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भारत में सुखोई लड़ाकू विमानों की मरम्मत और देखभाल कराने वाला पहला देश मलेशिया बन सकता है:
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भारत अपने सुखोई-30 फ़ाइटर जेट की सारसंभाल, मरम्मत और ओवरहॉल (MRO) का अधिकांश कार्य अपने देश में ही कर रहा है। अब भारत यह सुविधा यानी MRO उन देशों को भी उपलब्ध... 17.07.2025, Sputnik भारत
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हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड यानी HAL के अधिकारियों से Sputnik India को मिली जानकारी के अनुसार मलेशिया यह सुविधा पाने वाला पहला देश हो सकता है। मलेशिया, भारत और रूस के बीच इस विषय पर बातचीत चल रही है। Sputnik India ने पिछले वर्ष 11 जुलाई को रिपोर्ट किया था कि भारत सुखोई-30 की MRO अपने देश में ही करने और भविष्य में इसका उत्पादन करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। भारत अपने सुखोई-30 फ़ाइटर विमानों के लिए कई तरह के कल-पुर्ज़े भी खुद बना रहा है। इससे न केवल समय और पैसे की बचत होती है बल्कि आपातकालीन परिस्थितियों में अपने फ़ाइटर जेट को काम करने लायक बनाए रखना संभव होता है।
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भारत, रूस , भारत का विकास, तकनीकी विकास , सैन्य तकनीकी सहयोग, मलेशिया
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भारत में सुखोई लड़ाकू विमानों की मरम्मत और देखभाल कराने वाला पहला देश मलेशिया बन सकता है:
भारत अपने सुखोई-30 फ़ाइटर जेट की सारसंभाल, मरम्मत और ओवरहॉल (MRO) का अधिकांश कार्य अपने देश में ही कर रहा है। अब भारत यह सुविधा यानी MRO उन देशों को भी उपलब्ध करा रहा है जहां रूसी मूल के सुखोई-30 फ़ाइटर जेट का प्रयोग होता है।
हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड यानी HAL के अधिकारियों से Sputnik India को मिली जानकारी के अनुसार मलेशिया यह सुविधा पाने वाला पहला देश हो सकता है। मलेशिया, भारत और रूस के बीच इस विषय पर बातचीत चल रही है।
Sputnik India ने पिछले वर्ष 11 जुलाई को रिपोर्ट किया था कि भारत सुखोई-30 की MRO अपने देश में ही करने और भविष्य में इसका उत्पादन करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
भारतीय वायुसेना के पास 259 सुखोई-30 हैं और अन्य 12 की खरीद का फैसला हो चुका है। भारत के अलावा मलेशिया, म्यांमार, इंडोनेशिया, वियतनाम, युगांडा, इथोपिया जैसे कई देश सुखोई-30 का प्रयोग करते हैं। भारत में MRO सुविधा होने से ये देश कम समय में अपने विमानों को नियमित जांच और मरम्मत के लिए भेज सकेंगे।
भारत अपने सुखोई-30 फ़ाइटर विमानों के लिए कई तरह के कल-पुर्ज़े भी खुद बना रहा है। इससे न केवल समय और पैसे की बचत होती है बल्कि आपातकालीन परिस्थितियों में अपने फ़ाइटर जेट को काम करने लायक बनाए रखना संभव होता है।
एचएएल के अधिकारियों ने बताया कि कोविड महामारी के दौरान जब सप्लाई चेन को बनाए रख पाना मुश्किल हो रहा था तब कई तरह के पुर्ज़ों को स्वदेश में ही बनाने के काम को तेज़ किया गया था।