विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

चंद्रयान 3 ने चांद की सतह के तापमान का शुरुआती डेटा भेजा

© AP Photo / Aijaz RahiJournalists film the live telecast of spacecraft Chandrayaan-3 landing on the moon at ISRO's Telemetry, Tracking and Command Network facility in Bengaluru, India, Wednesday, Aug. 23, 2023.
Journalists film the live telecast of spacecraft Chandrayaan-3 landing on the moon at ISRO's Telemetry, Tracking and Command Network facility in Bengaluru, India, Wednesday, Aug. 23, 2023.  - Sputnik भारत, 1920, 27.08.2023
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शनिवार को बेंगलुरु में इसरो वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चंद्रमा पर चंद्रयान-3 की लैंडिंग को "सदी के सबसे प्रेरणादायक क्षणों में से एक" बताया।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने रविवार को एक बयान में कहा कि भारत के चंद्रयान-3 मिशन ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर तापमान भिन्नता का विवरण देने वाला "शुरुआती" डेटा सेट भेज दिया है।
चंद्रमा के ध्रुव के आसपास चंद्रमा की ऊपरी मिट्टी के तापमान विक्रम लैंडर पर लगे ChaSTE पेलोड (चंद्रमा का सतही थर्मोफिजिकल प्रयोग) द्वारा दर्ज किया गया था। इसरो ने कहा कि ChaSTE "चंद्रमा की सतह की थर्मल विशेषताओं को समझने के लिए ध्रुव के चारों ओर चंद्र की ऊपरी मिट्टी के तापमान को मापता है।"

भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा, “इसमें एक टेम्‍प्रेचर प्रोब है जो कंट्रोल्‍ड एंट्री सिस्‍टम की मदद से सतह में 10 सेमी की गहराई तक पहुंच सकता है। जांच में 10 अलग-अलग तापमान सेंसर लगे हैं।”

इसरो ने जो ग्राफ साझा किया है, वह अलग-अलग गहराइयों पर दर्ज किए गए चांद की सतह और निकट-सतह के तापमान में अंतर को दर्शाता है।
इसरो के अनुसार भारतीय चंद्र मिशन के तीन उद्देश्य हैं – चंद्र सतह पर सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग प्रदर्शित करना, रोवर को चंद्रमा पर भ्रमण का प्रदर्शन करना और यथास्थित वैज्ञानिक प्रयोग करना। शनिवार को इसरो ने एक पोस्ट लिखकर कहा था कि चंद्रयान-3 मिशन ने पहले दो उद्देश्यों को पूरा कर लिया है। यह भी बताया गया है कि तीसरे उद्देश्य के तहत पेलोड के माध्यम से वैज्ञानिक प्रयोग जारी हैं।
चंद्रयान-3 23 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास उतरा था, जिससे भारत मानव इतिहास में रूस, अमेरिका और चीन के बाद चंद्रमा की सतह पर मिशन उतारने वाला चौथा देश बन गया था। साथ ही चंद्रयान-3 इतिहास में चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट-लैंडिंग करने वाला पहला मिशन बन गया है।
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