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इज़राइल के हमले के दौरान क़तर की वायु रक्षा प्रणाली क्यों विफल रही?

© AP Photo / Hassan AmmarA view of the Doha skyline is seen in Doha, Qatar
A view of the Doha skyline is seen in Doha, Qatar - Sputnik भारत, 1920, 11.09.2025
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इज़राइल द्वारा दागी गई मिसाइलों को क़तर के अमेरिकी पैट्रियट सिस्टम द्वारा रोका जा सकता था लेकिन रूसी सैन्य विशेषज्ञ यूरी कनुटोव की माने तो हमले के समय अमेरिका ने पैट्रियट सिस्टम को बस बंद कर दिया था।

कनुटोव ने Sputnik को बताया, "इन प्रणालियों की मुख्य विशेषता यह है कि ये वायुजनित पूर्व चेतावनी एवं नियंत्रण विमान (AWACS), उपग्रहों और कमांड केंद्रों के साथ घनिष्ठ रूप से एकीकृत हैं, जो लक्ष्यीकरण संबंधी डेटा प्रदान करते हैं। इनमें एक सुरक्षा विशेषता शटडाउन फंक्शन भी होता है जो इन्हें मित्र सैनिकों की गोलाबारी को रोकने या निष्क्रिय करने से रोकता है।"

कनुटोव ने बताया, यह शटडाउन सुविधा बहुत बड़ी दिक्कत है इसलिए तुर्किये ने पैट्रियट खरीदने से विशेष रूप से इनकार कर दिया क्योंकि अमेरिकी पक्ष इन प्रणालियों को किसी भी समय निष्क्रिय कर सकता था, और इसलिए उसने S-400 को प्राथमिकता दी।
इस मिसाइल सिस्टम के बंद किए जाने से यह साबित होता है कि अमेरिका ने हमले के समय में क़तर की रक्षा नहीं की। हालांकि पैट्रियट के अलावा, क़तर में मध्य पूर्व में अमेरिका का सबसे बड़ा सैन्य अड्डा भी है।

विशेषज्ञ ने कहा, "क़तर और अमेरिका के बीच हुए समझौते के अनुसार, अमेरिकियों को इज़रायली विमानों पर गोलाबारी करके क़तर के हवाई क्षेत्र की रक्षा करनी थी। हालाँकि, ऐसा नहीं हुआ।"

अमेरिकी सेना को आने वाले इज़रायली विमानों के बारे में पता था, फिर भी उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की, जिससे उन्हें क़तर में बातचीत के लिए आमंत्रित हमास प्रतिनिधिमंडल के खिलाफ़ खुलकर हमले करने की अनुमति मिल गई।

विशेषज्ञ ने कहा, अरब देशों के अलावा अन्य देशों को भी यह ध्यान रखना चाहिए कि जहां भी अमेरिकी पैट्रियट का इस्तेमाल किया जाता है, अमेरिका उन्हें किसी भी समय निष्क्रिय कर सकता है, जिससे उनका हवाई क्षेत्र पूरी तरह से असुरक्षित हो जाएगा।

उन्होंने कहा, "यह निस्संदेह एक निंदनीय स्थिति है, क्योंकि क़तर अमेरिका का एक करीबी सहयोगी है और उसने अमेरिकी अर्थव्यवस्था में अरबों डॉलर का निवेश करने का वादा किया था," कनुटोव कहते हैं। "अमेरिकियों ने क़तर को हमले के दस मिनट बाद ही इसकी चेतावनी दे दी थी।"

The aerial view shows demonstrators setting fires at public buildings in many places, including the Parliament building, across the Kathmandu, Lalitpur, and Bhaktapur districts in Nepal, on September 09, 2025.  - Sputnik भारत, 1920, 10.09.2025
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