1993 की संधि व्यापक द्विपक्षीय कानूनी आधार की शुरुआत है, जिसमें अब लगभग 100 अंतर-सरकारी और लगभग 60 अंतर-विभागीय दस्तावेज़ शामिल हैं, और इस संख्या में गैर-राज्य और निजी क्षेत्रों से सम्बंधित समझौते नहीं हैं। राष्ट्रीय हितों और दोनों देशों की जनताओं की ऐतिहासिक मित्रता पर आधारित होने के नाते इन दस्तावेजों की बड़ी संख्या पिछले युग की विशिष्ट उपलब्धियों को ज़्यादा समृद्ध करती है। उन दस्तावेज़ों में से 2000 की भारत-रूस रणनीतिक साझेदारी विशेष है, वह दुनिया में इस तरह के पहले दस्तावेजों में से एक है।
गौरतलब है कि न तो COVID-19 महामारी, न तो रूस विरोधी प्रतिबंधों के अभियान का बड़ा असर हमारे संपर्कों की तीव्रता पर पड़ा। याद दिलाएं कि नई दिल्ली ने उस अभियान में भाग नहीं लिया। इसके विपरीत, राजनीतिक शक्ति और पारस्परिक हित के मजबूत भंडार की मदद से हमें नकारात्मक प्रवृत्तियों को हटाने और बदलती परिस्थितियों के आदि हो जाने के अवसर मिले हैं। रूसी-भारतीय संबंध लंबे समय से राजनीतिक स्थिरांक हैं जो बाहरी तत्वों पर निर्भर नहीं हैं। आज हमारा लक्ष्य अंतरराज्यीय संबंधों में इस दुर्लभ और मूल्यवान गुण को संरक्षित और मजबूत करना है।
द्विपक्षीय संबंधों का उच्च दर्जा उच्च-प्रौद्योगिकी की विशेष परियोजनाओं पर सफल सहयोग से सम्बंधित भी है। इनमें दक्षिण भारत में रूसी परियोजना के अनुसार कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र का निर्माण शामिल है। रूस एकमात्र ऐसा देश रहता है जो वास्तविक तौर पर भारतीय ऊर्जा क्षमता को मजबूती देते हुए परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग के क्षेत्र में भारत के साथ समझौतों को पूरा करता है। हम भारतीय साझेदारों के साथ बांग्लादेश में रूपपुर परमाणु ऊर्जा संयंत्र के निर्माण की परियोजना पर काम कर रहे हैं।
भारत के साथ बहुपक्षीय साझेदारी का अभिन्न अंग व्यापक मानवीय संबंध है। दोनों देशों में आयोजित किए जाते सांस्कृतिक समारोह बहुत लोकप्रिय हैं। इसका स्पष्ट उदाहरण नवंबर 2022 में नई दिल्ली, मुंबई और कलकत्ता में आयोजित दिलचस्प और यादगार रूसी संस्कृति का महोत्सव था। नवंबर और दिसंबर 2022 में पर्यटन के पहले द्विपक्षीय मंच के सफल आयोजन की मदद से पर्यटन के क्षेत्र में नए अवसर सामने आए।
यकीनन मौजूदा परिस्थितियों में रूस के लिए महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय साझेदार के रूप में भारत की भूमिका और बढ़ेगी। हमारी साझेदारी को मजबूत करने के लिए बहुत किया गया है, लेकिन वैश्विक परिवर्तन की मांगों पर खरा उतरने के लिए और अधिक करने की आवश्यकता है। पिछली पीढ़ियों की बुद्धिमत्ता इस रास्ते पर मदद है, जिन्होंने बहुत सालों के लिए द्विपक्षीय कानूनी आधार में संबंधों की नींव और सिद्धांतों को शामिल किया था। ज़रूर इस संदर्भ में ठोस आधार 1993 की मैत्री एवं सहयोग की संधि है, जिसके अनुसार दोनों देशों के जनताओं, वैश्विक शांति, सुरक्षा और सतत विकास के हितों में रूस भारत के साथ संबंध बना रहा है।