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भारत पूर्वोत्तर को दक्षिण-पूर्व एशिया के 'उत्पादन केंद्र' के रूप में कर रहा विकसित: केंद्रीय मंत्री

© AP Photo / Saurabh DasA 'kolkata' class destroyer is seen on the left along with other warships during the International Fleet Review in Vishakapatnam, India, Saturday, Feb. 6, 2016.
A 'kolkata' class destroyer is seen on the left along with other warships during the International Fleet Review in Vishakapatnam, India, Saturday, Feb. 6, 2016. - Sputnik भारत, 1920, 06.12.2024
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प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले 10 वर्षों में भारत के पूर्वोत्तर का 60 से भी अधिक बार दौरा किया है, जिससे इस स्थल-रुद्ध क्षेत्र के विकास के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता उजागर हुई है, जो भारत की एक्ट ईस्ट नीति और आसियान के साथ स्थलीय संपर्क के लिए महत्वपूर्ण है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने देश के स्थल-आबद्ध पूर्वोत्तर क्षेत्र को दक्षिण-पूर्व एशिया के "उत्पादन केन्द्र" में बदलने के लिए जमीनी स्तर पर कदम उठाये हैं, केंद्रीय बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने शुक्रवार को नई दिल्ली में अपने सरकारी आवास पर संवाददाताओं को बताया।
प्रेस कॉन्फ्रेंस का विषय 'पूर्वोत्तर को सशक्त बनाना: आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक परिवर्तनकारी दशक' था।

"प्रधानमंत्री मोदी की एक्ट ईस्ट नीति पूर्वोत्तर को न मात्र भारत बल्कि दक्षिण-पूर्व एशिया का एक महत्वपूर्ण केंद्र बनाने की दिशा में कार्य कर रही है। इस लक्ष्य की प्राप्ती के लिए विभिन्न कदम उठाए जा रहे हैं, जिससे नागरिकों में सशक्तीकरण की भावना उत्पन्न हुई है," पूर्वोत्तर क्षेत्र से राज्यसभा सांसद सोनोवाल ने कहा।

2014 में जब प्रधानमंत्री मोदी ने पदभार संभाला है, तब से क्षेत्र की कनेक्टिविटी, स्वास्थ्य सेवा, उद्योग और शिक्षा के बुनियादी ढांचे में तेजी से परिवर्तन हुआ है, सोनोवाल ने जोर देकर कहा।

मंत्री ने कहा कि विभिन्न सरकारी एजेंसियों के समन्वित दृष्टिकोण के परिणामस्वरूप सात पूर्वोत्तर राज्यों की "आकांक्षाएं" साकार हो रही हैं।

हाल के वर्षों में, भारत ने म्यांमार और बांग्लादेश के बंदरगाहों के माध्यम से इस स्थल-रुद्ध क्षेत्र, जिसमें सात राज्य निहित हैं, तक समुद्री पहुँच प्रदान करने के लिए कदम उठाए हैं। पिछले वर्ष सोनोवाल ने भारत के कोलकाता बंदरगाह और म्यांमार के सित्तवे के बीच पहले मालवाहक जहाज का उद्घाटन किया था, जो मार्ग विकासाधीन कलादान मल्टीमॉडल ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट परियोजना (KMMTTP) का हिस्सा है।
संक्षेप में, इस परियोजना का उद्देश्य भारत के पूर्वी समुद्र तट से सित्तवे तक माल परिवहन करना है, जिसे फिर भारतीय सीमा के पास कलादान नदी तक ले जाया जाएगा, और फिर सड़क मार्ग से पूर्वोत्तर राज्यों तक पहुँचाया जाएगा।

KMMTTP का उद्देश्य उत्तर-पूर्व में माल परिवहन के लिए 'चिकन नेक कॉरिडोर' को बायपास करना है। साथ ही, सरकार ने इस क्षेत्र और बांग्लादेश के मध्य रेल संपर्क को भी मजबूत किया है, जिससे भारतीय उत्पादों के लिए अधिक समुद्री बंदरगाह उपलब्ध होंगे।

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि सरकार एक स्थलीय मार्ग के माध्यम से प्रशांत महासागर को अटलांटिक महासागर से जोड़ने की योजना बना रही है, जिसमें भारत-म्यांमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग और भारत-मध्य-पूर्व-यूरोप-आर्थिक गलियारा (IMEC) शामिल होगा।
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