भारत सरकार ने अपने एक बयान में कहा कि 2013-14 और 2022-23 वित्तीय वर्षों के बीच निर्यात में 23 गुना वृद्धि हुई है, जबकि विदेशों से हथियारों और प्रणालियों की खरीद पर खर्च 2018-19 में कुल व्यय के 46% से गिरकर दिसंबर 2022 में 36.7% हो गया।
"वित्त वर्ष 2013-14 में ₹686 करोड़ से बढ़कर 2022-23 में लगभग ₹16,000 करोड़ हो गया है। यह उल्लेखनीय 23 गुना वृद्धि वैश्विक रक्षा निर्माण क्षेत्र में भारत की प्रगति को दर्शाती है," बयान में कहा गया है।
वस्तुतः भारत ने 19 मई को घोषणा की थी कि क्षेत्र में विकास को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण सुधारों के कारण देश में रक्षा उत्पादन का मूल्य पहली बार 1 लाख करोड़ रुपये को पार कर गया है। यह आंकड़ा 2022-23 में 1,06,800 करोड़ रुपये था, जो 2021-22 में 95,000 करोड़ रुपये और पांच साल पहले 54,951 करोड़ रुपये था।
विचारणीय है कि भारत तेजस लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA), विभिन्न प्रकार के हेलीकॉप्टरों, तोपों, टैंकों, युद्धपोतों, मिसाइलों, रॉकेटों और विभिन्न प्रकार के सैन्य वाहनों सहित हथियारों और प्रणालियों का उत्पादन करता है। देश ने पिछले पांच वर्षों में रक्षा निर्माण पर अपना ध्यान केंद्रित किया है और आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए कई उपाय किए हैं।
बता दें कि भारत लगभग 85 देशों को सैन्य हार्डवेयर निर्यात कर रहा है, जिसमें लगभग 100 कंपनियां आउटबाउंड शिपमेंट में सम्मिलित हैं। इसमें मिसाइल, आर्टिलरी गन, रॉकेट, बख्तरबंद वाहन, अपतटीय गश्ती पोत, व्यक्तिगत सुरक्षा गियर, विभिन्न प्रकार के रडार, निगरानी प्रणाली और गोला-बारूद शामिल हैं। देश ने 2024-25 तक 35,000 करोड़ रुपये का रक्षा निर्यात लक्ष्य रखा है।