यम दूरी तक मार करने वाली श्टिल और छोटी दूरी पर सुरक्षा के लिए इग्ला मिसाइल सिस्टम लगाए गए हैं। इसका सबसे घातक हथियार में लगी ब्रह्मोस मिसाइल है जो दुश्मन के जहाज़ों के अलावा उसके ज़मीनी ठिकानों पर भी हमला कर सकती है।
आईएनएस तेग के पहले कमांडिंग ऑफिसर कोमोडोर (सेवानिवृत्त) आर. के. दाहिया का कहना है कि तेग क्लास के जहाज़ों में किसी जंगी नौसैनिक बेड़े में शामिल होकर कार्रवाई करने और अकेले कार्रवाई करने दोनों की जबरदस्त क्षमता है। दाहिया ने ही अप्रैल 2012 में रूस के यांतर शिपयार्ड में पहले तेग क्लास फ्रिगेट की ज़िम्मेदारी ली थी।

दाहिया ने कहा, "तेग क्लास के जहाज़ भारतीय नौसेना के सबसे आधुनिक जंगी जहाज़ रहे हैं जिनमें समुद्र की सतह, सबमरीन के खिलाफ़ और हवाई सुरक्षा की बेहतरीन क्षमता है। इनमें शानदार इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर की क्षमता है।"

दाहिया ने कहा कि भारतीय नौसेना तेग क्लास के जहाज़ों से संतुष्ट रही है और सुधारों की ज़रूरत को भी शिपयार्ड ने समय पर पूरा किया। इसमें लगी ब्रह्मोस मिसाइल की रफ्तार और उड़ान को पकड़ पाना दुश्मन के लिए लगभग असंभव है।
उन्होंने कहा, "जहाज़ की लड़ने की क्षमता को कॉम्बेट इंफॉर्मेशन सिस्टम को बेहतर बनाकर बहुत कारगर बना दिया गया है। ये स्टेल्थ फ्रिगेट है और इसको दुश्मन की नज़र से बचाने के लिए कई सुधार किए गए हैं।"
Indian navy person stands guard on board war ship Godavari during its decommissioning at the naval dockyard in Mumbai, India, Wednesday, Dec. 23, 2015.  - Sputnik भारत, 1920, 05.04.2024
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