Sputnik मान्यता
भारतीय और विदेशी विशेषज्ञों द्वारा प्रदान किया गया क्षेत्रीय और वैश्विक घटनाओं का गहन विश्लेषण पढ़ें - राजनीति और अर्थशास्त्र से लेकर विज्ञान-तकनीक और स्वास्थ्य तक।

बदलते हालात: हसीना के बाद बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच उभरता मेल-मिलाप

© Photo : X/@CMShehbazMuhammad Yunus met Shehbaz Sharif at the sidelines of a conference in Egypt
Muhammad Yunus met Shehbaz Sharif at the sidelines of a conference in Egypt - Sputnik भारत, 1920, 24.12.2024
सब्सक्राइब करें
बांग्लादेश के अंतरिम नेता प्रोफेसर मुहम्मद यूनुस ने मिस्र के काहिरा में डी-8 शिखर सम्मेलन के दौरान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से मुलाकात कर इस्लामाबाद के साथ संबंधों को मजबूत करने पर सहमति जताई। सितंबर में न्यूयॉर्क में UNGA के दौरान हुई मुलाकात के बाद दोनों नेताओं के बीच यह दूसरी मुलाकात थी।
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना द्वारा देश छोड़ने के बाद नई दिल्ली और ढाका के बीच के संबंधों में कुछ खटास नजर आ रही है। हसीना के जाने के बाद देश चलाने के लिए नई अंतरिम सरकार का गठन किया गया जिसका मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस को चुना गया। हालांकि देश में हो रहे अल्पसंख्यकों पर लगातार हमले, मंदिरों में तोड़फोड़ को लेकर यूनुस की अगुवाई में चल रही सरकार पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है।
हाल के महीनों में पाकिस्तान से 50 सालों बाद दो कार्गो जहाजों का बांग्लादेश के पोर्ट पहुंचाना, पाकिस्तानी सेना में ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी के जनरल साहिर शमशाद मिर्जा का बांग्लादेश की सैन्य प्रशिक्षण सुविधाओं का होने वाला दौरा और बंगाल की खाड़ी में पाकिस्तान और बांग्लादेश की संयुक्त नौसैनिक अभ्यास की योजना शेख हसीना के सत्ता से हटने और मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व संभालने के बाद से बांग्लादेश-पाकिस्तान संबंधों में एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाता है।
यूनुस द्वारा पाकिस्तान के साथ संबंधों को मजबूत करने के प्रयास भारत के लिए गहरी चिंता का विषय हो सकते हैं। 1971 में बांग्लादेश की स्थापना के बाद ढाका और नई दिल्ली के बीच मधुर संबंध रहे हैं। 2009 में हसीना के सत्ता में लौटने के बाद यह संबंध अभूतपूर्व स्तर पर सुधरे हैं। पूर्व प्रधानमंत्री हसीना के पद से हटने के साथ ही बांग्लादेश में भारत के खिलाफ बढ़ते विरोध के कारण नई दिल्ली के लिए भू-राजनीतिक चिंता में इजाफा होना जयाज हैं।
7 फरवरी से 11 फरवरी तक कराची में बहुराष्ट्रीय नौसैनिक अभ्यास AMAN 2025 में भी बांग्लादेश के शामिल होने और ढाका-इस्लामाबाद के बीच बढ़ रही नजदीकियों पर Sputnik इंडिया ने रणनीतिक मुद्दों पर लेखक और शोधकर्ता सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर अरुण सहगल से बात की।
बांग्लादेश-पाकिस्तान संबंधों में सुधार से भारत के साथ विशेष रूप से व्यापार और क्षेत्रीय सुरक्षा के संदर्भ में बांग्लादेश के संबंधों पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर अरुण सहगल कहते हैं कि बांग्लादेश एक संप्रभु देश है और उसे किसी भी देश के साथ संबंध स्थापित करने का अधिकार है। हालांकि बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच ऐतिहासिक संबंध हैं।

सहगल ने कहा, "दोनों देशों के बीच अलगाव महत्वपूर्ण बना हुआ है। अंतर्निहित मुद्दा यह है कि बांग्लादेश के साथ अतीत में कैसा व्यवहार किया गया है। यह बांग्लादेश की अंतरिम सरकार द्वारा भारत के साथ असंतोष का संकेत देने और यह दावा करने का एक दुर्भावनापूर्ण प्रयास प्रतीत होता है कि उसके पास वैकल्पिक विकल्प हैं। हालांकि, मालदीव के प्रधानमंत्री द्वारा पड़ोसी देश के साथ गठबंधन करने के पिछले प्रयास की तरह, इससे भी महत्वपूर्ण परिणाम मिलने की संभावना नहीं है।"

