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भारत क्षेत्रीय और आर्थिक शक्ति के रूप में तेज़ी से उभर रहा है: रक्षा विशेषज्ञ
भारत क्षेत्रीय और आर्थिक शक्ति के रूप में तेज़ी से उभर रहा है: रक्षा विशेषज्ञ
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भारत ने शनिवार को वित्त वर्ष 2025-26 के लिए 6.81 ट्रिलियन रुपये (78.70 बिलियन डॉलर) का रक्षा खर्च प्रस्तावित किया है
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आवंटन में सबसे महत्वपूर्ण वृद्धि पेंशन श्रेणी में हुई है, जो कुल बजट का 23.6% है, जो पिछले वर्ष से 13.8% की वृद्धि दर्शाता है।साथ ही उन्होंने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि भारत क्षेत्रीय और आर्थिक शक्ति के रूप में तेज़ी से उभर रहा है और "वर्तमान में देखा जाए तो भारत एक विकासशील देश है जो विकसित राष्ट्र बनने का सपना देख रहा है। हमें अपनी अर्थव्यवस्था को संभालने, हमारे जो गरीब लोग हैं, उन पर अधिक से अधिक खर्च करने, और इंफ्रास्ट्रक्चर को सदृढ़ बनाने के लिए धन यानी संसाधनों की आवश्यकता है।"दरअसल आधुनिकीकरण के लिए पूंजीगत बजट में नए लड़ाकू विमानों, ड्रोन, तोपों, टैंकों और हेलीकॉप्टरों की खरीद सहित 8,000 करोड़ रुपये की मामूली वृद्धि देखी गई है, जो चालू वित्त वर्ष में 1.72 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर नए बजट में 1.80 लाख करोड़ रुपये हो गई है। इस बीच Sputnik India ने रक्षा विशेषज्ञ कमर आग़ा से रक्षा बजट में वृद्धि पर सवाल किया तो उन्होंने कहा कि "सरकार का मानना है कि यह काफी महत्वपूर्ण है।"भारत के बढ़ते रक्षा बजट के संदर्भ में, सरकार को क्षेत्रीय तनाव और नयी सुरक्षा चुनौतियों के बीच राष्ट्रीय सुरक्षा प्राथमिकताओं को संतुलित करने की आवश्यकता पर उन्होंने कहा कि "इस पर विचार करना महत्वपूर्ण है। वैश्विक अर्थव्यवस्था कठिन दौर से गुजर रही है, और भारत में भी दो तरह की चुनौतियाँ हैं। एक तो यह कि मैन्युफैक्चरिंग को फिर से बढ़ावा देना है और दूसरी यह कि कृषि की धीमी वृद्धि को सुधारना है, जैसे एग्रो इंडस्ट्रीज को विकसित करना ताकि ग्रामीण क्षेत्रों से बड़े शहरों की ओर पलायन न हो। दूसरी तरफ, वर्तमान में भारत ने 6-7% की जीडीपी बनाए रखी है।"
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वित्त वर्ष 2025-26 के लिए रक्षा खर्च, प्रस्तावित रक्षा खर्च, नये हथियार की खरीद, भारत की रणनीतिक चुनौति, सकल घरेलू उत्पाद (gdp), रक्षा बजट, क्षेत्रीय और आर्थिक शक्ति, drdo के पूर्व वैज्ञानिक, पूंजीगत बजट में लड़ाकू विमान, रक्षा बजट में बढ़ोत्तरी
वित्त वर्ष 2025-26 के लिए रक्षा खर्च, प्रस्तावित रक्षा खर्च, नये हथियार की खरीद, भारत की रणनीतिक चुनौति, सकल घरेलू उत्पाद (gdp), रक्षा बजट, क्षेत्रीय और आर्थिक शक्ति, drdo के पूर्व वैज्ञानिक, पूंजीगत बजट में लड़ाकू विमान, रक्षा बजट में बढ़ोत्तरी
भारत क्षेत्रीय और आर्थिक शक्ति के रूप में तेज़ी से उभर रहा है: रक्षा विशेषज्ञ
भारत ने शनिवार को वित्त वर्ष 2025-26 के लिए 6.81 ट्रिलियन रुपये (78.70 बिलियन डॉलर) का रक्षा बजट प्रस्तावित किया है, जो पिछले वर्ष के प्रारंभिक अनुमानों से 9.5% अधिक है, जिसमें से अधिकांश राशि नये हथियार खरीदने के बजाय वेतन और पेंशन पर खर्च की जाएगी।
