मिलन नौसैनिक अभ्यास का उद्देश्य समान विचारधारा वाले देशों के बीच तालमेल और अंतरसंचालन को बढ़ावा देना है, जो लाल सागर, अदन की खाड़ी और अरब सागर में यमन के हूती और सोमाली समुद्री डाकुओं द्वारा हाल ही में बढ़ते हमलों सहित वैश्विक समुद्री सुरक्षा चुनौतियों से निपटने में महत्वपूर्ण है।
भारतीय नौसेना के उपप्रमुख वाइस एडमिरल तरूण सोबती ने एक बयान में कहा, "किसी एक नौसेना के लिए इसे अकेले करना संभव नहीं है, इसलिए यह एक सहयोगात्मक प्रयास होना चाहिए। 51 देशों की भागीदारी के साथ मिलन अभ्यास, खतरों से मिलकर निपटने में गहरी साझेदारी बनाने में मदद करेगा।"
दिलचस्प बात यह है कि मिलन अभ्यास पहला ऐसा अभ्यास होगा जहां अमेरिका, रूस और ईरान जैसे परस्पर-विरोधी देशों के नौसैनिक जहाज सह-प्रतिभागी के रूप में शामिल होंगे और समुद्री खतरों से निपटने के उद्देश्य से अभ्यास में सहयोग करेंगे।
गौरतलब है कि भारतीय नौसेना से विमान वाहक पोत विक्रांत और विक्रमादित्य सहित लगभग 20 युद्धपोत एवं पनडुब्बियां और लगभग 50 विमान नौसैनिक अभ्यास में भाग लेंगे। वहीं मित्र देशों के 15 जहाज और एक समुद्री गश्ती विमान शामिल होंगे।