राजीव नयन ने Sputnik India को बताया, "भारत ने पहले भी RudraM-I और RudraM-II का सफलतापूर्वक परीक्षण कर चुका है। हर चीज की एक अलग अलग पैरामीटर होते हैं और उसी के अनुसार परीक्षण किया जाता है। किसी भी परीक्षण को सफल मानने के लिए कम से कम 3 बार उसके प्रमाण माने जाते हैं। RudraM-III के लिए एक पैरामीटर तय की गई होगी। नई तकनीक, प्रोड्योगिकी का एक सेट तैयार किया होगा, जिसे परीक्षण के दौरान यह देखा जाएगा की उसपर वह खरे उतरे या नहीं। लगातार 3 परीक्षण के बाद अगर रिजल्ट एक ही तरह का आता है, तो उसे सफल माना जाएगा।"
राजीव नयन ने बताया, "SU-30MKI भारत का अग्रणी लड़ाकू विमान रहा है, भारत के पास तेजस, राफेल भी हैं, लेकिन SU-30MKI की क्षमता इनसे बहुत अधिक है तभी इन्हें अलग अलग मिसाइलों के साथ लैस किया जा रहा है, साथ ही इनके साथ ही उच्च स्तर के मिसाईल का परीक्षण किया जाता है। ब्रह्मोस जैसे मिसाइल की भी परीक्षण कुछ दिनों पहले SU-30MKI के साथ किया जा चुका है। भारत अपने मिशन के हिसाब से इनका उपयोग कर सकता है।"
नयन ने कहा, "Su-30MKI और स्वदेशी तेजस-MK2 के साथ RUDRAM-III मिसाईल को लैस करना भारतीय वायु सेना के लिए सामरिक दृष्टिकोण से एक बहुत अच्छा साबित होगा। अत्याधुनिक मिसाइल, जिनकी अच्छी रेंज होती है, साथ ही जिसकी सटीकता अच्छी हो, उसे हमेशा से अग्रणी लड़ाकू विमान में लगाया जाता है। ये दोनों विमानों का दुश्मनों के कठिन से कठिन इलाकों में जाकर उनके ठिकानों को ध्वस्त कर सकते हैं। दुश्मनों के रडार में आए बिना हम दूर से ही मिसाइल को प्री-प्रोग्रामिंग करके छोड़ सकते हैं।"