आवंटन में सबसे महत्वपूर्ण वृद्धि पेंशन श्रेणी में हुई है, जो कुल बजट का 23.6% है, जो पिछले वर्ष से 13.8% की वृद्धि दर्शाता है।
"भारत ने जो रक्षा बजट बढ़ाया है, इसमें सेनाओं और रक्षा विज्ञान पर खर्च बढ़ाया गया है। इस बारे में कहा जा रहा है कि बहुत ज़्यादा 12% बढ़ा दिया गया है, मैं कहता हूँ यह बढ़ोत्तरी कुछ भी नहीं है। ये अभी भी पर्याप्त नहीं है। यदि हमें 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनना है, तो हम जितना अब अपने रक्षा विज्ञान के ऊपर खर्च करते हैं, उससे कम से कम दोगुना करना पड़ेगा तब हम विकसित राष्ट्र बन सकते हैं," रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के पूर्व वैज्ञानिक और प्रवक्ता रहे रवि गुप्ता ने Sputnik India को बताया।
साथ ही उन्होंने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि भारत क्षेत्रीय और आर्थिक शक्ति के रूप में तेज़ी से उभर रहा है और "वर्तमान में देखा जाए तो भारत एक विकासशील देश है जो विकसित राष्ट्र बनने का सपना देख रहा है। हमें अपनी
अर्थव्यवस्था को संभालने, हमारे जो गरीब लोग हैं, उन पर अधिक से अधिक खर्च करने, और इंफ्रास्ट्रक्चर को सदृढ़ बनाने के लिए धन यानी संसाधनों की आवश्यकता है।"
दरअसल आधुनिकीकरण के लिए पूंजीगत बजट में नए लड़ाकू विमानों, ड्रोन, तोपों, टैंकों और हेलीकॉप्टरों की खरीद सहित 8,000 करोड़ रुपये की मामूली वृद्धि देखी गई है, जो चालू वित्त वर्ष में 1.72 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर नए बजट में 1.80 लाख करोड़ रुपये हो गई है।
इस बीच Sputnik India ने रक्षा विशेषज्ञ कमर आग़ा से रक्षा बजट में वृद्धि पर सवाल किया तो उन्होंने कहा कि "सरकार का मानना है कि यह काफी महत्वपूर्ण है।"
भारत के बढ़ते रक्षा बजट के संदर्भ में, सरकार को क्षेत्रीय तनाव और नयी सुरक्षा चुनौतियों के बीच राष्ट्रीय सुरक्षा प्राथमिकताओं को संतुलित करने की आवश्यकता पर उन्होंने कहा कि "इस पर विचार करना महत्वपूर्ण है। वैश्विक अर्थव्यवस्था कठिन दौर से गुजर रही है, और भारत में भी दो तरह की चुनौतियाँ हैं। एक तो यह कि मैन्युफैक्चरिंग को फिर से बढ़ावा देना है और दूसरी यह कि कृषि की धीमी वृद्धि को सुधारना है, जैसे एग्रो इंडस्ट्रीज को विकसित करना ताकि ग्रामीण क्षेत्रों से बड़े शहरों की ओर पलायन न हो। दूसरी तरफ, वर्तमान में भारत ने 6-7% की जीडीपी बनाए रखी है।"
भू-राजनीतिक तनाव के मद्देनज़र हथियारों की जो एक होड़ मची है, ऐसे में भारत रक्षा बजट का उपयोग अपनी सुरक्षा बढ़ाने के लिए कैसे कर सकता है इस सवाल पर गुप्ता ने कहा "इतिहास गवाह है कि भारत ने कभी किसी के ऊपर हमला नहीं किया। तो अगर कोई यह कहता है कि भारत हथियारों के क्षेत्रीय होड़ के चलते अपनी सेनाओं को सुदृढ़ बना रहा है, उनको ज़्यादा सक्षम बना रहा है तो इसमें कोई सच नहीं है। [...] हमें अपने देश की रक्षा करने का पूरा अधिकार है और अपनी सेनाओं को मजबूत बनाने का हमें पूरा अधिकार है, हमें बनाना चाहिए और हम बनाएंगे।"