भारत-रूस संबंध
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केप्लर ने भारत की रूस से तेल खरीद पर ट्रंप के दावों को बताया गलत

© Sputnik / Maksim BogodvidPumpjacks of Russia's Tatneft company in the Almetyevsk district of Tatarstan
Pumpjacks of Russia's Tatneft company in the Almetyevsk district of Tatarstan - Sputnik भारत, 1920, 22.10.2025
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यूरोपीय संघ में हेडक्वार्टर वाली वैश्विक व्यापार विश्लेषण फर्म केप्लर ने रूस से तेल की खरीद कम करने के लिए भारत की तरफ से जल्द ही किसी भी "पॉलिसी में बदलाव" की संभावना से इनकार किया है।
15 अक्टूबर से ट्रंप के भारत के रूस से तेल आयात में कमी लाने के बारे में बार-बार किए गए दावों को देखते हुए केप्लर ने कहा कि ये द्विपक्षीय व्यापार बातचीत से जुड़े दबाव बनाने के तरीके लगते हैं।

बयान में कहा गया है कि रूस से भारत की तेल खरीद "मज़बूत" बनी हुई है और नई दिल्ली की ऊर्जा नीति के लिए "सेंट्रल" है, जो असल में ट्रंप के उन बयानों को गलत साबित करता है कि नई दिल्ली पहले ही रूस से अपने तेल आयात में कटौती कर रही है।

नई दिल्ली ने भी अब तक जारी अपने किसी भी आधिकारिक बयान में रूसी तेल खरीद के बारे में ट्रंप के दावों की पुष्टि नहीं की है।

केप्लर ने कहा, "भारत के लिए रूस का क्रूड ऑयल स्ट्रक्चर के हिसाब से बहुत ज़रूरी है, जो इसके कुल आयात का लगभग 34% है और इस पर इंट्री अच्छी रियायतें मिलती हैं कि रिफाइनर इन्हें नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते।"

केप्लर ने यह भी बताया कि अगर भारत सरकार रूसी क्रूड ऑयल से दूर जाने का फैसला करती है, तो नई दिल्ली के लिए क्या खतरा हो सकता है।
बयान में कहा गया, "असलियत यह है कि रूस से आयात कम करना मुश्किल, महंगा और रिस्की होगा। रूस अभी भी भारत को लगभग 30-35% क्रूड ऑयल सप्लाई करता है। सब्स्टीट्यूशन के लिए कई सप्लायर्स से तेज़ी से स्केलिंग करनी होगी, ज़्यादा लागत पर (फ्रेट, कम डिस्काउंट)।"
इसके अलावा, केप्लर ने बताया कि मार्जिन में कमी या रिटेल कीमतों में बढ़ोतरी से "महंगाई, राजनीतिक विरोध और रिफाइनरी का मुनाफ़ा कम हो सकता है।"
Russian Foreign Minister Sergey Lavrov delivers a speech at the 2nd High-Level International Conference on Eurasian Security in Minsk, Belarus - Sputnik भारत, 1920, 18.09.2025
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