भारतीय वायु सेना ने अपने बेड़े में 272 सुखोई-30 MKI लड़ाकू विमानों को शामिल किया है और जुड़वां इंजन वाले विमान कम से कम अगले 15-20 वर्षों तक बल का मुख्य आधार बने रहेंगे।
"अब हम व्यापक परीक्षणों और परीक्षणों के माध्यम से विमान के जीवनकाल को अतिरिक्त 20 साल या उससे अधिक बढ़ाने की संभावना तलाश रहे हैं। रूसी विमान एयरफ्रेम और अन्य घटकों के मामले में मजबूत हैं, जिससे उनके परिचालन जीवन को बढ़ाया जा सकता है," रक्षा अधिकारियों ने भारतीय मीडिया को बताया।
दरअसल अपने बेड़े में इन 270 से अधिक विमानों के साथ भारतीय वायु सेना का लक्ष्य साल 2045 और उसके बाद तक परिचालन के लिए उनकी उपलब्धता सुनिश्चित करना है। भारतीय वायु सेना हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के सहयोग से एक महत्वाकांक्षी परियोजना के माध्यम से Su-30 MKI जेट बेड़े की क्षमताओं को बढ़ाने के लिए तैयार है।
गौरतलब है कि अपग्रेड के हिस्से के रूप में विमान घरेलू स्तर पर विकसित नवीनतम एवियोनिक्स, हथियारों और रडार से लैस होगा।
सरकारी सूत्रों के अनुसार विभिन्न क्षेत्रों में भारतीय वायु सेना की विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए स्वदेशी रूप से विकसित विरुपाक्ष रडार, वैश्विक स्तर पर सभी सुखोई -30 वेरिएंट के बीच सबसे उन्नत होने की उम्मीद है।
"भारतीय वायु सेना सक्रिय रूप से अपने उपकरण सूची को स्वदेशी बनाने के मिशन पर काम कर रही है और जल्द ही भारतीय कंपनियों से 3 लाख करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के उपकरण खरीदने के लिए तैयार है," सरकारी सूत्रों ने स्थानीय मीडिया से कहा।