भारत के सबसे पुराने और प्रमुख सड़क अनुसंधान संगठन, वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद-सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट (CSIR-CRRI) द्वारा विकसित स्वदेशी तकनीक, रिजुपेव, कम और उप-शून्य तापमान स्थितियों में उच्च ऊंचाई वाली बिटुमिनस सड़कों के निर्माण में फायदेमंद है।
क्रमशः 14,000 फीट और 18,000 फीट की ऊंचाई पर सेला सुरंग और एलडीवाई सड़क स्थल पर बिटुमिनस सड़कों के निर्माण के लिए कम तापमान वाले बिटुमिनस मिश्रण का उत्पादन करने के लिए BRO द्वारा 'रिजुपेव' तकनीक का सफलतापूर्वक उपयोग किया गया है, BRO के अतिरिक्त महानिदेशक (पूर्व) पीकेएच सिंह ने कहा।
"यह तकनीक बर्फबारी के मध्य लंबे समय तक ढुलाई के समय के बावजूद, पारगमन के दौरान बिटुमिनस मिश्रण में नगण्य गर्मी हानि के साथ बिटुमिनस मिश्रण के उत्पादन और रोलिंग तापमान को 30 डिग्री सेल्सियस से 400 डिग्री सेल्सियस तक कम कर देती है। इससे BRO की सड़क निर्माण कंपनियों की कार्य क्षमता में वृद्धि होगी और हमें चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में तेज गति से एक मजबूत सड़क नेटवर्क बनाने में सहायता मिलेगी," उन्होंने कहा।
इस विषय पर सीएसआईआर-सीआरआरआई के प्रधान वैज्ञानिक और 'रिजुपेव' के आविष्कारक, सतीश पांडे ने कहा कि स्वदेशी तकनीक का डामर संशोधक एक जैव तेल आधारित उत्पाद है, जो पारगमन के दौरान बिटुमिनस मिश्रण तापमान को संरक्षित करने के अतिरिक्त बिटुमिनस मिश्रण की हीटिंग आवश्यकता को अत्यंत कम करता है।
"रिजुपेव तकनीक के उपयोग से न मात्र BRO को उप-शून्य तापमान पर सड़कें बनाने में सहायता मिलेगी, बल्कि अरुणाचल प्रदेश के प्राचीन पर्यावरण-संवेदनशील पहाड़ी वातावरण में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में भी कमी आएगी," पांडे ने कहा।
गौरतलब है कि रक्षा बलों की परिचालन क्षमता में सुधार के लिए भारत-चीन सीमा पर तेज गति से एक मजबूत सड़क बुनियादी ढांचे का निर्माण केंद्र सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है।