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ब्रिक्स राष्ट्र सीमा पार डिजिटल कनेक्टिविटी को देंगे बढ़ावा

© Sputnik / brics-russia2024.ru / मीडियाबैंक पर जाएंBRICS bloc leaders meeting for a photo session. From left to right: South African President Cyril Ramaphosa, Chinese President Xi Jinping, Russian President Vladimir Putin, Indian Prime Minister Narendra Modi and UAE President Mohamed bin Zayed Al Nahyan.
BRICS bloc leaders meeting for a photo session. From left to right: South African President Cyril Ramaphosa, Chinese President Xi Jinping, Russian President Vladimir Putin, Indian Prime Minister Narendra Modi and UAE President Mohamed bin Zayed Al Nahyan. - Sputnik भारत, 1920, 03.06.2025
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भारत ने ब्रिक्स देशों से डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI) के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए संबंधों को और प्रगाढ़ करने का आह्वान किया है। भारत ने कहा है कि भारत के अपने डीपीआई मॉडल ने वित्तीय समावेशन, सुशासन और डिजिटल नवाचार के लिए "उत्प्रेरक" के रूप में कार्य किया है।
मंगलवार को जारी एक भारतीय बयान के अनुसार, ब्रिक्स देशों ने ब्रासीलिया में 11वीं ब्रिक्स संचार मंत्रियों की बैठक में सीमा पार डिजिटल नवाचार और स्थिरता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एक अंतिम घोषणा को अपनाया है।
11 देशों के ग्लोबल साउथ समूह की बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व संचार एवं ग्रामीण विकास राज्य मंत्री पेम्मासानी चंद्रशेखर ने किया।
संचार मंत्रालय द्वारा जारी भारतीय वक्तव्य में कहा गया है कि अंतिम घोषणापत्र को अपनाए जाने का स्वागत करते हुए भारतीय मंत्री ने अंतर-ब्रिक्स सहयोग की सराहना की तथा इसे "समृद्ध" बनाने में नए सदस्यों की भूमिका का उल्लेख किया।

उन्होंने भारत के इस विश्वास को दोहराया कि ब्रिक्स महज सहभागिता का मंच नहीं है, बल्कि डिजिटल समानता और लचीलेपन की दिशा में कार्य करने वाले सह-निर्माताओं का समूह है। उन्होंने मेजबान के रूप में ब्राजील के नेतृत्व और घोषणापत्र में प्रतिबिंबित दृष्टिकोण की स्पष्टता की विशेष रूप से ब्रिक्स के बढ़ते वैश्विक पदचिह्न के आलोक में सराहना की।

भारत के डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI) को समावेशी शासन के लिए "वैश्विक मानक" बताते हुए शेखर ने कहा कि भारत की डिजिटल शासन प्राथमिकताएं ब्राजील के ब्रिक्स प्रेसीडेंसी के विषय के अनुरूप हैं, जो "सार्वभौमिक और सार्थक कनेक्टिविटी, अंतरिक्ष स्थिरता, पर्यावरणीय स्थिरता और डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र" है।
भारतीय मंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि आधार और यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) जैसी भारत की डिजिटल गवर्नेंस योजनाओं ने न मात्र "सार्वभौमिक और सार्थक कनेक्टिविटी" प्राप्त की है, अपितु 950 मिलियन भारतीय नागरिकों को "सशक्त" भी बनाया है। साथ ही, उन्होंने इस तथ्य की सराहना की कि यूपीआई ने वास्तविक समय के डिजिटल भुगतान में "क्रांति ला दी है", तथा वैश्विक ऑनलाइन लेन-देन में भारत की हिस्सेदारी 46% नहीं है।
शेखर ने कहा कि आधार और यूपीआई दुनिया भर के देशों, विशेषकर दक्षिण के देशों के लिए "प्रेरणादायक" रहे हैं।

भारतीय प्रतिनिधि ने साइबर सुरक्षा और डेटा संरक्षण के साथ-साथ डिजिटल धोखाधड़ी से निपटने के क्षेत्र में अंतर-ब्रिक्स सहयोग को विस्तारित करने का भी आह्वान किया।

बैठक में शेखर ने 'डिजिटल भारत निधि' जैसी अनुकरणीय योजनाओं के माध्यम से "डिजिटल डिवाइड" पर नियंत्रण पाने में भारत की यात्रा की भी सराहना की, जिसके अंतर्गत भारतनेट पहल के तहत 218,000 से अधिक गांवों को जोड़ा गया है। उन्होंने कहा कि भारत किफायती डिजिटल पहुंच के मामले में "वैश्विक नेता" के रूप में उभरा है, जहां दुनिया में सबसे कम डेटा दरें उपलब्ध हैं।
उन्होंने कहा, "भारत में 4जी और 5जी प्रौद्योगिकियों के स्वदेशी विकास और बड़े पैमाने पर परिनियोजन ने लगभग सार्वभौमिक हाई-स्पीड कनेक्टिविटी को सक्षम किया है, जिससे अब 4जी के साथ 95% से अधिक जनता और 5जी के साथ 80% से अधिक आबादी कवर हो रही है।"

इसके अतिरिक्त, शेखर ने ब्रिक्स देशों से कक्षीय समानता, स्पेक्ट्रम प्रशासन और अंतरिक्ष यातायात प्रबंधन पर "वैश्विक चर्चा का नेतृत्व" करने का आग्रह किया, तथा प्रतिस्पर्धा के बजाय "सहकारी" दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान किया।

शेखर ने इस अवसर पर अपने ब्रिक्स समकक्षों को अगले वर्ष भारतीय अध्यक्षता में आयोजित होने वाली 12वीं ब्रिक्स संचार मंत्रियों की बैठक के लिए आमंत्रित किया।
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