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ट्रूडो इन मुद्दों के जरिए सिखों का समर्थन हासिल करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं: पूर्व राजनयिक

© Sputnik / Pavel Bednyakov / मीडियाबैंक पर जाएंCanadian Prime Minister Justin Trudeau at the Emergency Meeting of World Leaders in Bali After Poland Incident
Canadian Prime Minister Justin Trudeau at the Emergency Meeting of World Leaders in Bali After Poland Incident - Sputnik भारत, 1920, 15.10.2024
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भारतीय विदेश मंत्रालय ने कनाडा सरकार के संदेश के जवाब में बताया कि भारत सरकार इसे ट्रूडो सरकार के राजनीतिक एजेंडे का हिस्सा मानती है जो वोट बैंक की राजनीति पर केंद्रित है।
कनाडा ने भारत पर एक नया आरोप लगाते हुए कहा कि भारतीय एजेंट "हत्या, जबरन वसूली और हिंसक कृत्यों" में शामिल होने के साथ साथ खालिस्तान समर्थकों को निशाना बनाने में शामिल हैं।
भारत और कनाडा के बीच का विवाद और गहराता जा रहा है और कनाडा में आगामी चुनावों को देखते हुए कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो खालिस्तान के मुद्दे को और हवा देने का काम कर रहे हैं। विशेषज्ञों की माने तो वह भारत पर हमलावर होकर अपने लिए कनाडा में सिख समुदाय से समर्थन जुटाने की कोशिश में हैं।
कनाडा ने भारत को एक राजनयिक संदेश के जरिए बताया कि कनाडा में भारतीय उच्चायुक्त और अन्य राजनयिक जांच से संबंधित मामले में ‘रुचि के व्यक्ति’ हैं, हालांकि इन आरोपों को भारत सरकार ने बेतुके बताकर दृढ़ता से खारिज कर दिया।
भारत ने इन आरोपों के जवाब में कनाडा से अपने उच्चायुक्त और अन्य चिन्हित राजनयिकों सहित अन्य अधिकारियों को वापस बुलाने का फैसला करते हुए 6 कनाडाई राजनयिकों को देश से निष्कासित करने का निर्णय लिया।
भारतीय विदेश सेवा से सेवानिवृत और भारतीय राजदूत के तौर पर काम कर चुके के.पी. फैबियन से Sputnik भारत ने जानने की कोशिश कि क्या कनाडा के प्रधानमंत्री ट्रूडो चुनाव से पहले घरेलू समर्थन जुटाने के लिए विदेश नीति का लाभ उठा रहे हैं?
भारत की विदेश नीति के जानकार के.पी. फैबियन ने खालिस्तान के मुद्दे पर भारत और कनाडा के बीच चल रही खीच तान को लेकर बताया कि खालिस्तान का कोई वास्तविक मुद्दा नहीं है। जबकि सिख मूल के कुछ कनाडाई नागरिक खालिस्तान की वकालत कर सकते हैं, पंजाब में इसके लिए कोई खास समर्थन नहीं है।
पूर्व भारतीय राजदूत के.पी. फैबियन ने कहा, "यह तभी होता है जब भारत, भारतीय मीडिया या अंतरराष्ट्रीय मीडिया कनाडा में किसी व्यक्ति द्वारा खालिस्तान की मांग पर ध्यान देता है, तभी इस पर ध्यान जाता है। अन्यथा, इसका कोई महत्व नहीं है।"
पूर्व राजनयिक ने कनाडाई प्रधानमंत्री ट्रूडो द्वारा देश में चुनावों से पहले भारत के साथ खालिस्तान मुद्दे को लेकर विदेश नीति के फ़ैसलों को धार देने पर कहा कि ट्रूडो का मानना ​​है कि उन्हें अपने राजनीतिक अस्तित्व के लिए उस लॉबी को विकसित करना चाहिए और संसद और हाउस ऑफ़ कॉमन्स में उनका समर्थन हासिल करना चाहिए।
उन्होंने विश्वास के साथ कहा, "सिख कनाडा में मतदान करने वाली जनता का केवल एक छोटा प्रतिशत प्रतिनिधित्व करते हैं, लेकिन वे राजनीतिक रूप से बहुत सक्रिय हैं, जिससे उन्हें अपनी संख्या के अनुपात में अधिक प्रभाव मिलता है। अपने राजनीतिक अस्तित्व के लिए इस रिश्ते को विकसित करना ट्रूडो के हित में है। व्यक्तिगत रूप से, मुझे लगता है कि वह गलत हैं, लेकिन यह उनका विश्वास है।"
कनाडा में चुनावों से पहले ट्रूडो की घटती लोकप्रियता और घरेलू मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए भारत के प्रति उनकी विदेश नीति के इस्तेमाल के बारे में बोलते हुए विदेशी मामलों के जानकार फैबियन ने कहा कि उनका उद्देश्य घरेलू मुद्दों पर ध्यान देने की बजाय सिख समुदाय का समर्थन हासिल करना है।
पूर्व राजनयिक ने बताया, "वह मुख्य रूप से सिखों से समर्थन हासिल करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, जो एक महत्वपूर्ण राजनीतिक ताकत हैं।"
प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो और लिबरल पार्टी के लिए कनाडा के संघीय चुनावों के परिणाम को निर्धारित करने में सिख वोट की जरूरत पर बात करते हुए देश के पूर्व राजनयिक रहे के.पी. फैबियन ने बताया कि ब्रिटिश कोलंबिया में सरे जैसे क्षेत्रों या टोरंटो के नज़दीकी हिस्सों में सिख वोट वास्तव में महत्वपूर्ण हैं।

फैबियन ने अंत में बताया, "उदाहरण के तौर पर यदि आप हाउस ऑफ़ कॉमन्स के एक श्वेत कनाडाई उम्मीदवार हैं और आप 5,000 की भीड़ को संबोधित करना चाहते हैं, तो गुरुद्वारे में आप लगभग 10,000 लोगों से बात कर सकते हैं। क्योंकि कनाडा में, इतनी बड़ी भीड़ को इकट्ठा करना काफी चुनौतीपूर्ण है, इसलिए स्वाभाविक रूप से, उम्मीदवार की सिख समुदाय में दिलचस्पी होगी। दूसरे शब्दों में, उम्मीदवार जानते हैं कि यह लोगों को प्रभावित करने का अच्छा तारीक है।"

Indian Prime Minister Narendra Modi welcomes Canada Prime Minister Justin Trudeau upon his arrival at Bharat Mandapam convention center for the G20 Summit, in New Delhi, India, Saturday, Sept. 9, 2023. - Sputnik भारत, 1920, 15.10.2024
राजनीति
भारत-कनाडा राजनयिक विवाद: ट्रूडो का रुख घटते समर्थन के बीच चुनाव-पूर्व हताशा का परिणाम है
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