https://hindi.sputniknews.in/20240701/self-reliance-in-underwater-warfare-govt-gives-nod-to-indias-next-submarine-project-7749522.html
अंडरवाटर युद्ध में आत्मनिर्भरता: सरकार ने भारत की अगली पनडुब्बी परियोजना को दी मंजूरी
अंडरवाटर युद्ध में आत्मनिर्भरता: सरकार ने भारत की अगली पनडुब्बी परियोजना को दी मंजूरी
Sputnik भारत
भारतीय नौसेना अपने युद्धपोतों और पनडुब्बियों के बेड़े का विस्तार करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है
2024-07-01T20:24+0530
2024-07-01T20:24+0530
2024-07-01T20:24+0530
डिफेंस
भारत
भारतीय नौसेना
पनडुब्बी
परमाणु पनडुब्बी
हिन्द महासागर
रक्षा-पंक्ति
रक्षा मंत्रालय (mod)
राष्ट्रीय सुरक्षा
सुरक्षा बल
https://cdn1.img.sputniknews.in/img/07e7/06/13/2556009_0:67:1280:787_1920x0_80_0_0_ddcf6b5fd2f4fe3a6f5186d7a280f5dd.jpg
भारत के पानी के अंदर की गतिविधियों में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के प्रयास को उस समय बड़ा बढ़ावा मिला जब रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने पारंपरिक स्वदेशी पनडुब्बी के डिजाइन और विकास के लिए सरकार की मंजूरी प्राप्त कर ली।P-76 कोड नाम वाली इस परियोजना से न केवल घरेलू सैन्य-औद्योगिक परिसर को पनडुब्बियों के उत्पादन में शामिल किया जाएगा, जिसमें हथियार, टॉरपीडो और मिसाइलें भी शामिल होंगी, बल्कि इससे घरेलू स्तर पर एक मजबूत विनिर्माण लाइन भी तैयार होगी, जिससे भारतीय नौसेना के बेड़े में पनडुब्बियों की कमी की चिरकालिक समस्या का समाधान हो जाएगा।अन्य क्षेत्र जहां भारत में पनडुब्बी निर्माण में स्वदेशी रूप से विकसित प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जाएगा, उनमें घरेलू युद्ध प्रबंधन प्रणाली, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली और सोनार आदि शामिल हैं।भारत की नवीनतम छह पनडुब्बियों का निर्माण, जिनमें स्टेल्थ विशेषताएं हैं। सरकारी कंपनी मझगांव डॉकयार्ड शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL) द्वारा फ्रांस के नेवल ग्रुप के साथ मिलकर 2005 में, 3.75 बिलियन डॉलर के समझौते के बाद प्रौद्योगिकी हस्तांतरण समझौते के तहत स्वदेश में किया गया है।हालांकि, हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) की बढ़ती प्रमुखता के कारण भारतीय नौसेना के संचालन का क्षेत्र तेजी से बढ़ रहा है, इसलिए नई दिल्ली कम लागत पर अधिक से अधिक पनडुब्बियों को सेवा में शामिल करना चाहती है, और इसके लिए वह स्वदेशी मार्ग पर निर्भर प्रतीत होती है।वर्तमान में, भारतीय नौसेना देश के प्रादेशिक जल में लगभग 15 पनडुब्बियों का संचालन करती है।
https://hindi.sputniknews.in/20240521/bhaaritiiy-nausenaa-ko-isii-saal-milegaa-riuus-men-bnaa-jngii-jhaaj-nausenaa-ke-suutr-7420144.html
भारत
हिन्द महासागर
Sputnik भारत
feedback.hindi@sputniknews.com
+74956456601
MIA „Rossiya Segodnya“
2024
सत्येन्द्र प्रताप सिंह
https://cdn1.img.sputniknews.in/img/07e6/0c/13/137983_0:0:390:391_100x100_80_0_0_d7f05508f508b7ccc8f3f1e549c0f145.jpg
सत्येन्द्र प्रताप सिंह
https://cdn1.img.sputniknews.in/img/07e6/0c/13/137983_0:0:390:391_100x100_80_0_0_d7f05508f508b7ccc8f3f1e549c0f145.jpg
खबरें
hi_IN
Sputnik भारत
feedback.hindi@sputniknews.com
+74956456601
MIA „Rossiya Segodnya“
https://cdn1.img.sputniknews.in/img/07e7/06/13/2556009_72:0:1209:853_1920x0_80_0_0_ec720ad0a1e33d79f5eb5ff26353cd92.jpgSputnik भारत