इस्लामाबाद और ढाका के बीच के नए संबंधों से भारत के लिए होने वाले खतरे पर रक्षा विशेषज्ञ अरुण सहगल ने कहा कि यह वास्तविक ताकत के साथ एक निर्णनायक कदम के बजाय दिखावे का कार्य अधिक प्रतीत होता है। भारत, बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच ऐतिहासिक गतिशीलता को देखते हुए यह लंबे समय में भारत के लिए एक बड़ा खतरा बनने की संभावना नहीं है, खासकर सुरक्षा चिंताओं के संबंध में।

रक्षा विशेषज्ञ ने बताया, "भारत एक बड़ा और सक्षम देश है जिसके पास छह सैन्य डिवीजनों सहित पर्याप्त संसाधन हैं, जिससे यह चुनौती अपेक्षाकृत प्रबंधनीय है। हालांकि लंबे समय में इस बात की संभावना है कि बांग्लादेश उग्रवादी आंदोलनों का आधार बन सकता है, खासकर भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्रों में उदाहरण के लिए आज की परिस्थिति में असम राज्य की तरह। ऐसा परिदृश्य नए सिरे से उग्रवाद और अस्थिरता को जन्म दे सकता है। इसलिए भारत को इस स्थिति को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के लिए एक दृढ़ रुख अपनाना चाहिए।"

उन्होंने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि बांग्लादेश में वर्तमान सरकार एक अंतरिम प्रशासन है। यह छात्र नेताओं द्वारा निर्मित है और इसमें अनुभवी नेतृत्व या प्रमुख अर्थशास्त्रियों का अभाव है। एक उचित संवैधानिक ढांचा स्थापित होने और चुनाव होने के बाद बांग्लादेश की विदेश नीति के लिए एक स्पष्ट दिशा के उभरने की संभावना है।

सहगल ने कहा, "अंतरिम सरकार की बयानबाज़ी, जो हताशा और आर्थिक चुनौतियों से प्रेरित है, में भारत विरोधी बयान शामिल हो सकते हैं। हालांकि, निरंतर विरोध की महत्वपूर्ण आर्थिक लागतों को देखते हुए भारत के साथ वास्तविक व्यवहार में व्यावहारिकता की जीत की आशा भी है। एक मजबूत और सक्षम राष्ट्र के रूप में भारत के लिए, यह स्थिति अनावश्यक चिंता का कारण नहीं होनी चाहिए।"

अंत में बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच बंगाल की खड़ी में प्रस्तावित संयुक्त नौसैनिक अभ्यास पर बात करते हुए भारत के रणनीतिक मुद्दों पर लेखक और शोधकर्ता सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर अरुण सहगल ने कहा कि ये गतिविधियां आम तौर पर सुरक्षा भागीदारों के बीच मैत्रीपूर्ण सहयोग के दायरे में हैं। जबकि मित्र देशों के बीच संयुक्त अभ्यास स्वीकार्य हैं, उन्हें भारत की क्षेत्रीय सुरक्षा या रणनीतिक हितों से समझौता नहीं करना चाहिए।

सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर अरुण सहगल ने बताया, "अगर बांग्लादेश पाकिस्तान की नौसेना बलों, विशेष रूप से पनडुब्बियों को बंगाल की खाड़ी में एक परिचालन आधार के रूप में अपने क्षेत्र का उपयोग करने की अनुमति देता है, तो यह स्पष्ट रूप से भारत के लिए एक खतरे के सूचक को पार कर जाएगा। ऐसा परिदृश्य सीधे भारत की क्षेत्रीय सुरक्षा को प्रभावित करेगा, विशेष रूप से संवेदनशील बंगाल की खाड़ी में। भारत को अपना यह पक्ष बांग्लादेश को स्पष्ट रूप से बताना चाहिए।"

Will PTI leader Imran Khan's fortunes change after Trump's return? - Sputnik भारत, 1920, 07.11.2024
Sputnik मान्यता
ट्रम्प की वापसी के बाद क्या PTI नेता इमरान खान के बदलेंगे दिन?
न्यूज़ फ़ीड
0
loader
चैट्स
Заголовок открываемого материала