डिफेंस
भारतीय सेना, इसके देशी और विदेशी भागीदारों और प्रतिद्वन्द्वियों की गरमा गरम खबरें।

भारत का रक्षा उत्पादन पहली बार एक लाख करोड़ रुपये के पार

पिछले एक दशक में दुनिया का सबसे बड़ा हथियार आयातक भारत अपनी ज्यादातर सैन्य आपूर्ति के लिए विदेशों पर निर्भर है।
Sputnik
केंद्र सरकार ने शुक्रवार को कहा कि पहली बार देश का रक्षा उत्पादन एक लाख करोड़ रुपये की सीमा को पार कर गया है।
दरअसल रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि 31 मार्च को समाप्त हुए वित्त वर्ष में भारत के स्थानीय रक्षा उत्पादन का मूल्य बढ़कर 1.07 ट्रिलियन रुपये हो गया और कुछ निजी रक्षा कंपनियों के डेटा आने के बाद इसमें और वृद्धि होने की आशा है।
"सरकार रक्षा उद्योगों और उनके संघों के साथ लगातार काम कर रही है ताकि उनके सामने आने वाली चुनौतियों को दूर किया जा सके और देश में रक्षा उत्पादन को बढ़ावा दिया जा सके," मंत्रालय ने कहा।
साथ ही बयान में कहा गया है कि जारी किए गए रक्षा-उद्योग लाइसेंसों की संख्या बढ़कर हाल के वर्षों में लगभग तीन गुना हो गई है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भारत का रक्षा निर्यात भी पिछले वित्त वर्ष में 24% बढ़कर लगभग 160 अरब रुपये हो गया है।
डिफेंस
रक्षा मंत्रालय ने 84,328 करोड़ रुपये के पूंजीगत खरीद प्रस्तावों को मंजूरी दी
गौरतलब है कि भारत डोर्नियर-228 विमान, आर्टिलरी गन, रडार, बख्तरबंद वाहन, रॉकेट और लॉन्चर, गोला-बारूद, रूस के साथ संयुक्त उद्यम के तहत बनी ब्रह्मोस मिसाइल और अन्य उपकरण निर्यात करता है।
बता दें कि वित्त वर्ष 2021-22 में भारत का रक्षा उत्पादन 95,000 करोड़ रुपये से अधिक रहा था। इस तरह रक्षा उत्पादन में 12 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई है।
विचार-विमर्श करें