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ब्रह्मोस के लिए अहम टाइटेनियम पुर्ज़ो का निर्माण भारत में शुरू
ब्रह्मोस के लिए अहम टाइटेनियम पुर्ज़ो का निर्माण भारत में शुरू
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ब्रह्मोस भारत और रूस का साझा उत्पाद है, इसमें स्वदेशी हिस्सों को लगातार बढ़ाया जा रहा है। 17.07.2025, Sputnik भारत
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अब इस मिसाइल के लिए आवश्यक टाइटेनियम जैसी धातुओं से बनने वाले पुर्ज़ो का निर्माण पहली बार एक निजी कंपनी लखनऊ में ही कर रही है। इस तरह के ज्यादातर पुर्ज़े अभी तक आयात के माध्यम से ही आते थे। इस तरह की तकनीक के भारत में उपलब्ध हो जाने से यह निर्भरता समाप्त हो जाएगी। अभी तक दुनिया के पांच देश फ्रांस, अमेरिका, यूके, रूस, चीन ही टाइटेनियम कंपोनेंट बनाते थे, अब भारत भी इसमें शामिल हो गया है। यहां से ब्रह्मोस के लिए टाइटेनियम कंपोनेंट और कच्चा माल सप्लाई होता है। टाइटेनियम ऐसी धातु है जो स्टील से हल्की होती है पर ज्यादा मजबूत होती है और बहुत ज्यादा तापमान सहन कर सकती है। जहां पर कम वजन रखने की जरूरत होती है वहां इसका इस्तेमाल अहम हो जाता है जैसे सबमरीन, एयरक्राफ्ट और मिसाइल में। ऑपरेशन सिंदूर के बाद दुनिया के कई देशों ने ब्रह्मोस में रुचि दिखाई। भविष्य में ब्रह्मोस की मांग बढ़ेगी तो अधिक टाइटेनियम पुर्ज़ों की आवश्यकता होगी और भारत स्वयं को उसके लिए तैयार कर रहा है। ताकि न केवल भारत की बल्कि दुनिया की आवश्यकताएं भी भारत से पूरी हो सकें।
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भारत, भारत सरकार, भारत का विकास, ब्रह्मोस , सैन्य तकनीक, तकनीकी विकास , सैन्य तकनीकी सहयोग, रूस
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ब्रह्मोस के लिए अहम टाइटेनियम पुर्ज़ो का निर्माण भारत में शुरू
ब्रह्मोस भारत और रूस का साझा उत्पाद है, इसमें स्वदेशी हिस्सों को लगातार बढ़ाया जा रहा है।
अब इस मिसाइल के लिए आवश्यक टाइटेनियम जैसी धातुओं से बनने वाले पुर्ज़ो का निर्माण पहली बार एक निजी कंपनी लखनऊ में ही कर रही है।
इस तरह के ज्यादातर पुर्ज़े अभी तक आयात के माध्यम से ही आते थे। इस तरह की तकनीक के भारत में उपलब्ध हो जाने से यह निर्भरता समाप्त हो जाएगी।
पीटीसी इंडस्ट्रीज़ के चेयरमैन सचिन अग्रवाल ने Sputnik India से बातचीत में कहा कि इस तरह की तकनीक न होना रक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर होने में एक बड़ी कमी थी जो अब पूरी हो गई है।
अभी तक दुनिया के पांच देश फ्रांस, अमेरिका, यूके, रूस, चीन ही टाइटेनियम कंपोनेंट बनाते थे, अब भारत भी इसमें शामिल हो गया है। यहां से ब्रह्मोस के लिए टाइटेनियम कंपोनेंट और कच्चा माल सप्लाई होता है।
टाइटेनियम ऐसी धातु है जो स्टील से हल्की होती है पर ज्यादा मजबूत होती है और बहुत ज्यादा तापमान सहन कर सकती है। जहां पर कम वजन रखने की जरूरत होती है वहां इसका इस्तेमाल अहम हो जाता है जैसे सबमरीन, एयरक्राफ्ट और मिसाइल में।
ऑपरेशन सिंदूर के बाद दुनिया के कई देशों ने ब्रह्मोस में रुचि दिखाई। भविष्य में ब्रह्मोस की मांग बढ़ेगी तो अधिक टाइटेनियम पुर्ज़ों की आवश्यकता होगी और भारत स्वयं को उसके लिए तैयार कर रहा है। ताकि न केवल भारत की बल्कि दुनिया की आवश्यकताएं भी भारत से पूरी हो सकें।