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भविष्य में इसरो पर साइबर हमलों की संख्या चौगुनी हो सकती है: साइबर विशेषज्ञ

किसी भी देश के लिए अपनी सीमा की सुरक्षा एक बहुत बड़ा मुद्दा है, लेकिन आज के तकनीक के समय में साइबर सुरक्षा को भी प्राथमिकता दी जा रही है, क्योंकि कोई भी व्यक्ति दुनिया के किसी भी कौने में बैठकर एक कंप्युटर की मदद से किसी भी देश को पंगु बना सकता है।
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साइबर हमले आजकल भारत की अंतरिक्ष एजेंसी इसरो पर किए जा रहे हैं, इसकी जानकारी इसरो के चेयरमैन एस सोमनाथ ने हाल ही में देते हुए बताया कि भारत का अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (इसरो) एक दिन में 100 से ज्यादा साइबर हमलों का सामना कर रहा है।
हाल ही में इसरो ने अंतरिक्ष क्षेत्र में जो सफलता हासिल की है, उस पर जितना गौरव किया जाए वह काम है, इसमें मंगलयान, चंद्रयान मिशन की श्रृंखला, आदित्य L-1 मिशन की सफलता शामिल है। इसके अलावा कई ऐसे मिशन हैं जो अभी लॉन्च के इंतेजार में हैं जैसे गगनयान, शुक्रयान।
Sputnik India ने साइबर हमले के मामलों की जानकारी रखने वाले डॉक्टर पवन दुग्गल से बात की, जो साइबर सुरक्षा कानून पर अंतरराष्ट्रीय आयोग के संस्थापक और अध्यक्ष, साइबरलॉज.नेट के अध्यक्ष भी हैं। डॉ दुग्गल साइबर कानून, साइबर सुरक्षा कानून और मोबाइल कानून के अग्रणी क्षेत्र में काम कर रहे हैं।
डॉ पवन ने Sputnik India को बताया कि इसरो अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के मामले में आगे बढ़कर दुनिया का नेतृत्व कर सकता है। किसी भी तरह के साइबर हमलों को नॉन स्टेट एक्टर्स द्वारा अंजाम दिया जाता है क्योंकि वे सभी भारत और इसरो की हाल की सफलताओं से खुश नहीं हैं। इन हमलों का उद्देश्य इसरो की काम में बाधा डालना है, इसलिए साइबर सुरक्षा पर काम किया जाना बहुत आवश्यक है।

"इसरो भारत के अंतरिक्ष बुनियादी ढांचे और अंतरिक्ष सुविधा की रक्षा के साथ-साथ भारत के अंतरिक्ष हितों की रक्षा के मामले में भी उल्लेखनीय काम कर रहा है। लेकिन इसरो जैसी संस्था की साइबर सुरक्षा पर अभी भी बहुत काम किया जाना बाकी है, क्योंकि इस तरह के हमलों की संख्या भविष्य में चौगुनी हो सकती है," साइबर एक्सपर्ट डॉ पवन दुग्गल ने कहा।

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आगे डॉ दुग्गल कहते हैं कि इस तरह के हमले केवल भारत की अंतरिक्ष एजेंसी ही नहीं बल्कि दुनिया भर की अंतरिक्ष एजेंसी झेल रही हैं, हालांकि इसरो अन्य अंतरिक्ष संस्थानों से अलग है क्योंकि इसने भारत के अलावा विकासशील देशों के लिए भी अवसर पैदा किए हैं।

"इसरो जैसे अंतरिक्ष संगठन ने भारत के लिए ही नहीं, बल्कि बड़ी संख्या में तीसरी दुनिया के देशों और विकासशील देशों के लिए इस संबंध में बड़े अवसर खोले हैं। इसलिए समय अब नेटवर्क की साइबर सुरक्षा के उद्देश्यों के लिए उचित जनशक्ति, व्यय और बजट आवंटित करने का है और जैसे-जैसे हम आगे बढ़ रहे हैं, यह एक महत्वपूर्ण आवश्यकता बन जाती है," साइबर एक्सपर्ट डॉ दुग्गल कहते हैं।

इसरो के चेयरमैन एस सोमनाथ ने बताया था कि उन्नत प्रौद्योगिकी एक वरदान भी है और खतरा भी। साइबर एक्सपर्ट दुग्गल आखिर में कहते हैं कि अब समय है कि साइबर सुरक्षा पर काम किया जाना चाहिए जिससे इस तरह के हमलों से बचा जा सके।
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