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विशेषज्ञ से जानें अमेरिकी राजनीति के कारण भारत और चीन कैसे पास आ सकते हैं?

© Photo : X/@narendramodiFirst bilateral talks between Modi and XI in 5 years
First bilateral talks between Modi and XI in 5 years - Sputnik भारत, 1920, 07.08.2025
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मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीन यात्रा की तैयारी चल रही है, जहाँ वह 31 अगस्त से 1 सितंबर तक तियानजिन में चलने वाले शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में सम्मिलित होंगे।
वहीं भारत ने भी बुधवार को अमेरिकी टैरिफ को दोगुना कर 50 प्रतिशत करने के लिए अमेरिका पर पलटवार करते हुए दोहराया कि यह कदम "अनुचित और अविवेकपूर्ण" है।

विदेश मंत्रालय (MEA) के आधिकारिक प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने बुधवार शाम एक बयान में कहा, "हाल के दिनों में अमेरिका ने रूस से भारत के तेल आयात को निशाना बनाया है। हमने इन मुद्दों पर अपनी स्थिति पहले ही स्पष्ट कर दी है, जिसमें यह तथ्य भी निहित है कि हमारा आयात बाजार के कारकों पर आधारित है और भारत के 1.4 अरब नागरिकों की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के समग्र उद्देश्य से किया जाता है।"

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी टैरिफ पर कहा कि भारतीय किसानों की रक्षा के लिए वे कोई भी कीमत चुकाने को तैयार हैं।
"हमारे लिए अपने किसानों का हित सर्वोच्च प्राथमिकता है। भारत अपने किसानों के, पशुपालकों के और मछुआरे भाई-बहनों के हितों के साथ कभी भी समझौता नहीं करेगा। और मैं जानता हूं, व्यक्तिगत रूप से मुझे बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी, लेकिन मैं इसके लिए तैयार हूं। मेरे देश के किसानों के लिए, मेरे देश के मछुआरों के लिए, मेरे देश के पशुपालकों के लिए आज भारत तैयार है। किसानों की आय बढ़ाना, खेती पर खर्च कम करना, आय के नए स्रोत बनाना - इन लक्ष्यों पर हम लगातार काम कर रहे हैं," उन्होंने कहा।
चीन में होने वाले SCO शिखर सम्मेलन में भारतीय प्रधानमंत्री मोदी के जाने का समचार उस समय आया है जब वाशिंगटन ने भारत पर कर का प्रतिशत बढ़ा दिया है। इससे भारत और चीन संबंधों पर पड़ने वाले प्रभाव पर Sputnik India ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय राजनीति, संगठन और निरस्त्रीकरण केंद्र, अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन विद्यालय के प्रोफेसर स्वर्ण सिंह से बात की।
प्रोफेसर स्वर्ण सिंह कहते हैं कि निस्संदेह, अमेरिकी राजनीति के कारण "नई दिल्ली, मास्को और बीजिंग के और निकट आ जाएगा।"

प्रोफेसर सिंह कहते हैं, "यह इस बात पर भी निर्भर करेगा कि चीन भारत के साथ बातचीत में अपने विकल्पों को कैसे देखता है।"

भारत और चीन के घनिष्ठ संबंध अमेरिका को प्रभावित करने और दो एशियाई दिग्गजों के मध्य एक मजबूत बंधन को प्रगाढ़ करने में रूस की भूमिका पर विदेशी मामलों के विशेषज्ञ कहते हैं कि रूस इस स्थिति का इस्तेमाल रूस-भारत-चीन रणनीतिक त्रिकोण को पुनर्जीवित करने के लिए कर सकता हैै।

उन्होंने बताया, "इस महीने के अंत में तियानजिन में होने वाले शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन के दौरान कुछ चिंगारी देखने को मिल सकती है, खासकर यदि राष्ट्रपति पुतिन इस बैठक में भाग लेंगे।"

Russian President Vladimir Putin, right, and Indian Prime Minister Narendra Modi shake hands during their meeting on the sidelines of BRICS Summit at Kazan Kremlin in Kazan, Russia, Tuesday, Oct. 22, 2024. (AP Photo/Alexander Zemlianichenko, Pool) - Sputnik भारत, 1920, 07.08.2025
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