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भारत ने सैन्य उपकरणों की खरीद के लिए 800 करोड़ रुपये के रक्षा सौदे पर किए हस्ताक्षर

© AP Photo / Dar YasinIn this Sept. 9, 2020, file photo, an Indian army convoy moves on the Srinagar- Ladakh highway at Gagangeer, northeast of Srinagar, Indian-controlled Kashmir.
In this Sept. 9, 2020, file photo, an Indian army convoy moves on the Srinagar- Ladakh highway at Gagangeer, northeast of Srinagar, Indian-controlled Kashmir. - Sputnik भारत, 1920, 05.01.2024
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देश की रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने के लिए, भारतीय रक्षा मंत्रालय ने महत्वपूर्ण सैन्य उपकरणों की खरीद के लिए 800 करोड़ रुपये ($96.9 मिलियन) के दो प्रमुख अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए, सरकार द्वारा जारी बयान में कहा गया।
हस्ताक्षरित अनुबंधों में 473 करोड़ रुपये ($56.8 मिलियन) में क्यूटी-697 बोगी ओपन मिलिट्री (BOM) वैगन के उत्पादन के लिए ज्यूपिटर वैगन्स लिमिटेड के साथ एक सौदा सम्मिलित है।
इसके अतिरिक्त, Qty-56 मैकेनिकल माइनफील्ड मार्किंग इक्विपमेंट (MMME) मार्क II की खरीद के लिए भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड (BEML) के साथ 329 करोड़ रुपये ($39.5 मिलियन) का अनुबंध किया गया है।

मुख्यतः, ये समझौते खरीदें स्वदेशी रूप से डिजाइन, विकसित और निर्मित (भारतीय-आईडीडीएम) श्रेणी के अंतर्गत आते हैं और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप, स्वदेशी उत्पादन और रक्षा में आत्मनिर्भरता के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं।

ज्ञात है कि अनुसंधान डिजाइन और मानक संगठन (RDSO) द्वारा डिजाइन किए गए बोगी ओपन मिलिट्री (BOM) वैगन, भारतीय सेना के लिए विशेष परिवहन वाहनों के रूप में काम करते हैं।
बता दें कि सेना इकाइयों की लामबंदी के लिए डिज़ाइन किए गए, बीओएम वैगन हल्के वाहनों, आर्टिलरी गन, बीएमपी और इंजीनियरिंग उपकरण सहित विभिन्न सैन्य संपत्तियों को शांतिकालीन स्थानों से परिचालन क्षेत्रों तक ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
वहीं क्रिटिकल रोलिंग स्टॉक के इस अधिग्रहण से संघर्ष स्थितियों के दौरान इकाइयों और उपकरणों की तैनाती में तेजी आने की आशा है। यह सैन्य अभ्यास और इकाई स्थानांतरण के लिए शांतिकाल में आवाजाही की सुविधा भी प्रदान करेगा।
इन-सर्विस हाई मोबिलिटी वाहन पर आधारित उपकरण की उन्नत मैकेनिकल और इलेक्ट्रिकल प्रणालियों से माइनफील्ड मार्किंग ऑपरेशन के दौरान परिचालन समयसीमा को कम करने की आशा है, जिससे भारतीय सेना की समग्र परिचालन क्षमता में वृद्धि होगी।
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