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अफगानिस्तान से वापसी की विफलता ने बाइडन की 'निष्ठुर विदेश नीति' की उजागर: रिपोर्ट

© AP Photo / Staff Sgt. Victor Mancilla / U.S. Marine Corps via APАмериканские военные в аэропорту Кабула
Американские военные в аэропорту Кабула  - Sputnik भारत, 1920, 09.09.2024
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अमेरिकी सेना ने 31 अगस्त, 2021 को अफगानिस्तान से पूरी तरह से वापस लौट गई। इस वापसी के बाद उनकी इस दक्षिण एशियाई में 20 वर्ष पुरानी सैन्य उपस्थिति समाप्त हो गई।
2021 में अफगानिस्तान से अमेरिकी वापसी की जांच करने वाली एक जांच रिपोर्ट में अमेरिकी सेना की इस असफल वापसी के लिए राष्ट्रपति जो बाइडन और उपराष्ट्रपति कमला हैरिस को उत्तरदायी ठहराया गया है।
हाउस फॉरेन अफेयर्स कमेटी के रिपब्लिकन चेयर माइक मैककॉल ने 350 से अधिक पृष्ठों वाले दस्तावेज़ में बताया गया है कि "बाइडन-हैरिस प्रशासन ने जमीन पर उपस्थित अमेरिकी कर्मियों की सुरक्षा की तुलना में वापसी के दृश्य को प्राथमिकता दी।"

रिपोर्ट में कहा गया, "1970 के दशक में सीनेटर के रूप में बाइडन द्वारा वियतनाम युद्ध से अमेरिका को वापस लेने का आह्वान के बाद अफ़गानिस्तान से वापसी के साथ-साथ कठोर विदेश नीति के रुख और रणनीतिक साझेदारों को छोड़ने की तत्परता का एक पैटर्न दिखाता है।"

रिपोर्ट में आगे बताया गया कि विदेश विभाग को अफगान सरकार के अपरिहार्य पतन के बारे में कई चेतावनी संकेत मिले, लेकिन "अमेरिकी कर्मियों, अमेरिकी नागरिकों, ग्रीन कार्ड धारकों और हमारे [वाशिंगटन के] बहादुर अफ़गान सहयोगियों को सुरक्षित रूप से निकालने" के लिए एक भागने की योजना बनाने में विफल रहा।

रिपोर्ट में लिखा गया, "बाइडन प्रशासन के कुप्रबंधन के परिणामस्वरूप अमेरिकी रक्षा विभाग और विदेश विभाग के कर्मियों को घातक धमकियों और भावनात्मक क्षति का सामना करना पड़ा। अफगानिस्तान में पूर्व अमेरिकी दूत, रॉस विल्सन, जो कथित तौर पर उस समय COVID-19 से पीड़ित थे, अपने पूरे स्टाफ से पहले अमेरिकी दूतावास से भाग गए। विल्सन ने एक विदेश सेवा अधिकारी से अपना परीक्षण करवाया ताकि वह जल्दी से अफगानिस्तान से भाग सकें।"

350 से अधिक पृष्ठों वाली रिपोर्ट के अनुसार नाटो सहयोगी अमेरिकी सेना की वापसी के वाशिंगटन के निर्णय का कड़ा विरोध कर रहे थे। उस समय ब्रिटेन के रक्षा प्रमुख ने चेतावनी दी थी कि इन परिस्थितियों में वापसी "तालिबान* की रणनीतिक विजय के रूप में देखी जाएगी।"
बाइडन और हैरिस को शीर्ष नेताओं ने सलाह दी थी कि तालिबान लड़ाके पहले से ही दोहा समझौते की शर्तों का उल्लंघन कर रहे थे, जिसे अफगानिस्तान में शांति लाने के समझौते के रूप में भी जाना जाता है, यही कारण है कि अमेरिका को छोड़ने के लिए बाध्य नहीं किया गया था।

हाउस फॉरेन अफेयर्स कमेटी के रिपब्लिकन चेयर माइक मैककॉल ने रिपोर्ट के हवाले से बताया, "व्हाइट हाउस ने "गो-टू-जीरो ऑर्डर से पहले से लेकर आज तक वापसी के हर चरण में अमेरिकी लोगों को गुमराह किया और कुछ मामलों में सीधे झूठ बोला।"

तालिबान द्वारा अगस्त 2021 देश पर तेजी से कब्जा करने के बाद संयुक्त राज्य अमेरिका ने जल्दबाजी में अफगानिस्तान से वापसी कर ली। अमेरिकी सेना ने काबुल के एबे गेट हवाई अड्डे पर हजारों लोगों की उन्मत्त निकासी की देखरेख की, जहां एक आतंकवादी आक्रमण में 13 अमेरिकी सैनिक और 180 अफ़गान मारे गए।
कांग्रेस में रिपब्लिकन ने बाइडन प्रशासन पर अफगानिस्तान से भागने का आरोप लगाया, साथ ही उन हज़ारों अफगानों को छोड़ दिया जो 20 वर्षों से तालिबान के खिलाफ अमेरिकी सेना के साथ सहयोग कर रहे थे।
*आतंकवादी गतिविधियों के लिए संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों के अंतर्गत
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