feedback.hindi@sputniknews.com
+74956456601
MIA „Rossiya Segodnya“
सत्येन्द्र प्रताप सिंह
https://cdn1.img.sputniknews.in/img/07e6/0c/13/137983_0:0:390:391_100x100_80_0_0_d7f05508f508b7ccc8f3f1e549c0f145.jpg
भारत की पनडुब्बी परियोजना, भारतीय नौसेना के युद्धपोत, भारत के लड़ाकू वाहक, स्वदेशी पनडुब्बी, सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति, नौसेना के बेड़े में पनडुब्बियों की कमी, पनडुब्बियों का निर्माण, भारतीय नौसेना के संचालन का क्षेत्र, सैन्य-औद्योगिक परिसर
भारत की पनडुब्बी परियोजना, भारतीय नौसेना के युद्धपोत, भारत के लड़ाकू वाहक, स्वदेशी पनडुब्बी, सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति, नौसेना के बेड़े में पनडुब्बियों की कमी, पनडुब्बियों का निर्माण, भारतीय नौसेना के संचालन का क्षेत्र, सैन्य-औद्योगिक परिसर
अंडरवाटर युद्ध में आत्मनिर्भरता: सरकार ने भारत की अगली पनडुब्बी परियोजना को दी मंजूरी
भारतीय नौसेना अपने युद्धपोतों और पनडुब्बियों के बेड़े का विस्तार करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है ताकि 2035 तक इसमें जंगी जहाजों की संख्या 175 हो सकें और देश अपनी संख्या, विशेष रूप से अपने अंडरवाटर लड़ाकू वाहकों को बढ़ाने के लिए स्वदेशी उत्पादन पर निर्भर है।
भारत के पानी के अंदर की गतिविधियों में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के प्रयास को उस समय बड़ा बढ़ावा मिला जब रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने पारंपरिक स्वदेशी पनडुब्बी के डिजाइन और विकास के लिए सरकार की मंजूरी प्राप्त कर ली।
रक्षा अधिकारी के हवाले से सोमवार को द हिंदू अखबार ने कहा, "डीआरडीओ को परियोजना की रूपरेखा तय करने के लिए प्रारंभिक अध्ययन करने हेतु रक्षा मंत्रालय से मंजूरी मिल गई है। इसमें एक वर्ष तक का समय लगने की उम्मीद है, जिसके बाद परियोजना की मंजूरी के लिए औपचारिक मामला सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (CCS) के समक्ष रखा जाएगा।"
P-76 कोड नाम वाली इस परियोजना से न केवल घरेलू सैन्य-औद्योगिक परिसर को पनडुब्बियों के उत्पादन में शामिल किया जाएगा, जिसमें हथियार,
टॉरपीडो और मिसाइलें भी शामिल होंगी, बल्कि इससे घरेलू स्तर पर एक मजबूत विनिर्माण लाइन भी तैयार होगी, जिससे भारतीय नौसेना के बेड़े में पनडुब्बियों की कमी की चिरकालिक समस्या का समाधान हो जाएगा।
अन्य क्षेत्र जहां भारत में पनडुब्बी निर्माण में स्वदेशी रूप से विकसित प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जाएगा, उनमें घरेलू युद्ध प्रबंधन प्रणाली,
इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली और सोनार आदि शामिल हैं।
भारत की नवीनतम छह पनडुब्बियों का निर्माण, जिनमें स्टेल्थ विशेषताएं हैं। सरकारी कंपनी मझगांव डॉकयार्ड शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL) द्वारा फ्रांस के नेवल ग्रुप के साथ मिलकर 2005 में, 3.75 बिलियन डॉलर के समझौते के बाद प्रौद्योगिकी हस्तांतरण समझौते के तहत स्वदेश में किया गया है।
हालांकि, हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) की बढ़ती प्रमुखता के कारण
भारतीय नौसेना के संचालन का क्षेत्र तेजी से बढ़ रहा है, इसलिए नई दिल्ली कम लागत पर अधिक से अधिक पनडुब्बियों को सेवा में शामिल करना चाहती है, और इसके लिए वह स्वदेशी मार्ग पर निर्भर प्रतीत होती है।
वर्तमान में, भारतीय नौसेना देश के प्रादेशिक जल में लगभग 15 पनडुब्बियों का संचालन करती है।